Ambrosia Q, 3 – हे फीवर और हूपिंग खांसी में उपकारी है। नाक से पानी की तरह सर्दी निकलना, छींक, ट्रेकिया व श्वासनली के प्रदाह के साथ दमा की तरह के लक्षण प्रकट होते हैं ( एरालिया की तरह ), गला सांय-सांय करता है और खांसी आती है, नाक से रक्तस्राव होना, यहाँ Q 10 बूंद की मात्रा में रक्तस्राव होने के समय और बाद में भी सेवन करना चाहिए।
पराग कणों से उत्पन्न ज्वर(hay Fever), आंखों से पानी बहना, एंव पलकों में खुजली होती है जो सही नहीं जाती है। उन रोगी के लिये यह उत्तम औषधि है। काली खांसी की कतिपय अवस्थायें, रोगी की सम्पूर्ण श्वास नली बंद हो जाती है। प्रवाहिका की विभिन्न अवस्थायें विशेष रूप से ग्रीष्म ऋतु के दौरान पेचिश हो जाती है।
आँख – आंखों से पानी बहता है, उनमें दर्द और जलन रहती है।
नाक – नाक और सिर में भारीपन महसूस होना, छीकें आना। रोगी की नाक से पनीला स्राव निकलता है। बहने वाले जुकाम में श्वास प्रणाली एंव श्वासनलियों के क्षोभण(irritation) के साथ दमा के दौरे पड़ते है (अरेलि, यूकेलिप्टि) रोगी की खांसी में सांय सायं की आवाज होती है।
सम्बन्ध – हे ज्वर में इनसे तुलना कीजिये, सैवाडि, बाइथिया, सक्सी-एसिड, आर्से आयो, अरुण्डो।
मात्रा – अर्क से तीसरी शक्ति।