हिन्दी नाम – किरायत या महातिया है। यह बहुत ही तीता पेड़ है। इसका गुण – ज्वरघ्न, बलकारक व पाचक है। इस दवा की प्रूविंग हुई है।
साधारणतः निम्नलिखित लक्षणो में इसका प्रयोग करें।
- ज्वर – दोपहर के पहले 11 बजे से ज्वर मालूम होना, दोपहर के बाद कुछ कम व रात को 7-8 बजे फिर ज्वर मालूम होना, सिर-दर्द और हाथ-पैर गरम और जलन।
- सिर पकडे रहना व सिर दर्द हर समय ही रहता है, लिवर के दोषयुक्त नाना प्रकार के सिर दर्द, हिलने-डोलने से बढ़ना ( ब्रायोनिया से फायदा न होने पर ), मानसिक अवसाद।
- हाथ-पैर में जलन व गरम मालूम होना, ज्वर, कब्ज, अम्ल, अर्श और यकृत-दोषजनित नाना प्रकार के रोग के साथ हाथ-पैर में जलन व गरम मालूम होना।
- मुख का स्वाद बिगड़ा, जीभ व मुख में तीता स्वाद या सड़ा-सड़ा स्वाद।
- मल में कमी व कब्ज, कभी मल त्यागने की इच्छा 2-3 दिनों तक होती ही नहीं, नाना प्रकार के रोगों के साथ कब्ज या थोड़ा मल।
- गले में दर्द, सिर, गर्दन व सारे शरीर में थोड़ा-बहुत दर्द, हिलने-डोलने से बढ़ना।
- शरीर भारी मालूम होना इसलिए व इसलिए बड़े कष्ट से धीरे-धीरे चलना।
- परिवर्तनशील लक्षण – ज्वर होने पर बीच-बीच में ठण्ड मालूम होना व शरीर में काँटा देकर दुसरे ही पल जलन व उत्ताप मालूम होना, ज्वर में एक बार पसीना, एक बार सूख जाकर उत्ताप बढ़ जाना ( बेलाडोना की तरह ), शरीर के एक अंश में पसीना, दुसरे अंश में पसीना का अभाव ; कभी ठण्ड लगना – कभी या तो उत्ताप मालूम होना, अभी ठीक है – दुसरे ही पल खराब हो जाना।
- किसी रोग के साथ आँख का पीला होना।
- नय और पुराने मलेरिया ज्वर के साथ प्लीहा-लिवर बढे हुए।
- हर प्रकार का कामला ( jaundice )
- शिशुओं के यकृत के दोष के कारण नाना प्रकार के रोग, पाखाना कभी साफ होना – कभी न होना, कभी या तो पीले रंग का पतला पाखाना होना, पीले रंग की आँखों के साथ मीठा-मीठा ज्वर, इन्फेन्टाइल लीवर।
- पुराने मलेरिया ज्वर में – प्लीहा-लिवर की वृद्धि के साथ आँखें पीले रंग की होना।
सारांश – नाना प्रकार के यकृत रोग, कब्ज, कामला, अर्श, पित्त जनित सिर दर्द, अजीर्ण, अम्ल, वात का दर्द, लिवर के रोग के साथ नए व पुराने मलेरिया, रेमिटेंट, शिशु-यकृत, काला-अजार इन कई रोगों में परीक्षा करें।
क्रम – Q, 3x शक्ति।