[ Woolly locoweed ] – डा० बोरिक के अनुसार जिस प्रकार सुरासार, तम्बाकू और मारफीन का प्रभाव मनुष्यों पर पड़ता है, उसी तरह यह औषधि पशुओं को प्रभावित करती है। विषाक्ता की प्रारम्भिक अवस्था में मिथ्याभ्रम (hallucination) अथवा पागलपन के साथ दृष्टिदोष पूर्ण हो जाती है, जिसमें पशु तरह-तरह की विचित्र, हास्यापद हरकते करता है। एक बार जब पशु को यह पौधा मुंह लग जाता है, जो फिर वह कोई और चीज खाना पसन्द नहीं करता। द्वितीयावस्था में शरीर सूख जाता है, अांखें धंस जाती है केश निस्तेज हो जाते है, और इतनी कमजोरी आ जाती है कि उसके लिए चलना फिरना भी मुश्किल हो जाता है, और कुछ महीनों के बाद पशु मर जाता है जैसे भूख से मरा हो। चाल की अनियमिताऐ, लकवे जैसी बीमारियां। पेशियों में समन्वय (co-ordination) का अभाव।
सिर – दाईं कनपटी और ऊपर के जबड़ों में पूर्णता, बाईं भौ के ऊपर दर्द। चेहरे की हड्डियों का दर्द करना। चक्कर, जबड़े में दवाब के साथ दर्द।
आमाशय – दुर्बलता और खालीपन, ग्रासनली और आमाशय में जलन होती है।
वाह्मांग – दांए पैर के बाहरी भाग में एडी से लेकर अंगूठे तक घुरघुराने जैसी अनुभूति होती है, बाईं पिण्डली बर्फ जैसी ठण्डी होती है।
सम्बन्ध – तुलना कीजिए – एरागैलस लैम्बर्टी, व्हाइट लोकोबीड, रैटल वीड, बैराइटा, आक्सीट्रोपिस से।
मात्रा – 6 शक्ति।