Bach Flower Remedies In Hindi
डॉक्टर बैच ने प्रारम्भ में 12 किस्म के मानसिक लक्षणों की खोज की जिनका प्रभाव मनुष्य की मानसिक अवस्था पर पड़ता था। मानसिक अवस्था पर प्रभाव डालने वाले इन लक्षणों के लिए 12 विशेष फूलों के अर्क अर्थात टिंचर को ढूंढे जिनसे ,मन की स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सकता है, मानसिक तनाव, डर डिप्रेशन को ठीक किया जा सकता है। इन दवाइयों को 12 अचूक दवाइयां कहा गया। डॉक्टर बैच ने ये दवाइयां रोगियों को देनी शुरू कर दी और इन दवाओं से उन्हें बहुत अच्छा परिणाम प्राप्त हुआ। इस लेख में इन्ही मुख्य 12 बैच फ्लावर दवाओं के नाम और किन लक्षण में दिया जाता है जानेंगे।
रॉक रोज ( Rock rose ) – यह उन रोगियों के लिए है जो पूर्णरूप से भयभीत हो चुके हों। घर से बाहर निकलने से, किसी से मिलने-जुलने से, किसी फंक्शन में जाने से, ऐसा समझें की रोगी को social phobia है, जिसमे रोगी पूर्णरूप से भयभीत हो चुके हों उसमे लाभ देता है।
मिमुलस ( Mimulus ) – उन रोगियों के लिए जिनको किसी चीज से डर लगता है। जो पूर्णरूप से भयभीत नहीं होते किसी खास चीज से डरते हैं।
सिराटो ( Cerato ) – उन व्यक्तियों के लिए जिनको अपने निर्णय पर विश्वास नहीं होता है। अपने निजी कामों के लिए दूसरो पर विश्वास करते हैं।
स्कलेरेंथस ( Scleranthus ) – उन व्यक्तियों के लिए जो अनिश्चित रहते हैं। किसी चीज का फैसला नहीं कर पाते हैं।
जैनशीयन ( Gentian ) – उन व्यक्तियों के लिए जो बहुत जल्दी घबरा जाते हैं। जिनकी विचारधारा निगेटिव हो चुकी होती है।
क्लेमेटिस ( Clematis ) – उन व्यक्तियों के लिए जो शेखचिल्ली की तरह बड़े-बड़े भविष्य के सपने देखते हैं और आज की स्थिति पर कोई ध्यान नहीं देते हैं।
वाटर वायलेट ( Water Violet ) – उन लोगों के लिए जो अपने आपमें मस्त रहते हैं, सुख-दुःख में वह अकेला रहना पसंद करते हैं। किसी दुसरे के काम में दखल नहीं देते हैं और न ही किसी दुसरे के दखल को सह सकते हैं।
इम्पेशेन्स ( Impatience ) – उन लोगों के लिए जो बहुत जल्दबाज होते हैं। तुरंत सोचते हैं और तुरंत काम करते हैं। दूसरों के काम के ढीलेपन में दुःखित होते हैं।
एग्रीमनी ( Agrimony ) – उन लोगों के लिए जो किसी हालत में भी वाद-विवाद और झगड़े से दूर रहना चाहते हैं। वो अपना दुःख चुपके से सहन करते हैं और बाहर से अपने आपको खुश और संतुष्ट दिखाते हैं।
ऐसे लोग जो अपनी तक्लीफें अंदर ही अंदर सहा करते हैं, सबसे हँसी-मजाक करते हैं। Agrimony के रोगी ऐसे ही हैं, जो ऊपर से खुश दिखाई देते हैं लेकिन अंदर ही अंदर बेचैन रहते हैं । दूसरों को इनकी अंदरूनी तक्लीफ का जरा भी पता नहीं चलता ।
Agrimony दवा उन लोगों के लिए है जो दुख-दर्द, तक्लीफें सहते रहते हैं लेकिन अपनी तकलीफों को दूसरों से छिपाते हैं। अपनी तकलीफ से किसी को परेशान नहीं करना चाहते। उनके चेहरे से बिल्कुल पता नहीं लगता कि वे अंदर से कितने परेशान हैं। यार दोस्तों के साथ हँसी मजाक करते रहते हैं । इसीलिए किसी को इनकी तकलीफों का पता ही नहीं चल पाता है। लोग समझते है कि वे स्वश्थ हैं। चिकित्सक के लिए भी इनका इलाज करना मुश्किल होता है। बीमार होने पर भी खुद से चिकित्सक के पास नहीं जाते । घर के लोगों को उन्हें डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता है। चिकित्सक जब उनसे उनकी तकलीफों के बारे में पूछते हैं तो उनका जवाब होता है – “दर्द तो होता है पर मैं ठीक हूँ”। दो-चार शब्दों से ज्यादा अपनी बीमारी के बारे में नहीं बोलेंगे। परिवार के सदस्य को ही बीमारी के बारे में जानकारी देना पड़ता है।
वे हमेशा अपने चेहरे पर एक खुश मिजाज इन्सान का मुखौटा लगाए रहते हैं। अपनी तक्लीफ की वजह से अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। दूसरों के सामने वे खुश नजर आने का नाटक करते हैं । बीमार होने पर अगर कोई इनसे मिलने आता है तो वे उनके साथ भी हंसी मजाक ही करते रहते हैं ।
अकेलापन इन्हें अच्छा नहीं लगता । अकेला रहने पर इनकी तक्लीफें बढ़ जाती है । इसीलिए वे हमेशा किसी न किसी का साथ चाहते हैं । परिवार के लोग और दोस्तों के साथ दिन तो किसी न किसी तरह कट जाता है, लेकिन रात काटे नहीं कटती । उनकी तक्लीफें रात में बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं । वे रातभर जागते रहते हैं । बिस्तर छोड़कर वे टहलते हुए दिखाई देंगे। अपनी तकलीफों को छिपाने के लिए शराब, सिगरेट वगैरह का सहारा लेते हैं, नींद की गोलियाँ खातें हैं । ऐसे लोगों की नींद न आने की बीमारी Agrimony से दूर हो जाती है।
Agrimony के लोग बड़े शांत होते हैं । कभी किसी से झगड़ा नहीं करते । कभी किसी से बहस नहीं करते । इन्हें अगर किसी ने नुक्सान भी पहुँचाया है तो वे उस नुक्सान को चुपचाप सह लेंगे । नुक्सान पहुँचानेवाले व्यक्ति के खिलाफ कभी नहीं बोलेंगे । झगड़ालू व्यक्ति कभी भी Agrimony का रोगी नहीं होता ।
Agrimony का यह स्वभाव बच्चों में भी पाया जाता है । ये बच्चा अगर गिर भी जाए तो फौरन उठ खड़ा होगा और चलने लगेगा । रोएगा नहीं । अगर रोया भी तो सिर्फ पल दो पल के लिए । फौरन खेलकूद में लग जाएगा। ये बच्चे जिद्दी नहीं होते। बीमारी की हालत में भी अक्सर शांत ही दिखाई देते हैं । सोचते हैं मम्मी को क्यों बोलू वो भी पूरा दिन काम करके थक जाती हैं।
संक्षेप में Agrimony के रोगी के बारे में यही कहा जाएगा – ‘अंदर से परेशान, बाहर चेहरे पर मुस्कान’ ।
Video On Agrimony
सैंटोरी ( Centaury ) – वो पुरुष जो लोक सेवा को ही अपना घर्म मानते हैं, मानसिक रूप से वह इतने कमजोर होते हैं कि किसी की नाजायज मांग को नहीं ठुकरा सकते हैं। वो लोगों की नाजायज मांगों का हमेशा शिकार रहते हैं।
ये उन लोगों की दवा है जिनकी इच्छा शक्ति (Will Power) कमजोर होती है जिनकी अपनी कोई पहचान या मर्जी नहीं होती, जो किसी की बात से इंकार नहीं सकते, जिनकी अपनी कोई Personality नहीं होती, जो दूसरों की बात से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं ।
ऐसे व्यक्ति अपनी कमजोर इच्छाशक्ति के कारण किसी को ‘ना’ नहीं कह सकते । लोग इनकी इस कमजोरी पहचानते हैं और इनकी कमजोरी का गलत फायदा उठाते हैं । ऑफिस के लोग भी अपने अपने को इनसे करवाते हैं। ये किसी को ‘ना’ नहीं कह सकते और काम पूरा करने के लिए इन्हें या तो देर तक ऑफिस में काम करना पड़ता है । ‘बॉस’ के घर के काम भी इन्हें करने पड़ते हैं । यहाँ तक कि ऑफिस के चपरासी तक इनसे अपने काम करवाते हैं । लोगों के लिये ये ‘फ्री सर्वेंट’ होते हैं। इनके घर में भी इनकी पत्नी की मर्जी चलती है । यहाँ तक कि इनके बच्चे भी अपनी मनमानी करते हैं ।
Centaury स्वभाववाले व्यक्ति की अपनी कोई मर्जी नहीं होती। इनकी पढ़ाई, शादी, नौकरी भी इनकी नहीं बल्कि इनके माँ-बाप की मर्जी से होती है। माँ-बाप की पसंद की लड़की इन्हें पसंद न होने पर भी इनमें ‘ना’ कहने की हिम्मत नहीं होती । ये ‘आर्ट्स’ पढ़ना चाहते हैं लेकिन इनकी पिता अगर इन्हें ‘इंजीनियर’ बनाना चाहते हैं तो वे चुपचाप ‘साइन्स’ में प्रवेश ले लेते हैं। अगर इनके पिता चाहते हैं कि ये आगे की पढाई छोड़कर उनका बिज़नेस सँभालें तो पढ़ाई छोड़कर अपना बिज़नेस सँभाल लेते हैं। कहने का मतलब यह है कि इनकी अपनी कोई मर्जी नहीं होती । इन्हें दूसरों की मर्जी के अनुसार चलना पड़ता है।
ऐसे लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है। ये लोग कभी नेता नहीं बन सकते। ये लोग कभी अपने अधिकारों के लिए लड़ नहीं सकते । कभी किसी को आज्ञा नहीं दे सकते। ये सिर्फ आज्ञा का पालन ही करते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि इनमें काब्लियत की कमी होती है। काब्लियत बहुत होती है परन्तु अपना खुदका काम ना करके ये दूसरों के काम करते रहते हैं। इतने सारे काम करने की वजह से ये बुरी तरह थक जाते हैं । फिर भी कोई इनकी तारीफ नहीं करता, बल्कि इनकी कमजोरियों की वजह से इनका मजाक ही उड़ाया जाता है।
ये लोग बड़े ही शांत स्वभाव के होते हैं। ये कभी किसी का दिल नहीं दुखाते। किसी का अपमान नहीं करते। कोई उनका अपमान करता है तो वे चुपचाप सह लेते हैं । ऐसे में ये अपना आत्मसम्मान खो बैठते हैं । अपनी कमजोरी के कारण इन्हें जरूरत होते हुए भी किसी से मदद नहीं माँगते ।
Centaury दवा इन लोगों में आत्मविश्वास, आत्मसम्मान की भावना पैदा करती है। गलत फायदा उठानेवाले लोगों की नाजायज माँग ठुकराने की शक्ति पैदा करती है। किसी बीमारी के अच्छा होने के बाद रह गई तक्लीफें जैसे- भूख न लगना, कमजोरी, खाँसी वगैरह को दूर करती हैं ।
Centaury Video
चिकोरी ( Chicory ) – उन लोगों के लिए जो दूसरों की जरूरतें पूरी करने का बहुत ध्यान करते हैं। मगर इसके बदले में यह चाहते हैं कि दूसरा व्यक्ति इनकी सेवा के बदले इनकी मर्जी के अनुसार चलता रहे और अगर ऐसा ना हो तो रोते हैं।
एस्पेन ( Aspen ) – ये दवा उन लोगों के लिए है जो बेवजह घबरा जाते हैं और घबराहट या डर के बारे में पूछा जाए तो उसके बारे में कुछ भी बता नहीं पाते। इस डर का अटैक किसी भी समय पड़ सकता है। डर का अटैक आने पर वह व्यक्ति पसीने से भीग जाता है, हाथ-पैर काँपने लगता है, मुंह से आवाज नहीं निकलती। वह यह नहीं बता सकता कि वह किस चीज से डर रहा है। यह अटैक ज्यादा देर तक नहीं रहता। कुछ ही देर में जैसे आया था वैसे ही समाप्त भी हो जाता है।
अगर नींद के दौरान ऐसा हो तो व्यक्ति नींद से चौंककर उठ जाता है। फिर सोने से डरता है कि कहीं फिर से ऐसा न हो जाए। ज्यादातर ऐसा उस वक्त होता है जब व्यक्ति अकेला होता है। इन कारणों से वह किसी पार्टी में या भीड़-भाड़ वाली जगह जाना नहीं चाहता। उसे यह डर रहता है कि न जाने कब उसे इसका दौरा पड़ जाए ।
यह डर किसी आँधी-तूफान की तरह आता है । यह इतना अचानक आता है कि उस व्यक्ति को इसका जरा भी अंदाजा नहीं होता। डर का कारण भले ही पता न हो, लेकिन उसका असर इतना भयानक होता है कि वह व्यक्ति को बुरी तरह बेचैन कर देता है । व्यक्ति सोचता है कि उसका आखरी समय आ गया है, वह बचनेवाला नहीं है । हम अगर उस वक्त उस व्यक्ति से पूछें कि “उसे यह डर का दौरा क्यों पड़ता है ?” ”क्या उसे डर की कोई पूर्व सूचना मिलती है ?” ”यह डर किसी खास परिस्थिति में होता है ?” “उसे फिर से यह दौरा कब पड़ेगा?” इन सवालों का कोई जवाब उस व्यक्ति के पास नहीं होता । वह अपने इस डर की चर्चा अपने दोस्तों के साथ करना चाहता है, लेकिन नहीं कर पाता । वह सोचता है कि अपने दोस्तों से वह क्या कहेगा ? वे उससे डर का कारण पूछेंगें तो वह क्या जवाब देगा ? जवाब न देने पर वे शायद उसकी हँसी उड़ाएँगे, उसका यकीन नहीं करेंगे। यह सोचकर वह चुप रहता है ।
लड़कियों की M.C. शुरू होने की उम्र में कुछ लड़कियों को ऐसा अजीब डर लगने लगता है। चालीस पैंतालीस की उम्र के बाद माहवारी बंद होने के बाद कुछ औरतों को भी ऐसा डर लगता है । ऐसे समय में Aspen दी जाए तो यह डर खत्म हो जाता है।
डर चाहे छोटे बच्चों का हो या बड़े-बूढ़ों को, अगर बिना किसी वजह के डर लगे तो Aspen दवा दी जानी चाहिए ।
डर की वैसे और भी कई दवाइयाँ हैं, जैसे Mimulus, Rock Rose, Cherry Plum, Red Chest Nut इन सभी दवाओं का भी विवरण अगले वीडियो में किया जाएगा।
Aspen डर को, अंध विश्वास को मन से दूर कर मन को शक्ति देनेवाली, सकारात्मक (Positive) सोच बढ़ाने वाली दवा है। यह दवा उन बच्चों को भी दी जा सकती है जो रात में अकेले सोने से डरते हैं। स्कूल जाने से और नए लोगों से मिलने से घबराते हैं।