जख्म के ठीक हो जाने के बाद यदि उस स्थान पर माँस का उभार बना रहे तथा घावों एवं फोड़ों के बाद उस स्थान पर रह जाने वाले ऊबड़-खाबड़ अवशेषों को साफ करने के लिए लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग हितकर सिद्ध होता है :-
साइलीशिया 6x, 200 – घावों तथा फोड़ों के बाद के उभार को यह औषध दूर करती है। उच्च-शक्ति में इसे सप्ताह में केवल एक बार ही देना चाहिए ।
फ्लोरिक-एसिड 6, 30 – ‘साइलीशिया’ से लाभ न होने पर इस औषध की नित्य तीन मात्राएँ कुछ दिनों कर देकर देखनी चाहिए। यह घावों के बाद की कठिन शोथ जैसी हालत को भी दूर कर देती है ।
ट्युबर्क्युलीनम 200 – यदि पूर्वोक्त दोनों औषधियों को देने के बाद भी शिकायत बनी रहे तो दो-तीन महीने बाद इस औषध की एक मात्रा हर पन्द्रहवें दिन देनी चाहिए ।
कालि-आयोड 3 – यह औषध चेहरा, गर्दन, छाती, पीठ तथा खोपड़ी पर हुए फोड़ों के बचे हुए अवशेषों को दूर कर देती है।
कास्टिकम 30, 200 – घावों के गहरे निशान, जो ठीक होने के बाद पुन: दुखने लगते हों, को यह औषध ठीक करती हैं ।
ग्रैफाइटिस 30 – यह पुराने तथा सख्त निशानों को दूर करने में उपयोगी है ।
लाइसीन 200 – यह कुत्ता काटने के बाद के निशानों को दूर करती है ।
बोरिंयोलिनम 200 तथा सेरेसेनिया 1x – यदि चेहरे पर चेचक के दाग बन गए हों तो बोरिंयोलिनम 200 को हर पन्द्रहवें दिन तथा सेरेसेनिया 1x को दिन में दो बार सेवन करते रहना चाहिए। परन्तु जिस दिन ‘बेरियोलिनम’ दी जाय-उस दिन ‘सेरेसेनिया’ नहीं देनी चाहिए ।