लेटिन नाम – कैमिलिया थिया ( Camellia Thea )
चाय, दूध, शक्कर आवश्यक मात्रा में लेकर खूब उबालते हैं फिर छानकर पीते हैं। इस प्रकार बनाई गई चाय काफी नुकसान करती है।
चाय बनाने का सही तरीका इस प्रकार है – पानी, दूध, शक्कर आवश्यक मात्रा में लेकर उबालें। जब उबलने लगे तब नीचे उतार लें और उसमें आवश्यक मात्रा में चाय डालकर आठ मिनट ढककर रखें। इसके बाद छानकर कुछ नाश्ता करके पियें। इस प्रकार बनाई गई चाय शरीर के लिए आरोग्यप्रद हैं। चाय को अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए पुदीना, सोंठ, कालीमिर्च, लौंग, इलायची भी डाली जा सकती है। ऐसी चाय अधिक स्वादिष्ट और स्वास्थ्य के लिए हितकारी होती है।
एक कप चाय में 4 ग्राम टैनिन होता है जो आपके शरीर में विष का काम करता है। एक कप चाय को कुछ समय पड़े रहने दीजिये। एक-दो घण्टे बाद उसकी स्थिति देखें कि ऊपर को निकोटिन की परत के नीचे कालीं चाय होगी। रंग में परिवर्तन कितना हो जायेगा। इस प्राकृतिक देह में जाकर यह दशा उस चाय की होती है। आप अँगुली से चाय की परत को देखें कितनी चिपचिपी और मोटी होती है जो आँतों में विकार उत्पन्न करती है। देखिये, चाय कितना नुकसान करती है। चाय से केवल ताजगी का भ्रम मात्र होता है।
चाय में टैनिन (Tannin) होता है जो शरीर में लौह तत्व (Iron) को पचाने में बाधा पहुँचाता है। अत: लौह तत्व वाली चीजें व लौह-प्रधान औषधि लेने के दो घण्टे बाद चाय पियें। चाय पीने की आदत नहीं डालें। नित्य चाय पीने की आदत होने पर चाय बहुत हानि पहुँचाती है। यह पाचनशक्ति कम करती है। रक्त जलाकर शरीर को सुखाती है।
चाय पीने के नुकसान – (1) चाय अाँतों और आमाशय को खराब करती है। (2) चाय भूख खराब करती है। नींद उड़ जाती है। (3) चाय पेट में एसिडिटी बढ़ाती है। (4) चाय से कभी-कभी नासूर (Ulcer) हो जाता है। (5) अधिक चाय पीने से हृदय की धड़कन बढ़ती है और हृदय की बीमारी की संभावना रहती है।
यदि आप चाय पीना ही चाहते हैं तो 1 या 2 बार से अधिक मत पीजिये और इसे खाली पेट नहीं पियें। चाय का दुष्प्रभाव दूर करने के लिए एक कप चाय पीने के थोड़ी देर बाद पाँच कप शुद्ध पानी पियें।
अनिद्रा के रोगी तथा नशीली दवा खाने वालों के लिए चाय हानिकारक है। ऐसे रोगी यदि चाय पियें तो रोग अति गंभीर बन जायेगा। चाय पीने से नींद कम आती है। चाय अम्लपित्त और परिणाम शूल वालों के लिए हानिकारक है।
कैफीन – चाय-कॉफी एक परम्परा-सी बन गई है। अध्ययनकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि चाय, कॉफी में पाया जाने वाला ‘कैफीन’ व्यक्ति में काम करने की क्षमता कम कर देता है। तीन कप कॉफी और एक कप चाय में 350 मि.ग्रा. कैफीन होता है और इतनी मात्रा में कैफीन का सेवन व्यक्ति में तनाव को बढ़ा सकता है साथ ही ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता भी कम हो जाती है।
चाय वनस्पति कुल की दवा है, नित्य पीने के लिए नहीं। यह आवश्यकतानुसार पीने पर लाभदायक है। यह ठण्डी जलवायु एवं ठण्डी प्रकृति वालों के लिए हितकारी है। भूखे पेट चाय पीने से पाचन-शक्ति खराब होती है एवं सोते समय पीने से नींद कम आती है।
दस्त, मरोड़ – एक चम्मच चाय की पत्ती और चौथाई चम्मच नमक दोनों को पीसकर इसके तीन भाग करके दिन में तीन बार गर्म पानी के साथ फंकी लें। ऐसा नित्य करें। मरोड़ी देकर होने वाले दस्तों में लाभ होगा।
बालों में चमक – बालों में ज्यादा देर तक शैम्पू लगाये रखने से रूसी कम होने के बजाय बढ़ती है। चाय के पानी से बाल धोने से बाल गिरना बन्द होते हैं। चाय पत्ती उबालकर उसके पानी को छानकर फ्रिज में रख लें। बालों को धोने के बाद इस पानी को बालों में कंडीशनर की तरह लगायें, इससे बालों में चमक बढ़ेगी।
कोलेस्ट्रॉल – चाय पीने से हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। चाय रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम कर देती है।
हड्डी, जोड़ों का दर्द – अत्यधिक चाय के सेवन से हड्डियों के जोड़ों में दर्द, दाँतों का पीलापन, अवसाद, तनाव आदि बीमारियाँ हो सकती हैं। चाय के एक प्याले में 18.13 पीपीएम फ्लोराइड होता है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1.5 पीपीएम फ्लोराइड ही उचित है। फ्लोरोसिस के अत्यधिक सेवन से हड्डियों के जोड़ों में दर्द, कमजोरी आदि की शिकायत आम है।
फ्लोराइड की अधिक मात्रा शरीर में मौजूद लाल रक्त कणिकाओं के इर्द-गिर्द जमा होकर ऑक्सीजन का वितरण सही तरीके से नहीं होने देती। इन कणिकाओं में ऑक्सीजन की कमी से थकान आना प्राथमिक चरण है। शनै:-शनै: फ्लोराइड हड्डियों का क्षरण कर देता है, जिससे जोड़ों का दर्द शुरू हो जाता है। कई बार फ्लोराइड गुर्दो में प्रवेश कर जाता है, जिससे मूत्र त्यागने में परेशानी हो जाती है। 12 साल तक के बच्चों में फ्लोरोसिस बीमारी का इलाज संभव है। फ्लोरोसिस बीमारी में विटामिन – ‘सी’ तथा ‘डी’ ही सर्वाधिक कारगर है।
भूख न लगना – चाय को ज्यादा देर तक उबालने से उसमें टैनिन नामक रसायन निकलता है जो पेट की भीतरी दीवार पर जमा हो जाता है जिससे भूख लगना बन्द हो जाती है।
वात – चाय पेशाब में यूरिक अम्ल बढ़ाती है। यूरिक अम्ल से गठिया, जोड़ों की सूजन बढ़ती है। अत: वात रोगियों को चाय नहीं पीना चाहिए।
होम्योपैथिक दवा थिया चिनेन्सिस (Thea chinensis) चाय से बनी है। यह चाय अधिक पीने के दुष्परिणाम जैसे अजीर्ण, अनिद्रा, कमजोरी, हृदय की अधिक धड़कन, पेट में वायु होना, मन्दाग्नि आदि दूर करती है। यह 30 शक्ति में पाँच खुराक लें।
चाय के घरेलू उपयोग – (1) चाय की गीली पत्तियों में थोड़ा-सा चूना (पनवाड़ी के उपलब्ध) मिलाकर दर्पण या शीशों पर मलकर कुछ देर बाद सूखे कपड़े से साफ करने पर चमक आ जाती है। (2) चाय की बची हुई पत्तियों में से एक चुटकी बर्तन धोने का पाउडर मिलाकर बर्तनों पर रगड़ने से साफ हो जाते हैं। (3) चाय की पत्तियों को एकाध घण्टे तक पानी में उबालकर शीशी में बन्द करके रख लीजिए। वार्निश वाला फर्नीचर, दरवाजे आदि साफ करने के लिए घोल अच्छा काम करेगा। (4) उबली हुई चाय की पत्तियों को लकड़ी के फर्नीचर पर रगड़ने पर फर्नीचर का मैल छूट जाता है। (5) शक्कर रहित चाय की पत्तियाँ गुलाब के पौधे के लिए एक अच्छा खाद है। (6) यदि आपकी रसोई में मक्खी-मच्छर हो जायें तो चाय बनाने के उपरान्त चाय की पत्ती को अँगीठी में डालकर रसोई में धुआँ कर दीजिए। (7) बरसात में माचिस को चाय पत्ती के डिब्बे में रखने से उसमें सीलन नहीं आती।