[ Bed bug ] – यह औषधि शीत, ज्वर या पारी से आने वाले ज्वरों में लाभदायक होती है, जिनमें थकान और अंगड़ाइयों की प्रमुखता रहती है। पैर की टेण्डन (अस्थि बन्धन) छोटी मालूम होती है, जिससे रोगी पैर लम्बे नहीं रख सकता, पैरों को मोड़कर सोता है।
संकोचक पेशियों को विशेष रूप से प्रभावित करती है। लगता है जैसे बाजू की कण्डरायें खिंच रही हैं अंगड़ाइयां आती हैं।
ज्वर – सारे शरीर में कंपकंपी रहती है, लगता है, घुटनों पर पंखा चल रहा हो। जब जवर नही होता, प्यास लगती है। जैसे-जैसे ताप बढ़ता है वैसे वैसे प्यास कम हो जाती है, बुखार तेज होने पर यह और भी कम हो जाती है। गले में एक तरह की तकलीफ रहती है, जिससे ऐसा लगता है जैसे गला किसी चीज से दबा हुआ है, पानी पीने से गले में तकलीफ होती है।
सिर – सिर में तेज दर्द रहता है, जो अधिक शराब पीने के कारण होता है। शीतावस्था के आरम्भ में उत्तेजना, अत्यधिक आक्रोश रहता है। हाथ में आई हर चीज के टुकड़े टुकड़े कर देने को मन करता है, माथे की दाईं हड्डी के नीचे दर्द रहता है।
कब्ज – मल सूखा, कड़ा, गोल-गोल गुठली- शुदा और मलद्वार में घाव। स्त्रियों में योनि के बाए डिम्ब तक गोली लगने जैसा दर्द में इससे लाभ होता है।
सम्बन्ध – ऐमोन म्यूर, कांस्टि , एपिस, युपेट पर्फ़ो।
मात्रा – 3x शक्ति से 200 शक्ति तक।