कॉचलिरिया 2x और 3x शक्ति – मुँह, मसूढ़े और गले के घाव में इसके लोशन से ( मदर-टिंचर 20 से 40 बून्द और पानी 1 औंस ) कुल्ला करने पर साफ हो जाता है और उसकी सड़ी बदबू नष्ट हो जाती है। सुजाक तथा सिर की रुसी निकलने की भी यह बढ़िया दवा है। प्रमेह या किसी दूसरी बीमारी में ग्लैन्स-पेनिस में ( लिंग मुण्ड में ) जलन, काटने-फाड़ने की तरह दर्द और पेशाब के पहले, समय और बाद जलन रहने पर फायदा करती है।
कॉचलिरिया के कुछ मुख्य लक्षण :
- कुछ सोचने में कठिनाई होना, बहुत दर्द जैसे हड्डियाँ टूटकर गिर जाएगी। सिर का दर्द व वमन, सुनाई कम देना जैसे लक्षणों में कॉचलिरिया का उपयोग हितकर होता है।
- आँख में चोट लगने से आई सूजन, दिखाई कम देना, मोतियाबिन्द गले में दर्द जैसे लक्षण में यह दवा का उपयोग करें।
- पीठ में दर्द, दबाव पड़ने से दर्द का बढ़ना, पेट में ऐंठन जोकि पेट के दोनों बगल से शुरू होकर पीठ तक जाता है। नाभि के चारों तरह दर्द में भी यह फायदा करता है।
रोग में वृद्धि – रात में रोग का बढ़ना।
क्रम – 3, 30 शक्ति।