इसे घुण्डी-खाँसी भी कहा जाता है। यह भी अधिकांशतः बच्चों को ही होती है। इसमें श्वासनली और स्वरयंत्र के मध्य में एक पर्दा (झिल्ली जैसा) उत्पन्न हो जाता है । इससे गले में सॉय-सॉय की आवाज होती है, सॉस लेने में कष्ट होता है, आवाज भारी हो जाती है, आक्षेप आता है, शरीर क्रूप खाँसी को देखकर काली खाँसी या डिफ्थीरिया का भ्रम हो सकता है लेकिन सभी में अंतर हैं- ध्यान रखना चाहिये ।
क्युबेबा 30, 200– झिल्ली गहरे रंग की व मोटी हो, गले से सॉयसॉय की आवाज आये, साँस तेज चले, चेहरा लाल हो जाये, व्याकुलता रहे तो लाभ करती हैं ।
ब्रोमियम 30- शाम को खाँसी बढ़ जाये, साँस लेते व छोड़ते में घड़घड़ाहट हो या सीटी का-सा स्वर सुनाई दे, ठण्डी चीज खाने-पीने से दम घुटे, थकान रहे, स्वरभंग हो जाये तो लाभदायक रहती है ।
लैकेसिस 30- गहरी नींद में ही क्रूप का दौरा-सा पड़ जाये, जाग जाने पर दौरा न रहे, बार-बार गला साफ करना पड़े, घड़घड़ाहट हो तो इन लक्षणों में देनी चाहिये ।
एण्टिम टार्ट 30– क्रूप के साथ नजला हो, साँस लेने में सीटी बजने या आरा चलने की आवाज हो, साँस लेने में कष्ट हो, सिर को आगे-पीछे करने में भी साँस न ले पाये, पसीना आये, नाड़ी तेज चले, थकान आये तो इन लक्षणों में देनी चाहिये ।
काली बाई क्रोम 30- रोग गुप्त रूप से आये, खाँसी में कफ निकले, खाँसी में बरतन बजने की सी आवाज हो, सुबह तीन बजे कष्ट बढ़े, रोगी पड़ जायें, दिन में खाँसी कम उठे तो इन लक्षणों में प्रयोग करनी चाहिये।