दन्त-रोग अथवा दांतों में कीड़ा लगने पर लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग करना चाहिए :-
कैल्केरिया-फ्लोर 6x – यह इस रोग की सर्वोत्तम औषध है । दांत पर लगी सफेदी पर्त (ऐनामेल) हटने लगे तो इसे देना चाहिए ।
मर्क-सोल 6, 12 – मसूढ़ों से खून निकलना, दांतों का ढीला पड़ जाना या सड़ जाना तथा बच्चों का दन्त-क्षय – इन लक्षणों में इस औषध को 6 शक्ति में लगातार तीन महीने तक, दिन में दो बार देते रहना चाहिए, तत्पश्चात् एक महीने का अन्तर देकर, फिर इसी प्रक्रिया को दुहराना चाहिए ।
स्टैफिसेग्रिया 3, 30 – दांतों के काले पड़ जाने, निकलने के साथ ही गिर जाने, छूने से दर्द करने तथा खाने-पीने के बाद दर्द करने के लक्षणों में इसे दें।
फास्फोरस 30 – जबड़े का क्षय, दांतों का रंग बदलना अथवा खोखले पड़ जाना, मसूढ़ों से खून निकलना तथा दांतों की जड़ों से खून आने लगना – इन लक्षणों में लाभकारी है ।
कैल्केरिया-कार्ब 30 – यह मोटे, थुलथुल तथा कण्ठमाला-प्रकृति के बच्चों के दन्त-क्षय में हितकर है ।
मेजेरियम 6, 30 – दांतों का शीघ्र क्षय होना, दांतों की जड़ों का खोखली हो जाना तथा दांतों से दर्द का उठ कर चेहरे तथा कान तक जाना – इन लक्षणों में लाभप्रद है ।
क्रियोजोट 3, 30, 200 – दूध के दांतों का जल्दी सड़ने लगना, दांतों का पीला तथा नीला होना तथा सड़ जाना । रोग-ग्रस्त दांतों में दर्द होना। यदि बच्चे का मुँह आया हो और उनमें दन्त-क्षय के उक्त लक्षण भी दिखायी दें तो इस औषध का प्रयोग करना चाहिए ।
कार्बो-वेज 30 – दांतों का स्पंज जैसा हो जाना, जल्दी गिरना, उनसे खून निकलना, गर्म-सर्द अथवा नमकीन भोजन करने पर दांतों में तीव्र खींचन सहित दर्द होना – इन लक्षणों में लाभकारी है ।
साइलीशिया 30 – ‘रिकेट’ (बालास्थि-विकृति) के रोगी बालकों के दांतों में कीड़ा लग जाने पर यह औषध विशेष लाभ करती है। इस औषध का रोगी बालक पतला-दुबला होता है, उसका पेट काशीफल जैसा बड़ा हो जाता है तथा उसके सिर और पांवों पर पसीना भी आता है ।
दांतों का गिरना होम्योपैथिक दवा
दांतों के गिरने में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग करें :-
फास्फोरस 30 – यदि मसूढ़ों में पस पड़ जाने के कारण दांत शीघ्र गिर रहे हों तो यह औषध लाभ करती है ।
मर्क-सोल 30 – यदि सामान्य रूप में ही दांत शीघ्र गिर रहे हों तो इस औषध का प्रयोग करना चाहिए ।
दांतों का मसूढ़ों से अलग होने का होम्योपैथिक दवा
यदि दांत मसूढ़ों से अलग हो रहें हों तो निम्नलिखित उपचार करना चाहिए:-
कार्बो-वेज 30 – दांतों का मसूढ़ों से अलग होना, मसूढ़ों से खून निकलना, दांतों का ढीला पड़ जाना, दांतों का स्पंज जैसा हो जाना तथा ठण्डी या गरम वस्तुएं खाने से दांतों में दर्द होने लगना – इन सब लक्षणों में यह औषध लाभ करती है ।
दांतों का टेढ़ा-मेढ़ा हो जाने का होम्योपैथिक दवा
दांतों को टेढ़ा-मेढ़ा हो जाने, दांतों पर भाँति-भाँति के निशान पड़ जाने, दांतों के शीघ्र सड़ जाने, बच्चों के दांतों का ‘कप’ जैसी शक्ल का होने तथा दाँतों की जड़ों में किसी के रेंगने जैसी कुलबुलाहट होने के लक्षणों में ‘सिफीलीनम 200‘ की एक मात्रा सप्ताह में एक बार देनी चाहिए। तीन-चार मास तक इसी विधि से इस औषध का सेवन करते रहने पर उक्त सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं ।