बहरापन के रोग में रोगी को एक या दोनों कानों से अंशतः या पूर्णतः सुनाई नहीं देता है | यह स्थिति जन्मजात भी हो सकती है और बाद में किन्हीं और कारणों से हो सकती है | जन्मजात बहरापन असाध्य होता है लेकिन दूसरी तरह का बहरापन चिकित्सा से आरोग्य हो जाता है | बहरापन के कारणों में – सर्दी लगना, स्नायविक कमजोरी, पुराना जुकाम शोरगुल वाले वातावरण में रहना, कनपटी पर तेज आघात लगना , कान बहन का रोग पुराना पड़ जाना आदि प्रमुख है |
बहरापन का होम्योपैथिक दवा
कान का एकदम से बन्द हो जाना – काली म्यूर 200 – कान के एकदम से बन्द हो जानें पर यह दवा देनी चाहिये। इस दवा के प्रयोग से पहले कान में कुछ भारीपन या सुनाई देना कम हो सकता है पर धीरे धीरे सही से सुनाई देने लगता है। वैसे यह दवा बाँयें कान के बन्द हो जाने या बाँयें कान के बहरेपन पर दी जाती है पर इस दवा को मैंने बाँयें व दाँयें – दोनों कानो के बहरेपन में सफल पाया है।
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यदि एकदम से कान बन्द हो गया हो और कुछ भी सुनाई न दे तो ऐसी स्थिति में एसारम यूरोपियम 30 या 200 देनी चहिये ।
मवाद बंनाने से बहरापन होना – कॉस्टिकम 200, IM – यदि कान बहने के कारण बन्द हो गया हो तो सबसे पहले लक्षणानुसार कान को सुखने की दवा देनी चाहिये । कान सूख जाने के बाद कॉस्टिकम 200 या 1M की एक मात्रा ही देनी चाहिये। इससे सुनाई न देने की स्थिति ठीक हो जाती है। अगर इससे भी लाभ न हो तो लक्षणानुसार अन्य औषधियों का चयन करना चाहिये।
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मैल जमने से बहरापन होना – मुलेन ऑयल – यदि कान में मैल आदि जम जाने के कारण सुनाई देना बंद हो गया हो तो सबसे पहले रुई आदि की सहायता से कान को साफ़ करना चाहिये। फिर कान में मूलन ऑयल को नियमित रूप से एक दो माह तक डालना चाहिये, इससे बहरेपन में अत्यन्त लाभ होगा ।