(1) दोनों प्रकार की डायबिटीज में कारगर है एलोवेरा : यह एक सजावटी पौधा है, जिसमें अनेक मिनरल, विटामिन, अमीनो एसिड, फोलिक एसिड, जिंक, मैग्नीशियम, कैल्शियम, कॉपर, आयरन आदि होते हैं। डायबिटीज के रोग को नियंत्रित करने के लिए एलोवेरा का नाम खास तौर से लिया जाता है। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि एलोवेरा का जैल या जूस खून में ग्लूकोज को बखूबी कम करके डायबिटीज के रोगी को राहत देता है। एलोवेरा की यह क्रियाशीलता इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलीटस (आईडीडीएम) और नॉन इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलीटस (एनआईडीडीएम) यानी दोनों ही स्थितियों में कामयाब पाई गई है।
नॉन इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलीटस (आईडीडीएम) : इसे टाइप 2 डायबिटीज या एडल्ट ऑनसेट डायबिटीज भी कहते हैं। यह मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी की वजह से होती है यानी या तो इंसुलिन कम बनता है या बनता है तो शरीर उसका सही इस्तेमाल नहीं कर पाता। इंसुलिन के काम में बाधा आने से खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। 90 फीसदी मामलों में लोगों को टाइप 2 डायबिटीज ही होती है। आम तौर पर प्रारंभिक स्तर पर यह नियमित व्यायाम और खान-पान में बदलाव करके नियंत्रण में आ सकती है। जब यह इन तरीकों से नियंत्रण में नहीं आती तो फिर दवाई या इंसुलिन की जरूरत पड़ती है।
खास बात : इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलीटस (आईडीडीएम) : इसे टाइप 1 डायबिटीज, जूविनाइल डायबिटीज भी कहते हैं। इसमें शरीर में मौजूद पैनक्रियाज में इंसुलिन के उत्पादन में कमी आ जाती है। इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है, जो खून से शुगर (ग्लूकोज) को शरीर की कोशिकाओं को देने का काम करता है। जब इंसुलिन की कमी होती है तो खून और पेशाब में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस प्रकार के रोग में बार-बार पेशाब लगता है, भूख-प्यास बढ़ जाती है और वजन घट जाता है।
(2) ब्लड शुगर पर लगाम कसती है ग्रीन टी : ग्रीन टी में ऐसे एंटी ऑक्सीडेंट हैं, जो विटामिन सी और विटामिन ई से भी बेहतर माने जाते हैं। इसका पॉलीफिनोल नाम का एंटी ऑक्सीडेंट बढ़ती उम्र पर लगाम लगाता है। ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ने से रोककर यह डायबिटीज में बहुत फायदा करती है। ग्रीन टी के साथ ही ब्लैक टी भी डायबिटीज में लाभकारी है। ग्रीन टी और ब्लैक टी का ज्यादा लाभ लेने के लिए इनमें दूध और चीनी का कम-से-कम इस्तेमाल करें।
खास बात : 2012 में एक बड़े अध्ययन में पाया गया कि 50 देशों में उन स्थानों पर टाइप 2 डायबिटीज के मामले उल्लेखनीय ढंग से कम पाए गए, जहां लोग ब्लैक टी का ज्यादा सेवन करते है। इसका कारण यह माना गया कि संभवतः ब्लैक टीम में मौजूद फ्लेवोनॉयड्स, अग्नाशय (पैनक्रियाज) की इंसुलिन पैदा करने वाली कोशिकाओं के पुनर्गठन करने का काम करते हैं। इसलिए डायबिटीज के मामले में आप रोजाना तीन से चार कप ब्लैक या ग्रीन टी पी सकते हैं।
(3) ब्लड शुगर को बेचैन नहीं होने देती चना दाल : डायबिटीज में चना दाल बहुत उपयोगी है। वास्तव में ज्यादातर खाने की चीजें शरीर में जाने के कुछ समय बाद ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ाती हैं, इसलिए डायबिटीज के रोगी के सामने समस्या होती है कि वह क्या खाए, जिससे ब्लड शुगर का स्तर न बढ़े। इसीलिए विशेषज्ञ ऐसी चीजों की तलाश में रहते हैं, जो खाने के बाद ब्लड शुगर का स्तर न बढ़ाएं। इसी खोज के दौरान लोगों की नजर चना दाल पर पड़ी तो उन्हें यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि चना दाल ब्लड शुगर के स्तर पर लगभग नहीं के बराबर असर डालती है और यह पौष्टिक होने के साथ ही खाने में भी स्वादिष्ट होती है। डायबिटीज से जुड़े ग्लाइसेमिक इंडेक्स में सबसे नीचे स्थान पाने वाली चीजों में चना दाल भी शामिल है।
खास बात : ग्लाइसेमिक इंडेक्स : यह सूचकांक हमें बताता है कि खाने की कौन-सी चीज ब्लड शुगर का स्तर बहुत ज्यादा और कौन-सी चीज ब्लड शुगर का स्तर कम बढ़ाती है। इसमें ग्लूकोज (चीनी) का सूचकांक 100 है तो चना दाल का केवल 5 है।
(4) डायबिटीज में बहुत ही असरदार हैं आम की पत्तियां : आम की पत्तियां डायबिटीज में बहुत कारगर हैं। 15-16 आम की पत्तियों को एक कप पानी में उबाल लें। अब इन पत्तियों को रात भर पानी में ही रहने दें। उसके बाद सुबह के वक्त पानी को छान लें और खाली पेट पी जाएं।
(5) करेले को देख उछल-कूद नहीं करती ब्लड शुगर : डायबिटीज के मामले में करेला बहुत काम की चीज है। यह शरीर में जाकर ब्लड शुगर के स्तर को कम करने के लिए जाना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, 50 से 60 मिलीलीटर करेले के जूस का यदि नियमित सेवन किया जाए तो यह डायबिटीज में कमाल का फायदा पहुंचाता है। इसके अलावा यह भी कर सकते हैं कि एक करेला लें और बीज निकालकर इसे एक कप पानी में डुबो दें। रात भर इसे पानी में रखें। सुबह उठकर पानी को छान लें और खाली पेट पी जाएं। रोग की स्थिति में नियमित ऐसा करें। बहुत फायदा होगा। कम तेल, मसाले में बनी इसकी सब्जी भी फायदा देगी।
सावधानी : करेले के मामले में लौकी के जूस वाली सावधानी रखें यानी एक तो करेले का जूस ज्यादा देर का न हो, दूसरे यदि वह असामान्य रूप से ज्यादा कड़वा लगता है तो न पीएं। ऐसी स्थिति में वह जहरीला हो सकता है।
खास बात : चैरेंटिन : करेले में एक विशेष पदार्थ ‘चैरेंटिन’ होता है, जो ब्लड शुगर को कम करने का काम करता है और शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाता है। खास बात यह है कि करेला पूरे शरीर में ग्लूकोज के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है, जबकि दवाइयां केवल विशेष अंग या ऊतकों पर ही असर डालती हैं। करेले में खून की सफाई करने की भी विशेषता है।
(6) फैट, कोलेस्ट्रॉल बिना, तरबूज है फायदे से सना : तरबूज धमनियों के रोगों के साथ ही डायबिटीज में भी फायदेमंद है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन भी इस फल की सिफारिश करता है। इसमें फैट और कोलेस्ट्रॉल दोनों ही नहीं हैं। इसमें पोटेशियम होने से यह मांसपेशियों और नाड़ी-तंत्र को भी सचारू बनाता है। इसमें विटामिन ए, बी, सी और के होने से इसके फायदे और भी बढ़ जाते हैं। इसमें प्राकृतिक मीठा है, मगर कैलोरी बहुत कम है।
(7) प्लैंटेन के छिलके वाला पानी, बदलेगा कहानी : सब्जी में इस्तेमाल होने वाला हरे केले (प्लैंटेन) का छिलका डायबिटीज में बहुत काम का माना गया है। इसके उपयोग के लिए हरे केले के छिलके को उतार लें। उसके बाद इसे अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर इसे पानी में डुबो दें और बर्तन को बंद कर दें। रात भर पानी में रखा रहने दें। सुबह को पानी को छान लें और दिन में तीन बार इस पानी का सेवन करें।
खास बात : पका केला भी डायबिटीज में लाभकारी है। चूंकि इसमें नमक कम और पोटेशियम ज्यादा होता है, इसलिए यह ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में बहुत कारगर है।
(8) मेथी को लिया तो समझो इंसुलिन का सेवन किया : मेथी के दाने (बीज) डायबिटीज में कमाल का फायदा पहुंचाते हैं। रात में एक चम्मच मेथी के दाने एक कप पानी में भिगो दें। सुबह को खाली पेट इस पानी को पी जाएं और दाने को खा जाएं। विशेषज्ञ डायबिटीज के मामले में करीब 25 ग्राम मेथी के बीज रोज खाने की सलाह देते हैं। यहां दिए तरीके के अलावा इसे पाउडर के रूप में भी लिया जा सकता है।
खास बात : हाइड्रॉक्सीसोलेयुसिन : विशेषज्ञों के अनुसार शरीर में जाकर मेथी इंसुलिन जैसा ही प्रभाव दिखाती है, जिससे यह डायबिटीज में दवा जैसा काम करती है। विशेषज्ञों ने पाया है कि मेथी के बीज में एक ऐसा अमीनो एसिड होता है, जो स्तनधारियों के ऊतकों में नहीं मिलता है। इसका नाम 4-हाइड्रॉक्सीसोलेयुसिन है। माना जा रहा है कि यही अमीनो एसिड पैनक्रियाज (अग्नाशय) में इंसुलिन पैदा करने वाली कोशिकाओं को उत्तेजित करके इंसुलिन का स्तर बढ़ा देता है।
(9) लौकी भी है लाभकारी और गुणकारी : लौकी प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और मिनरल से भरपूर होती है। यह पित्त को बाहर निकालती है और शरीर में तनाव को कम करती है। इमसें बहुत कम कैलोरी और फैट होती है। इसमें विटामिन बी और सी के अलावा आयरन, सोडियम और पोटेशियम भी होते हैं। यह डायबिटीज में भी लाभकारी है, क्योंकि यह शरीर में जरूरी तरल की कमी नहीं होने देती है।
(10) डायबिटीज से दूर रखता है सेब और सेब का सिरका : एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर यानी अनेक बीमारियों से बचाव । पेक्टिन नाम का फाइबर हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह डायबिटीज का खतरा कम करता है, कोलेस्ट्रॉल घटाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह हर लिहाज से डायबिटीज में अच्छा है। सेब को छिलके के साथ खाने से डायबिटीज में इसका पूरा फायदा मिलता है। एप्पल सिडर विनेजर (सेब के आसव का सिरका) यानी सेब का सिरका भी डायबिटीज पर नियंत्रण के लिए बहुत अच्छा माना गया है। विशेषज्ञ इसकी दो चम्मच मात्रा दिन में तीन बार लेने की सलाह देते हैं।
(11) फलीदार सब्जियां (बींस) यानी बीमारी की आशंका कम : इनमें भरपूर फाइबर होते हैं। इसके अलावा एंटी ऑक्सीडेंट, प्रोटीन, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, कॉपर, जिंक और विटामिन बी, सी भी बींस में पाए जाते हैं। बींस डायबिटीज की आशंका घटाते हैं। इनमें कैलोरी भी काफी कम होती है।
(12) कमाल करता है शिमला मिर्च का कैप्सेइसिन : विटामिन ए, ई, बी और सी से भरपूर मगर कैलोरी में बहुत कम यानी सख्त रोग प्रतिरोधी। इनमें एक तत्व होता है कैप्सेइसिन, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और डायबिटीज को काबू में रखता है।
(13) डायबिटीज के पूरी तरह खिलाफ है फूलगोभी : फूलगोभी विटामिन सी और मैग्नीशियम के लिए जानी जाती है और ये दोनों ही एंटी ऑक्सीडेंट के गुण रखते हैं। इसके अलावा भी फूलगोभी में अनेक फाइटोन्यूट्रिएंट होते हैं, जो बड़े काम के हैं। इसमें ओमेगा-3 फैट्स और विटामिन भी पाया गया है, जो डायबिटीज के खिलाफ काम करते हैं। न इसमें कोलेस्ट्रॉल होता है और न संतृप्त वसा।
(14) ब्लड शुगर को बेकाबू नहीं होने देता तुलसी का बीज : ये ओमेगा-3 फैट्स, प्रोटीन, हेल्दी फैट और फाइबर से भरपूर होते हैं। ओमेगा-3 फैट्स और फाइबर हाई कोलेस्ट्रॉल को घटाते हैं। ये हाई ब्लड शुगर को भी नियत्रित करते हैं।
(15) इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ाता है जैतून का तेल : जानकार जैतून के तेल के सौ से भी ज्यादा फायदे बताते हैं। यह इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ाकर डायबिटीज से भी हमारी रक्षा करता है।
(16) इंसुलिन की कोशिका के लिए अलसी है उम्मीद : यह ओमेगा-3 फैट्स, डायटरी फाइबर, पोटेशियम और अन्य अनेक पोषक तत्वों का घर है। ओमेगा-3 फैट्स चूंकि हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं के जरूरी तत्व होते हैं, इसलिए अलसी का बीज और तेल एक तरह से हमें संपूर्ण स्वास्थ्य देने का काम करता है। एक अध्ययन के अनुसार ओमेगा-3 फैट्स की कमी भारी भोजन और भाग दौड़ वाली जिंदगी में लोगों पर बहुत भारी पड़ती है। अलसी का सेवन डायबिटीज का खतरा कम करता है।
(17) ओट्स और मल्टीग्रेन ब्रेड के फाइबरों से होगा फायदा : ओट्स में मुख्य रूप से जौ, अन्य अनाज और उनके दलिया आते हैं। ओट्स प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, मैगनीज और विटामिन बी से भरपूर होते हैं। ये हड्डियों का विकास करते हैं और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। अनाजों के बीच ओट्स में सबसे ज्यादा घुलनशील फाइबर होते हैं, जिससे ये बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। इन्हीं फाइबरों की वजह से ओट्स डायबिटीज में भी बहुत राहत देते हैं। ओट्स का मतलब यह भी है कि डायबिटीज में हम प्रोसेस अनाज (मैदा, चावल) के बजाय यदि साबुत अनाज ज्यादा खाएं तो हमें निश्चित ही फायदा होगा। इसलिए दलिया के अलावा यदि ब्रेड खा रहे हैं तो ब्राउन ब्रेड और मल्टीग्रेन ब्रेड ही खाएं। इसी तरह से साधारण गेहूं की रोटी के बजाय सभी अनाजों से बनी रोटी (मिस्सी रोटी) भी डायबिटीज में फायदा करेगी।
(18) डायबिटीज में कद्दू भी कमाल है : कद्दू में भरपूर फाइबर होते हैं और कैलोरी काफी कम होती है। कद्दू में केले से भी ज्यादा मैग्नीशियम होता है, जिससे यह परिश्रम का काम करने के बाद शरीर में इलेक्ट्रोलाइट के संतुलन को कायम रखता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। कद्दू के बीज में आसानी से पचने योग्य प्रोटीन होते हैं, जो ब्लड शुगर को काबू में रखते हैं।
(19) ब्राउन राइस का ग्लाइसेमिक रेट है बहुत कम : भूरे चावल सफेद चावल का अपरिष्कृत (अनरिफाइंड) रूप होते हैं। इनमें प्रोटीन, थिएमाइन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम, पोटेशियम और फाइबर पाए जाते हैं। डायबिटीज का खतरा बहुत हद तक कम करने के लिए ब्राउन राइस बढ़िया माने जाते हैं, क्योंकि इनमें ग्लाइसेमिक रेट बहुत कम होता है और ये ब्लड शुगर को पूरी तरह नियंत्रण में रखते हैं। इसके विपरीत सफेद चावल डायबिटीज को आमंत्रण देता है।
(20) ब्लड शुगर घटाती हैं हरी पत्तेदार सब्जियां : पालक में भरपूर डायटरी फाइबर होते हैं, जो कब्ज को दूर रखते हैं तथा ब्लड शुगर को घटाते हैं और हमें ज्यादा खाने से भी रोकते हैं। पालक रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
(21) नाशपाती से नाखुश रहती है बीमारी : नाशपाती में फाइबर, विटामिन बी, सी, ई और कॉपर, पोटेशियम का भंडार होता है, जिससे यह सेहत के लिए बहुत लाभकारी है। नाशपाती में पेक्टिन नाम का फाइबर आम से भी ज्यादा होता है, जिससे यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। बढ़िया फाइबर होने से यह ब्लड शुगर को भी काबू में रखता है।
(22) शुगर को शांत रखने पर मजबूर करते हैं नट्स : 2010 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, नियंत्रित मात्रा (50-55 ग्राम रोज) में बादाम का सेवन हाई ब्लड शुगर को कम करता है, इंसुलिन की बाधा को हटाता है और खराब कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है। अध्ययन के दौरान बादाम का सेवन करने वाले लोगों में बादाम नहीं लेने वाले लोगों के मुकाबले इंसुलिन का स्तर बेहतर पाया गया और बीटी सेल के काम में भी सुधार देखा गया है। अध्ययन का निष्कर्ष यह था कि अनसेचुरेटिड फैट और हाई फाइबर होने से बादाम टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम करता है। साथ ही यह दिल की बीमारी की आशंका भी कम करता है। डायबिटीज के मामले में बादाम को खाने का अच्छा तरीका यह है कि इन्हें पानी में भिगोकर रखें और फिर सुबह के वक्त खाएं। बादाम के साथ ही अखरोट में भी ऐसी ही विशेषता पाई गई है।
(23) रोग के हर कारक पर असर डालती है दालचीनी : वैज्ञानिकों ने दालचीनी में ऐसी विशेषता पाई है कि यह मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़े हर कारक को प्रभावित करती है। इंसुलिन प्रतिरोध, ग्लूकोज और लिपिड के स्तर में बढ़ोतरी, एंटी ऑक्सीडेंट की क्षमता का घटना, सूजन, ब्लड प्रेशर और वजन बढ़ने जैसी तमाम समस्याओं पर दालचीनी का असर बहुत ही सकारात्मक पाया गया है। इसलिए भोजन पकाने में, मसाला चाय में, दलिया में डालकर इसका सेवन करें। केले के टुकड़ों पर इसका पाउडर छिड़ककर भी खाया जा सकता है। चूंकि इसमें मिठास होती है, इसलिए इसके पाउडर का इस्तेमाल चीनी के विकल्प के रूप में भी किया जा सकता है।
(24) पुदीने को फुसला नहीं पाती बीमारी : इसमें विटामिन ए, सी, बी-12, राइबोफ्लविन, फोलिक एसिड, थिएमिन होता है। इसके अलावा इसमें पोटेशियम, कैल्शियम, कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, सेलेनियम, फ्लोराइड और फास्फोरस जैसे खनिज तत्व भी होते हैं। इसमें बीटा कैरोटीन होता है, जो डायबिटीज में बहुत काम की चीज है। डायबिटीज में सूजन, अपच, नाड़ी (नव) संबंधी समस्याएं भी पैदा होती हैं। पुदीने का सेवन इन समस्याओं को दूर करता है।
(25) सिंघाड़ा है रोगी के लिए आदर्श फल : डायबिटीज के रोगी के लिए सिंघाड़ा एक आदर्श फल है। समस्या बस यही है कि यह मौसमी फल है और पूरे साल खाने को नहीं मिलता। सिंघाड़ा अनेक पोषक तत्वों (कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, जिंक, विटामिन बी, फाइबर) का घर है, मगर कैलोरी में बहुत ही कम है। इसे वसारहित भी कहें तो गलत नहीं होगा। इसकी आधा कप की मात्रा में केवल 0.1 ग्राम फैट होती है यानी यह रोगी का पेट भी भरेगा और कोई बुरा प्रभाव भी नहीं डालेगा।
डायबिटीज में नुकसानदायक पदार्थ
चीनी, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री, क्रीम रोल, जैली, बिस्कुट, मिठाइयां, सॉस, कैचअप, मांस, डीप फ्राई किया भोजन, चिप्स, सॉफ्ट ड्रिंक, कोक ड्रिंक, पास्ता, ब्रेड, मीठे फल, आटे से बने उत्पाद, आलू, गाजर, कॉर्न, ज्यादा प्याज, टमाटर का सॉस, डिब्बाबंद सब्जियां, क्रीमयुक्त दूध, मीठी दही, पनीर आदि।
(1) ज्यादा चीनी : ज्यादा चीनी पैनक्रियाज पर बहुत ज्यादा बोझ डालती है, जिससे उसकी इंसुलिन पैदा करने की क्षमता पर असर पड़ता है। इंसुलिन के अभाव में शरीर शुगर को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल नहीं कर पाता। इससे डायबिटीज होती है और यदि पहले से डायबिटीज हैं तो हालत और खराब हो सकती है।
(2) कॉफी : चूंकि कॉफी में मौजूद कैफीन ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ाती है, इसलिए कॉफी डायबिटीज में नुकसान करती है।
(3) धूम्रपान : सिगरेट में मौजूद निकोटिन, एड्रीनेलाइन और नॉनएड्रोनेलाइन के बहाव को उत्तेजित करता है। इसके फलस्वरूप लिवर और मांसपेशियां खून में ज्यादा ग्लूकोज डिस्चार्ज करती हैं। नतीजतन ब्लड शुगर लेवर को नियंत्रित करने के लिए पैनक्रियाज को बार-बार इंसुलिन भेजना पड़ता है। इससे उसकी क्षमता कम होती है और नतीजा डायबिटीज के रूप में सामने आता है।
(4) शराब : चूंकि शराब लिवर पर बुरा असर डालती है, खून में फैट का स्तर बढ़ाती है, साथ ही शरीर में मौजूद विटामिन बी और सी को नष्ट कर देती है, इसलिए डायबिटीज में इसका सेवन ठीक नहीं है। शराब-सिगरेट एक साथ लेने से स्थिति और भी खराब हो सकती है।
(5) रिफाइंड अनाज (मैदा और पॉलिश्ड चावल) : फाइबर के नष्ट होने से मैदा से बनने वाले पदार्थ और पॉलिश्ड चावल समेत सभी प्रकार के रिफाइंड अनाज ब्लड शुगर का लेवल तेजी से बढ़ाते हैं, इसलिए इनका सेवन डायबिटीज में नुकसानदायक है।
(6) फैट (चिकनाई) और तला भोजन : तेल या घी में तले पदार्थों में फैट और ऊर्जा (कैलोरी) का स्तर बहुत बढ़ जाता है। शरीर में जाकर यह अतिरिक्त कैलोरी भी फैट में बदल जाती है।