नेट्रम कार्बोनिकम के लक्षण तथा मुख्य-रोग
( Natrum Carb Uses In Hindi )
इस लेख में हम समझेंगे कि Natrum Carb का रोगी कैसा होता है, किस लक्षण के आधार पर रोगी को Natrum Carb दिया जा सकता है।
Natrum Carb का एक खास लक्षण है कि रोगी थोडे से भी मानसिक-परिश्रम से थक जाता है। सोच-विचार नहीं सकता, मानसिक-कार्य नहीं कर सकता, अगर मानसिक-कार्य करना पड़ जाय, तो थक जायेगा
सिर-दर्द होने लगता है, चक्कर आने लगता है। अगर इस दवा का सिर्फ यही लक्षण होता, तो भी यह दवा बहुमूल्य होती क्योंकि हमें ऐसे अनेक रोगियों से आये-दिन वास्ता पड़ता रहता है जिनका दिमाग हर समय थका रहता है।
ऐसी शिकायतों में इस नेट्रम कार्बोनिकम 30 शक्ति का प्रयोग करने से सफलता मिल जायेगा।
इस दवा का एक लक्षण यह भी है कि रोगी को परिवार के लोगों, मित्रों आदि से उदासीनता हो जाती है। वह मानव-समाज से अलग रहना चाहता है। समाज के लोगों से मेल-जोल बनाये रखने की इच्छा नहीं रहती।
उसे अपने में और घर-बार के या दुनियां के अन्य लोगों में ऐसी खाई दिखलाई देती है कि उसे भरना संभव नहीं होता। किन्हीं खास-खास लोगों की तो वह शक्ल भी नहीं देखना चाहता।
परिवार के लोगों के प्रति इस प्रकार की उदासीनता सीपिया में भी पायी जाती है। Natrum Carb की उदासीनता इतनी अधिक होती है कि संगीत सुनने से उसे रोना आता है, दु:ख होता है, आत्म-घात करने की भावना जागृत होती
जितने नेट्रम (सोडियम) हैं, सब में इस प्रकार की खिन्न मनोवृत्ति पायी जाती है, परन्तु नेट्रम कार्ब में ऐसी खिन-चित्त वृत्ति मुख्य तौर पर है।
जिन लोगों को सूर्य की गर्मी से सिर-दर्द हो जाता है, उन्हें नेट्रम कार्ब से लाभ होता है। सूर्य की गर्मी से सिर-दर्द ग्लोनॉयन, लैकेसिस तथा लाइसीन में भी पाया जाता है। पहली दो का वर्णन तो हम यथा-स्थान कर आये हैं, लाइसीन का वर्णन नहीं किया।
लाइसीन का सिर-दर्द बहते पानी की आवाज या चमकीली रोशनी से बढ़ जाता है।
कई लोगों का नजला बहुत पुराना हो जाता है, नाक के नजले का रेशा नाक के पिछले भाग से होता हुआ गले में गिरता रहता है, रोगी जोर से खांसा करता है
गाढ़ा श्लेष्मा गले से निकलता है, और जितना निकलता है उतना ही फिर नाक के जरिये गले में जाकर इकट्ठा हो जाता है।
नेट्रम कार्ब तथा ब्रायोनिया में ठंडे स्थान से गर्म स्थान में जाने से खांसी-जुकाम आदि का रोग हो जाता है या बढ़ जाता है। रुमैक्स में इससे उल्टा है। उसमें गर्म स्थान से ठंडे स्थान में जाने से खांसी-जुकाम आदि रोग बढ़ जाता है।
कई स्त्रियां अपनी शारीरिक अवस्था के कारण गर्भवती नहीं हो पातीं, उनके योनि-द्वार को संकुचित करने वाली मांसपेशी इतनी ढीली और शिथिल होती है कि पुरुष की वीर्य अन्दर रहने के बजाय बाहर बह जाता है।
उनके गर्भ धारण नहीं करने का यही कारण है। ऐसे स्त्रियों को नेट्रम कार्ब देनी चाहिए।
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Natrum Carb के 5 मुख्य पॉइंट्स को धयान में रखना चाहिए :-
- संगति से घृणा, यहाँ तक कि प्रियजनों से भी। लोगों का सामना करने से डर लगता है। गर्मियों में , सूर्य की रौशनी में सिर दर्द
- रोगी को ठंड लगती है, ठंडक का एहसास होता है, खुली हवा से घृणा होती है, घर के अंदर आराम होता है, ढकने से आराम मिलता है। गर्मियों में सिर्फ सिर दर्द होता है।
- जरा-सा खाने से पेट खराब हो जाना। खाने के बाद पेट में दर्द कम हो जाता है लेकिन खाने से दस्त भी हो जाता है। इसका रोगी दूध बिलकुल नहीं पचा पाता है।
- अत्यधिक प्यास लगती है।
रोगी के लक्षण और रोग | लक्षणों में कमी से रोग में वृद्धि |
दिमाग की थकावट; मानसिक कार्य न कर सकना | भोजन के बाद रोग में कमी |
परिवार के लोगों से उदासीनता | मलने और घसने पर कमी |
संगीत सुनने से उदासी छा जाती है | लक्षणों में वृद्धि |
सूर्य की गर्मी और गैस की रोशनी से सिर-दर्द | धूप से, ठंड से रोग में वृद्धि |
पुराना-नजला जिसमें रेशा गले में गिरे | गैस क प्रकाश से वृद्धि |
ठंडे स्थान से गर्म स्थान में जाने से खांसी आदि में वृद्धि | |
प्रेग्नेंसी में समस्या आती है | मानसिक-श्रम से रोग में वृद्धि |
बच्चों के टखनों की कमजोरी और मोच आ जाना | संगीत से रोग में वृद्धि |
(1) मस्तिष्क की थकावट; मानसिक कार्य न कर सकना – रोगी थोडे से भी मानसिक-परिश्रम से पस्त हो जाता है। सोच-विचार नहीं सकता, मानसिक-कार्य नहीं कर सकता, अगर मानसिक-कार्य करना पड़ जाय, तो थक जाता है, सिर-दर्द होने लगता है, चक्कर आने लगता है। अगर इस औषधि का सिर्फ यही लक्षण होता, तो भी यह औषधि बहुमूल्य होती क्योंकि चिकित्सक को ऐसे अनेक रोगियों से आये-दिन वास्ता पड़ता रहता है जिनका दिमाग हर समय थका रहता है। डॉ० नैश का कथन है कि वे ऐसी शिकायतों में इस नेट्रम कार्बोनिकम 30 शक्ति का प्रयोग सफल पाते रहे हैं। मस्तिष्क की थकावट में अर्जेन्टम नाइट्रिकम भी उपयोगी है। अर्जेन्टम नाइट्रिकम व्यापारियों, विद्यार्थियों तथा मानसिक कार्य करने वालों, सिनेमा के एक्टरों आदि के लिए जिनका मन उत्तेजित रहता है, उपयुक्त है।
(2) परिवार के लोगों से उदासीनता – इस औषधि का एक लक्षण यह भी है कि रोगी को परिवार के लोगों, मित्रों आदि से उदासीनता हो जाती है। वह मानव-समाज से पृथक रहना चाहता है। समाज के लोगों से मेल-जोल बनाये रखने की इच्छा नहीं रहती। उसे अपने में और घर-बार के या दुनियां के अन्य लोगों में ऐसी खाई दिखलाई देती है कि उसे पाटना संभव नहीं जान पड़ता। किन्हीं खास-खास लोगों की तो वह शक्ल भी नहीं देखना चाहता। परिवार के लोगों के प्रति इस प्रकार की उदासीनता सीपिया में भी पायी जाती है।
(3) संगीत से शोकातुर होना – उदासीनता इतनी उग्र हो जाती है कि संगीत सुनने से उसे रोना आता है, दु:ख होता है, भय लगता है, आत्म-घात करने की भावना जागृत होती है। संगीत से इतना चित्त खिन्न हो जाता है कि धार्मिक-पागलपन सवार हो जाता है। जितने नेट्रम (सोडियम) हैं, सब में इस प्रकार की खिन्न मनोवृत्ति पायी जाती है, परन्तु नेट्रम कार्ब में ऐसी खिन-चित्त वृत्ति मुख्य तौर पर है।
(4) सूर्य की गर्मी और गैस की रोशनी से सिर-दर्द – जिन लोगों को सूर्य की गर्मी से सिर-दर्द हो जाता है, उन्हें नेट्रम कार्ब से लाभ होता है। अगर गैस की रोशनी से सिर-दर्द होने लगे, तब इससे लाभ होता है। सूर्य की गर्मी से सिर-दर्द ग्लोनॉयन, लैकेसिस तथा लाइसीन में भी पाया जाता है। पहली दो का वर्णन तो हम यथा-स्थान कर आये हैं, लाइसीन का वर्णन नहीं किया। यह औषधि पागल कुत्ते की लार से शक्तिकृत की गई है। डॉ० हेरिंग ने इसकी परीक्षा-सिद्धि (Proving) की थी। लाइसीन का सिर-दर्द बहते पानी की आवाज या चमकीली रोशनी से बढ़ जाता है।
(5) पुराना-नजला जिसमें रेशा गले में गिरे – कई लोगों का नजला बहुत पुराना हो जाता है, नाक के नजले का रेशा नाक के पिछले भाग से होता हुआ गले में गिरता रहता है, रोगी जोर से खांसा करता है, गाढ़ा श्लेष्मा गले से निकलता है, और जितना निकलता है उतना ही फिर नाक के जरिये गले में जाकर इकट्ठा हो जाता है।
(6) ठंडे स्थान से गर्म स्थान में जाने से खांसी आदि में वृद्धि – इस प्रकरण में यह लिख देना आवश्यक है कि नेट्रम कार्ब तथा ब्रायोनिया में ठंडे स्थान से गर्म स्थान में जाने से खांसी-जुकाम आदि का रोग हो जाता है या बढ़ जाता है। रुमैक्स में इससे उल्टा है। उसमें गर्म स्थान से ठंडे स्थान में जाने से खांसी-जुकाम आदि रोग बढ़ जाता है।
(7) प्रेग्नेंसी में समस्या आती है – कई स्त्रियां स्नायु-प्रधान (Nervous) होती हैं, हाथों में कोहनियों तक और पैरों में घुटनों तक ठंडी रहती हैं। वे अपनी शारीरिक अवस्था के कारण गर्भवती नहीं हो पातीं, उनके योनि-द्वार को संकुचित करने वाली मांसपेशी इतनी ढीली और शिथिल होती है कि पुरुष की वीर्य अन्दर रहने के बजाय बाहर बह जाता है। उनके वन्ध्यात्व का यही कारण है। इस प्रकार की स्नायु-प्रधान, शिथिलांग स्त्रियों के वन्ध्यात्व की नेट्रम कार्ब दूर कर देता है।
(8) बच्चों के टखनों की कमजोरी और मोच आ जाना – चलते हुए घुटने के पीछे के खोल में दर्द, घुटने के घुमाव में बोझ या दर्द, कमजोरी की वजह से बच्चों के टखनों में मोच आ जाना, चलने के समय पैर टेढ़े हो जाना – ये इसके लक्षण हैं।
(9) शक्ति तथा प्रकृति – 6, 30, 200 ( औषधि ‘सर्द’-प्रकृति लिये है; रोगी दूध नहीं पचा सकता )