रक्तप्रदर, अत्यधिक स्वेत-प्रदर का स्राव, रक्तमय प्रेसवान्तिक क्लेदस्राव, थोड़ा हिलने से ही वृद्धि होती है। मूत्र-यन्त्र के प्रदाह के साथ ल्यूकोरिया, गर्भिणी के दुर्बल जरायु, थोड़ी सी बात में ही रक्तस्राव होने लगता है। अत्यंत भयानक रूप से पेट फूल उठने में 1 ड्राम इरिजिन ऑयल व एक अण्डे का पीला भाग एक पाइण्ट दूध के साथ मिलाकर मलद्वार में एनिमा देने पर फायदा होगा। पेट फूलने में 1x सेवन कराना चाहिए।
यह औषधि रक्तरोधी तथा रक्तस्रावी दोनों ही प्रकार की क्रिया करती है। जरायु से रक्तस्राव होने के साथ दर्दनाक मूत्रण, अधिक मात्रा में चकमदार लाल रक्त, मूत्राशय से अविराम रक्तस्राव, पेचिश होने के साथ मूत्राशय में दाहक पीड़ा और जलन होना, बाएं डिम्बाशय तथा कूल्हे में दर्द, पुराना सूजाक के साथ जलनशील मूत्रण, पेशाब का बूंद-बूंद टपकते रहना, प्रचुर प्रदर, रक्तिम, सूतिस्राव (bloody lochia) जो जरा सी हरकत करने से भी वापस लौट जाता है, रक्तप्रदर के साथ मलाशय और मूत्राशय का प्रचण्ड क्षोभ एवं जरायुभ्रंश। चमकता हुआ लाल रक्तस्राव, ऋतुस्रावों की मध्यवर्ती अवधि के दौरान प्रदरस्राव होने के साथ मूत्रांगो का शोथ, खूनी बवासीर, ऋतुस्राव के बदले नाक से खून जाने लगता है।
सम्बन्ध – टेरीबिथिना
मात्रा – मूलार्क से 3 शक्ति तक।