इसमें भी ठीक लैपटेण्ड्रा के समान काले रंग का दस्त होता है, पर जो बहुत दिनों से सविराम ज्वर इत्यादि भोग रहे हों और जिनका पेट प्लीहा से भरा हो, उनकी बीमारियों में – यह अधिक फायदेमंद है। पाकस्थली की किसी भी बीमारी में वमन, मिचली, उत्ताप से उपसर्गों का बढ़ना और वमन से घटना, काले रंग के दस्त ( black stools ), मुंह में सूखापन इत्यादि लक्षण पाए जाएं तो हैलियांथस का प्रयोग करें।
सर्दी, जुकाम, नजला, नकसीर तथा नाक के अंदर मोटी पपडियां। सविराम ज्वर की जीर्ण अवस्थाएं। बाएं घुटने में आमवाती दर्द, वमन, काला पाखाना, त्वचा की लाली व गर्मी। इसके रोगी के गर्मी से लक्षण बढ़ जाते हैं और वमन हो जाने पर घट जाते हैं। आमाशयिक लक्षणों पर जब मितली और वमन की अवस्था गतिशील रहती है तब यह औषधि प्रभावी क्रिया करती है। मुंह खुश्क, काला पाखाना। कैलेण्डुला और आर्निका के समान ही इसका बाह्य प्रयोग भी किया जाता है।
मात्रा – पहली शक्ति से 30 शक्ति तक।