मस्तिष्क के बाहरी अंश के रोग अथवा चोट के कारण आवाज बन्द हो जाने को ‘स्वर-लोप’ कहते हैं।
इस रोग में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग हितकर सिद्ध होता है :-
चेनोपोडियम 3x, 6, 30 – यहं ‘स्वर-लोप’ की उत्तम अौषधि मानी जाती है । इसे प्रति 4 घण्टे बाद देनी चाहिए ।
ऐनाकार्डियम 30 – स्वर-लोप के साथ ही मानसिक-शक्ति का ह्रास या पक्षाघात के लक्षण भी हों तो इसे देना हितकर है ।
स्ट्रैमोनियम 30 – स्वर-लोप के साथ ही, रोगी देर तक किसी शब्द का उच्चारण न कर सके तो यह औषध लाभ करती है । यह हकलाने की भी श्रेष्ठ दवा है । बहुत कोशिश के बाद एकाध शब्द का उच्चारण कर पाने की स्थिति में भी इसका प्रयोग करना चाहिए ।
कालि-ब्रोम 30 – यदि स्वर-लोप के साथ ही रोगी को शब्दों के अर्थ का ज्ञान भी न रहे तो इसे देना चाहिए ।
लाइकोपोडियम 30 – बहरेपन के कारण स्वर-लोप में यह हितकर है ।
आरम अथवा नाइट्रिक एसिड 6 – पारे के अपव्यवहार के कारण हुए स्वरलोप में इनमें से किसी भी एक औषध का प्रयोग करना चाहिए ।