अत्यधिक अनुभव करने को अति-सम्वेदनशीलता कहते हैं । इसी का एक रूप एलर्जी है । जो वस्तुएँ अनेक लोगों के लिए रुचिकर होती हैं, उनमें से वे ही वस्तुएँ किसी-किसी को सहन नहीं हो पाती हैं । उस अत्यधिक असहनशीलता अर्थात् एलर्जी के कारण उसे किसी न किसी शारीरिक-कष्ट, जैसे-पित्ती उछल आना, सिर-दर्द, शरीर में दाने निकल आना तथा दमा हो जाना आदि का शिकार बन जाना पडता है । अति सम्वेदनशीलता में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ लाभ करती हैं :-
बेलाडोना 3, 30 – तनिक भी कोलाहल, शोर, पत्तों की खड़खड़ाहट, हल्की सी आवाज तथा हल्की रोशनी को भी सहन न कर पाना ।
काफिया 200 – शरीर में कहीं भी कष्ट या दर्द होने पर उस जगह किसी भी वस्तु के जरा से स्पर्श को भी सहन न कर पाना ।
ऐसेरम यूरोपम 3, 6 – जरा-सा भी कर्कश शब्द, कागज की सरसराहट एवं रेशमी कपड़े की फड़फड़ाहट तक को सहन न कर पाना तथा हर समय ठण्ड लगने जैसी अनुभूति होना ।
नक्स-वोमिका 30 – हर प्रकार के सम्वेदन के प्रति अत्यधिक सम्वेदनशील होना तथा अपनी इच्छा के विरुद्ध कुछ भी देखने पर अत्यधिक कुद्ध हो उठना ।
कैमोमिला 30 – थोड़े से दर्द को भी अत्यधिक अनुभव करना तथा दर्द वाले स्थान का जरा-सा भी स्पर्श होते ही सम्पूर्ण शरीर का काँपने लगना । काफिया से लाभ होने पर इसका प्रयोग हितकर रहता हैं ।
एलर्जी में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ लाभ करती हैं:-
ट्यूबर्क्युलीनम 200 – दही, दूध, दूध निर्मित्त अन्य पदार्थ, मांस, मछली अथवा अण्डा-इन वस्तुओं के स्पर्श अथवा प्रयोग से यदि कोई कष्ट होता हो तो सर्वप्रथम इस औषध की प्रति सप्ताह एक मात्रा, दो सप्ताह तक अर्थात् पन्द्रह दिन में दो बार लेनी चाहिए। यदि दो मात्राएं सेवन करने के बाद भी उक्त शिकायत दूर न हो तो बाद में ‘सल्फर 200’ का सेवन करना चाहिए ।
सल्फर 200, 1M – ट्यूबर्क्युलीनम के लक्षणों में उससे लाभ होने पर इस औषध को 200 शक्ति में प्रति सप्ताह एक मात्रा के हिसाब से दें । यदि चार सप्ताह से इस औषध के प्रयोग से लाभ न हो तो इसी औषध को 1M की शक्ति में महीने में एक मात्रा के हिसाब से देना चाहिए। ट्यूबर्क्युलीनम के लक्षणों के अतिरिक्त सल्फर निम्नलिखित वस्तुओं की एलर्जी में भी लाभकर है।
- खिजाब लगाने से एग्ज़ीमा हो जाना ।
- मांस खाने से कोई उपसर्ग हो जाना ।
- पंखों वाले तकिये पर सिर रखकर सोने से हे-फीवर हो जाना ।
- चाकलेट खाने से कोई उपसर्ग उभर आना ।
सैक्केरम ऑफिसिनेलिस 30, 200 – गुड़ अथवा शक्कर के प्रयोग से कोई कष्ट होने पर ।
फेरम-मेट 30 – अण्डे के प्रयोग से कोई कष्ट होने पर ।
सोरिनम 200 – गेहूँ के प्रयोग से कष्ट होने पर ।
आर्टिका युरेन्स Q, 3 – दूध पीने से पित्ती उछल आना ।
फ्रेंगेरिया 30, 200 – स्ट्रावेरी खाने से पित्ती उछल आना, अथवा छाती पर किसी भार के रखे होने का अनुभव होना और साँस लेने में कष्ट होना।
पोथोस Q, 30, 200 – धूल, मिट्टी से दमा रोग जैसी तकलीफ हो जाना ।
नेट्रम-म्यूर – अण्डा, निशास्ता, दूध, शहद, मांस, गेहूँ अथवा प्याज खाने के कारण अथवा किसी फूल की गन्ध सूंघने के कारण होने वाले किसी एलर्जी के कष्ट में हितकर है ।
आर्सेनिक-एल्बम 30 – ठण्ड लगने अथवा समुद्र के किनारे जाने से जुकाम, नजला, नाक से गरम पानी बहना तथा ठण्ड लगना आदि लक्षणें में ।
अर्जेण्टम नाइट्रिकम 3, 30 – यह औषध हर उस वस्तु की एलर्जी में उपयोगी है । जिसका प्रभाव शरीर के किसी श्लैष्मिक-झिल्ली, त्वचा, फुफ्फुस अथवा किसी अंग विशेष पर पड़ता हो ।