होम्योपैथी में क्रोध, कृपणता, ईर्ष्या, घमण्ड, सन्देह आदि की गणना मानसिक विकारों में अन्तर्गत की गई है । यदि किसी रोग में शारीरिक लक्षणों के साथ कोई प्रबल मानसिक लक्षण भी जुड़ा हो तो शारीरिक लक्षण की बजाय मानसिक लक्षणों को आधार बनाकर औषध का निर्वाचन करने से रोगोन्मूलन में शीघ्र तथा निश्चित सफलता मिलती है ।
यहाँ कतिपय विशिष्ट मानसिक-विकार तथा उनके लिए उपयोगी औषधियों का उल्लेख किया जा रहा है ।
क्रोध (Anger)
इस विकार में निम्नलिखित औषधियों का लक्षणानुसार प्रयोग करना हितकर रहता है :-
आयोडियम 3, 30 – क्रोध के आवेग का एकदम उमड़ उठना और उस स्थिति में जो भी वस्तु सामने आये, उसे नष्ट कर देना, अपने विरोधी की हत्या कर देना एवं वर्त्तमान की परेशानी से कुद्ध होकर भविष्य की चिन्ता न करना – इन लक्षणों में दें।
नक्स-वोमिका 30 – विरोध सहन न कर पाना, बदला लेने की तत्परता, अत्यधिक चिड़चिड़ापन, किसी अवरोध को सहन न कर पाना तथा क्रोध की तीव्रता में कुर्सी आदि को भी लात मार कर या उठाकर फेंक देना – इन लक्षणों में हितकर है। इस औषध का रोगी पतले-दुबले शरीर का होता है।
कैमोमिला 3, 30 – बच्चे का प्रत्येक वस्तु को लेने के लिए मचलना और चिल्लाना तथा जब उसे वस्तु दी जाय तो लेकर दूर फेंक देना, गोद में रहने के समय तक शान्त रहना अन्यथा रोना-चिल्लाना, क्रोध के कारण दस्त, खाँसी एवं ऐंठन होना । चिड़चिड़े तथा क्रोधी स्वभाव के बच्चे को इस औषध की C. M. शक्ति की 1 मात्रा 15-20 दिन के अन्तर से एक बार देते रहने पर वह शान्त बना रहता है । शान्त प्रकृति वाले बालक को इसे नहीं देना चाहिए ।
स्टैफिसेग्रिया 3, 30 – अपने विषय में अन्य लोगों के काम की चिन्ता न करना, क्रोध में भरकर आगे पीछे घूमना, अत्यधिक क्रोध के कारण दुष्परिणामों का सामना करना – इन लक्षणों में इसे दें । इस औषध का रोगी बालक पहले तो किसी वस्तु को लेने के लिए चिल्लाता है, परन्तु उसे जब वह वस्तु दे दी जाती है तब उसे लेकर दूर फेंक देता है। ऐसे रोगी का क्रोध नक्स से भी कम हो जाता है।
लाइकोपोडियम 30 – इस औषध का रोगी भी पतले-दुबले शरीर का होता है, परन्तु क्रोधी व दूसरों से झगड़ा मोल ले लेने के लिए स्वयं तैयार बना रहता है।
घमण्ड (Pride)
इस विकार में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग हितकर है :-
प्लेटिना 6, 30 – स्वयं को बहुत बड़ा तथा दूसरों को तुच्छ समझना, औरों को नफरत की निगाह से देखना। भौतिक-दृष्टि से भी सब लोग छोटे दीखना । स्त्रियों में ऐसे मानसिक-लक्षण प्राय: तब प्रकट होते हैं, जब उनका ऋतुधर्म दब जाता है। शारीरकि-लक्षण हट जाने पर ऐसे मानसिक-लक्षण प्रकट होने लगते हैं ।
ईर्ष्या (Jealousy)
हायोसायमस 30 – सन्देह के कारण ईर्ष्या और ईर्ष्या के कारण क्रोध में भरकर दूसरों को मारने के लिए तैयार हो जाना, सन्देहशीलता का किसी भी सफाई से दूर न होना तथा इसी के कारण ईर्ष्यालु बने रहना, कभी-कभी अकारण ही ठहाका मार कर हँसना और कभी-कभी अश्लील प्रदर्शन पर भी उतर आना-इन सब लक्षणों में यह औषध लाभ करती है।
लैकेसिस 30 – अकारण ही पागलपन जैसी ईर्ष्या, रोगी का सन्देहशील होना, बहुत बकना, बोलते ही चले जाना तथा समय का ज्ञात न हो पाना-इन लक्षणों में हितकर है ।
एपिस 30 – ईर्ष्या के कारण ऐसी क्रोधोन्मत्तता, जिसे शान्त कर पाना कठिन हो – इस लक्षण में हितकर है ।
शंकालुता (Suspiction)
हायोसायमस 30 – प्रत्येक व्यक्ति को सन्देह की दृष्टि से देखना, किसी पर विश्वास न करना, अपने विरुद्ध षड्यंत्र किये जाने का सन्देह, अपनी सन्तानों तथा मित्रों पर भी सन्देह करना, मार्ग में चलते समय पीछे मुड़-मुड़कर देखना कि कोई उसका पीछा तो नहीं कर रहा है तथा औषध में जहर मिले होने का सन्देह करके उसे पीने से इन्कार कर देना आदि लक्षणों में प्रयोग करें ।
लैकेसिस 30 – ईर्ष्यालुता के साथ सन्देहशीलता के लक्षणों में हितकर है।
पल्सेटिला 30 – रोगी का लोभी, अन्य-मनस्क तथा ग्लानि प्रकृति का होने के लक्षणों में इसका प्रयोग करें ।
सल्फर 30 – अत्यन्त स्वार्थी होने के साथ ही लोभी प्रकृति का होना तथा दूसरों का कोई ध्यान न करना-इन लक्षणों में दें ।
लाइकोपोडियम 30 – लोभ एवं कृपणता की यह मुख्य औषध है । इस औषध का रोगी स्वभावत: कंजूस, क्रोधी तथा शरीर से पतला-दुबला होता है।
धोखा देना, झूठ बोलना (Cheating)
प्लम्बम 30 – धोखा देने अथवा ठगने की प्रवृति में यह औषध हितकर है। इसके रोगी को प्राय: कब्ज की शिकायत भी रहती है ।
कास्टिकम 30 – किसी को ठगने की इच्छा से झगड़ा करने पर उतारू हो जाने के लक्षणों में लाभकर है ।
ओपियम 30, 200 – धोखा देना, झूठ बोलना, ठगना आदि दुगुणों की प्रवृत्तियों के प्रबल हो जाने पर इसके प्रयोग से लाभ होता है। मनुष्यों में यह दुगुर्ण उच्चस्तरीय मानसिक-प्रवृत्तियों के शिथिल हो जाने पर ही उत्पन्न होते हैं। यह औषध उन्हें फिर से दृढ़ बना देने का कार्य करती है, जिसके परिणामस्वरूप दुष्प्रवृत्तियाँ समाप्त हो जाती हैं।
अर्जेण्टम नाइट्रिकम 30 – ठगने की प्रवृत्ति एवं ठगी करते समय किसी प्रकार से घबराना, काँपना, अथवा भयभीत न होना – इन लक्षणों में लाभकर है ।
बिरेट्रम-ऐल्बम – पागलपन की बीमारी ने जब तक प्रचण्ड का रूप ग्रहण न किया हो, तब तक रोगी द्वारा झूठ बोलने एवं धोखा देने के लक्षणों में हितकर है।