इसे कफ-ज्वर, बहुव्यापक सर्दी आदि भी कहा जाता है । इसमें हल्की ठंड देकर शरीर में दर्द के साथ ज्वर चढ़ जाता है । इसमें सिर-दर्द, सर्दी लगना, खाँसी, छींकें, जुकाम, भूख न लगना, बदन-दर्द आदि लक्षण भी रहते हैं। यह रोग वातावरण के दूषित होने, रोगी के दूषित वस्त्रों का प्रयोग करने, ठंड लग जाने, ठंडे-गर्म पदार्थ एक साथ खाने आदि से फैलता है। यह कीटाणुओं के संक्रमण से होने वाला रोग है ।
ओसिमम सैंक्टम Q- तुलसी के पौधे से यह दवा बनती है । तुलसी में जीवाणुओं को नष्ट करने की असाधारण क्षमता होती है। इसीलिये इसका प्रयोग विषैले तत्वों को नष्ट करने व रोगों के जीवाणुओं को मारने में किया जाता है ।इन्फ्लूएन्जा के बुखार व सामान्य सर्दी-खाँसी में इस दवा की 5 बूंदें पानी में डालकर दिन में 2-3 बार नियमित रूप से देनी चाहिये ।
जेल्सीमियम 30– रोग की प्रथमावस्था में लाभप्रद है । मूल लक्षणों के साथ ही हृदय पर भी रोग का प्रभाव होने पर अधिक उपयोगी हैं ।
यूपेटोरियम पर्फ 30– सुबह 7 से 9 के बीच ज्वर आये, रोगी को ऐसा लगे जैसे हड्डियाँ टूट-सी गई हों तो इसे दें ।
एकोनाइट 3x, 30- तीव्र ज्वर, बेचैनी, प्यास, मृत्यु का भय आदि लक्षणों में लाभप्रद हैं ।
आर्सेनिक 30- बार-बार प्यास लगे, रोगी कम मात्रा में पानी पीये, तीव्र ज्वर हो, उद्वेग व बेचैनी की दशा हो, मृत्यु-भय रहे तो देनी चाहिये ।