हिंदी नाम – गूमा या गोमा, संस्कृत नाम द्रोणपुष्पी है। घरेलू चिकित्सा के रूप में इसकी पत्तियाँ भी अरूचिनाशक है। बहुत दिनों तक ज्वर भोगने के बाद अरुचि। इसका मूल – दमानाशक है, पत्तों का रस शरीर में मलकर स्नान करने से खुजली घटती है और कामला या जॉन्डिस रोग में आँखों में डालने से आँखें साफ होती है। पारी के ज्वर में भी बहुतेरे पत्तों के रस को सूंघनी की तरह उपयोग में लाते हैं।
इसका Q, 3x शक्ति प्लीहा दोषयुक्त पुराने मलेरिया, दमा रोग, सर्दी-खाँसी, व पित्तजनित कुछ रोगों में उपयोग करने से फायदा होता है। जो भी हो, अन्य रोगों में इसकी विशेष उपकारिता दिखाई न पड़ने पर भी – साँप के काटने पर इस द्रोणपुष्पी के मूल-अरिष्ट Q को 20 या 30 बूंद की मात्रा में आधे घण्टे अन्तर से कई-एक खुराक पिलाने पर बहुत फायदा होता है। रोगी में निगलने की शक्ति न रहने पर औषध को कान के अन्दर बूंद-बूंद टपका दें अथवा इंजेक्शन से दें। मुँह से फेन निकलते रहने पर 10-15 बून्द औषधि Hypo-syringe द्वारा इंजेक्शन करने पर भी फायदा होगा, यह बहुत ही परीक्षित औषधि है।
क्रम – Q, 2x, 3x शक्ति।