एल्युमिना एल्युमिनियम धातु का ऑक्साइड है। पेरिऑडिक टेबल में, एल्युमिनियम समूह III-A के अंतर्गत है और बोरॉन के साथ जुड़ा हुआ है। बोरॉन, जिससे बोरेक्स होमियोपैथी दवा बनाया जाता है। ऐलूमिना – सिफिलिनम, ऑरम और मर्क्यूरियस की तरह एन्टी-सिफिलिटिक दवाओं में से एक है।
सिफिलिनम में आशा का पूर्ण अभाव होता है जो मनुष्य के जीवन के लिए सबसे आवश्यक चीजों में से एक है। सिफिलिनम के रोगी के मन में निराशा बैठ जाती है कि वह ठीक नहीं हो सकता। इसलिए, सिफिलिनम death और destruction का उत्तम दवा है; death और destruction का यहाँ अर्थ है वह मर या मार सकता है।
मर्क्यूरियस में, व्यक्ति की स्वतंत्रता जोकि जीवन के लिए अति आवश्यक है, रोगी को लगता है कि छीन ली गई है, और इसलिए वह विद्रोही, क्रांतिकारी, death और destruction प्रवृति का हो जाता है।
एल्युमिना में व्यक्ति की पहचान या व्यक्तित्व छीन लिया गया होता है, एल्युमिना व्यक्ति की पहचान को इतना दबा दिया गया होता है कि उसे नहीं पता कि वह अब कौन है। वह अत्यंत भ्रमित है क्योंकि किसी ने उसे कुछ ऐसा आकार देने की कोशिश की है जो वह नहीं है। यह हमारे मटेरिया मेडिका में पहचान के भ्रम के लिए सबसे महत्वपूर्ण दवाओं में से एक है। एल्यूमिना की स्थिति को उदाहरण के रूप में समझते हैं :- यह स्थिति माता-पिता और बच्चे के बीच संघर्ष से उत्पन्न हो सकती है, जहां बच्चे को पहचान नहीं दी जा रही है। बच्चा जो कुछ भी करता है, वे कहते हैं: “नहीं !” यहाँ बच्चे के व्यक्तित्व और पहचान को तोड़ा गया है। बच्चा जो कुछ भी कहता है माता-पिता बोलते हैं यह सही नहीं है – “तुम कोई नहीं हो, तुम कुछ नहीं जानते!” ऐसे में रोगी के अंदर निराशा आती है : “उसे नहीं पता कि क्या करना है। वह नहीं जानता कि वह क्या है, कौन है। वह यह भी नहीं जानता कि वह क्या चाहता है, वह क्या बनना चाहता है। उसके मन में आता है कि वह इतना छोटा, इतना डरपोक, कायर और पूरी तरह से माता-पिता पर निर्भर है।”
एल्यूमिना को रूब्रिक के तहत ऐसे सूचीबद्ध किया गया है: “असंयम, कायरता, भय और भ्रम, ऐसा भ्रम कि लगता है खुद का सिर दूसरे का है”। रोगी को यह भी नहीं पता कि उसका सिर किसका है। उसे ऐसा लगता है जैसे कोई और उसके लिए सोचता है, और वह अपने लिए नहीं सोच सकता।
जब उसने सुना या कहा तो उसे ऐसा लगता है जैसे किसी और ने कुछ सुना या कहा । उसकी असली पहचान को दबाया जाता है, अंदर धकेला जाता है, ताकि उसे अपने आप को दूसरे लोगों की इच्छा के अनुसार ढलना पड़े। कभी-कभी माता-पिता का नियंत्रण इतना मजबूत होता है कि बच्चा अपनी पहचान खो देता है और आवेगी हो जाता है; उदाहरण के लिए, वह किसी का हाथ पकड़ सकता है, या हिंसा कार्य कर सकता है।
एल्यूमिना में नियंत्रण एक बड़ा विषय है। उसकी बहुत सी समस्याएं नियंत्रण से जुड़ी हैं – शरीर पर नियंत्रण, अंगों का, आवेगों का, नियंत्रण खोने का डर – जैसे कि मानसिक शक्ति ही कमजोर हो गई है, इच्छाशक्ति भी मांसपेशियों से दूर हो जाती है, और वह ठीक से नहीं चल सकता है, उसमें संतुलन नहीं रहता है।
एक आदमी जिसने अपनी पहचान खो दी है, उसे धूर्त होना पड़ता है, उसे लगता है कि अपनी पहचान बनाए रखने के लिए उसे कठोर होने की आवश्यकता है, इस प्रकार एल्युमिना-रोगी काफी कठोर हो सकता है। एल्यूमिना का एक मामला जो मुझे अच्छी तरह याद है, वह एक ऐसे मरीज का है जो अपने बारे में ऐसे बोलता है जैसे कि किसी वस्तु की बात कर रहा हो, या जैसे कि वह मौसम की रिपोर्ट पढ़ रहा हो। उन्होंने बहुत बहस भी की, जैसे कि बहस करके अपनी पहचान स्थापित कर रहा हो। जब किसी को अंतहीन बहस करने की आवश्यकता होती है, तो यह केवल उस पहचान को बनाने और बनाए रखने के लिए होता है जिसे वह महसूस नहीं करता है।
एल्यूमिना बाएं हाथ के बच्चों के लिए एक अच्छा दवा हो सकता है जिन्हें अपने दाहिने हाथ से लिखने के लिए मजबूर किया गया है। वे अपनी पहचान खोने के लिए मजबूर हो जाते हैं और भ्रमित हो जाते हैं कि वे बाएं हाथ के हैं या दाएं हाथ के। जब आप किसी बच्चे को स्वाभाविक रूप से कुछ और होने के लिए मजबूर करते हैं, तो आप एल्युमिना की स्थिति को प्रोत्साहित करते हैं।
एल्युमिना के रुब्रिक देखेंगे तो पाएंगे :-
- खुद के बारे में भ्रम।
- भ्रम कि सिर दूसरे का है।
- भ्रम, व्यक्तिगत पहचान का।
- आवेगी।
- आत्महत्या की प्रवृत्ति, खून या चाकू देखकर, उसे खुद को मारने के भयानक विचार आते हैं, हालांकि वह इस विचार से घृणा भी करता है।
- तेज तर्रार।
- तिरस्कारपूर्ण जीवन ।
- अड़ियल, दूसरों की इच्छाओं का विरोध करता है।