[ वृक्ष मुलुकित होने के समय उसकी जड़ उखाड़कर उससे मूल-अर्क तैयार किया जाता है ] – स्त्रियों के ऋतु के समय या गर्भावस्था में मिर्गी के समान फिट (खींचन) होना ही इस दवा का प्रधान चरित्रगत लक्षण है, और इसलिए यह पियोरपैरेल एक्लेमसिया ( सूतिकाक्षेप ) की एक प्रधान दवा मानी जाती है।
यूरिमिक कॉन्वल्शन की भी यह एक उत्कृष्ट दवा है। इसमें रोगिणी एकाएक बेहोश हो जाती है और मुंह का रंग काला या नीला हो जाता है, आँख स्थिर हो जाती है, आँख की पुतली ( pupil ) बड़ी हो जाती है, मुंह की पेशी फड़का करती है, मुंह से झाग निकलता है, दाँती लग जाती है, आक्षेप ( खींचन ) के समय सिर पीछे की ओर टेढ़ा पड़ जाता है।
सिर में तेज दर्द के साथ कभी-कभी चक्कर आता है, रोगी का दुःखी रहने के साथ सिर का घूमना, जबड़े का अटक जाना और मुंह से झाग निकलना, थोड़ी-थोड़ी बात पे रो देना, जीभ पे सफ़ेद लेप चढ़ा होना, हर समय सुस्ती महसूस होने के लक्षण में इनैन्थि क्रोकेटा लाभ करता है।
सदृश – साईक्यूटा और कैलि ब्रोम।
रोग में वृद्धि – रोगी के लक्षण पानी से बढ़ जाते हैं।
क्रम – 3 और 6 शक्ति।