[ ताजा वृक्ष से मूल-अर्क तैयार होता है ] – साधारणतः इस दवा का इस्तेमाल सिर्फ पेट की बीमारी में ही और खासकर पुराने अतिसार, संग्रहणी और सूतिका इत्यादि में ही ज्यादातर किया जाता है और फायदा भी देखने में आता है। बहुत दिनों तक अतिसार भोगने के बाद बच्चे के मस्तिष्क में पानी इकट्ठा हो जाने का उपक्रम होने और धीरे-धीरे बच्चे का गुमसुम, मायूस-सा पड़े रहने के लक्षण में इससे फायदा होता है।
बच्चों के हैजा में – यदि किसी दवा से फायदा न हो, तो इसका प्रयोग करें। गर्मी के दिनों के अतिसार की भी यह एक बढ़िया दवा है। प्रसव के बाद प्रसूता को अतिसार, रक्तहीनता, कमजोरी और क्षीणता की शिकायत हो और वह किसी भी दवा से आराम न हो तो – धीरज के साथ इसका प्रयोग करना चाहिए। इसमें पेट में, खासकर नाभि के नीचे, बहुत ज्यादा मरोड़ का दर्द होता है।
क्रम – Q से 2x शक्ति।