पेशाब के कुछ रोग व पथरी रोग के लिए ही यह प्रसिद्ध है। इसके अलावे – सिर चकराना, स्मरण शक्ति की दुर्बलता, निरन्तर बात बोलने की इच्छा, सिर में टपकमय दर्द, सामने की रग में, आँख के ऊपर भारी मालूम होना, मुख का पक्षाघात, मुख का सूखापन, प्रत्यंगादि जकड़े, चलते समय हर कदम रखने पे सिर में अनुभव होना, छाती में कोंचने सा दर्द, गले में इरिटेशन, खाँसी, गला बैठ जाना, छाती में भार व दबाव मालूम पड़ना, इस कारण अनिद्रा। बदबूदार, कटु, अत्यधिक पेशाब या पेशाब बन्द, बहुमूत्र, रात को बिछावन पर अनजाने में पेशाब कर देना, स्त्रियों में अचानक ही पेशाब की हाजत व हाजत रोके रखने में असमर्थता; ठण्ड, वर्षा, सायंकाल व शरीर गरम होने के बाद रोग में वृद्धि होना इत्यादि इसके विशेष लक्षण हैं।
यह औषधि मूत्राशय व पथरी रोग के लिए प्राचीन काल से ही प्रयोग की जाती है। इसके अलावा भी ऊपर लिखे रोगों में इसका इस्तेमाल होता है और फायदा भी होता है।
फाइसैलिस-सोलेनम वेसिकेरियम का निम्नलिखित लक्षण को देखते हुए उपयोग करें :-
सिर – सिर चकराना, स्मरण शक्ति की कमी, रोगी की हर समय बात करने की इच्छा, सिर में टपकमय दर्द, चेहरे का पक्षाघात, आँखों के ऊपर भारीपन मालूम होना।
खांसी – गला बैठ जाना, वक्षरोध जिसके कारण नींद न आना। स्वरभंग, छाती में कोचने सा दर्द।
मूत्राशय – पेशाब बदबूदार अधिक मात्रा में या बंद हो जाना, बहुमूत्रता रात को बिस्तर पर पेशाब कर देना, स्त्रियों में पेशाब आने पर उसके वेग को न रोक पाना। अनजाने में पेशाब निकल पड़ना।
हाथों व पैरों की अँगुलियों के बीच की खाल उतर जाना। सायंकाल व शरीर गरम होने पर रोग की वृद्धि होना, इसका विशेष लक्षण है।
मात्रा – मूलार्क से 3 शक्ति तक।