युवावस्था में युवक-युवतियों के चेहरे पर लाल रंग के छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं जिन्हें मुँहासे कहा जाता है । इनमें मवाद भी पड़ जाता है। यह लगातार चलता रहता हैं । इन मुँहासों के कारण चेहरा बहुत कुरुप दिखाई देता है । मुँहासे प्रायः तले पदार्थ ज्यादा खाने, मीठा ज्यादा खाने, पुरानी कब्ज, शारीरिक परिश्रम का अभाव, खुली हवा-धूप न मिल पाना आदि कारणों से होते हैं ।
ऐस्टेरियस रियुबेन्स 30- यह सभी प्रकार के मुँहासों की उत्तम दवा है। विशेषकर युवावस्था में मुँहासे होने पर यही दवा देनी चाहिये ।
काली ब्रोम 30, 3x- यदि उपरोक्त दवा से लाभ न हो तो इसे दें । मुँहासों के पुराने रोग में लाभकर है । मुँहासों के साथ-साथ चमकीले लाल रंग की फुन्सियों में भी लाभ करती है ।
हिपर सल्फर 30– यदि मुँहासों से सफेद रंग का मवाद निकलता हो और उनमें दर्द भी रहता हो तो लाभप्रद हैं ।
स्ट्रेप्टोकॉक्सिन 200- यदि मुँहासे सर्दी के दिनों में अथवा अण्डा खाने के कारण बढ़ जाते हों तो यह दवा लाभ करती है ।
सोरिनम 200, 1M- चेहरे पर निकलने वाले बड़े मुँहासों की मुख्य दवा में वृद्धि हो जाती हो तो यही दवा लाभकर है । इस दवा की उच्चशक्ति की कुछ मात्रायें देना ही पर्याप्त है ।
सल्फर 30, 200– जबकि मुँहासों में अन्य सुनिर्वाचित दवाओं से लाभ न हो तो यही दवा देनी चाहिये । अन्य चुनी हुई दवाओं के साथ-साथ इसकी उच्चशक्ति की मात्रायें बीच-बीच में दी जा सकती हैं ।
लैकेसिस 200– चेहरे के बाँयी ओर बैंगनी रंग की छोटी-छोटी फुन्सियाँ करना चाहिये ।
थूजा 10M, CM- मुँहासों के अत्यधिक बड़े-बड़े (सामान्य से बहुत बड़े) होने पर यह दवा देनी चाहिये ।
कल्केरिया फॉस 200– डॉ० घोष का मत हैं कि किशोरियों के चेहरे पर मुँहासे निकलने पर उन्हें यह दवा देनी चाहिये । परन्तु डॉ० बी० आर० शंकरन का मत है कि किशोरियों को ऐसी स्थिति में मैग म्यूर 30 देनी चाहिये।
कल्केरिया पिक्रेटा 200– डॉ० घोष का मत है कि किशोरों के चेहरे पर मुँहासे निकलने पर उन्हें यह दवा देनी चाहिये । परन्तु डॉ० वी० आर० शंकरन का मत है कि किशोरों को ऐसी स्थिति में काली ब्रोम 30 देनी चाहिये।