[ यूनाइटेड स्टेट्स के एक तरह के गाछ की डाल से टिंचर तैयार होता है ] – डॉ सुसलर की टिशू-रेमेडीज अंतर्गत अम्ल की बीमारी के लिए, जिस तरह नैट्रम फॉस है, साधारण होम्योपैथिक दवाओं में उसी तरह – रोबिनिया है। यह अम्ल की बीमारी ( acid dyspepsia ) की एक प्रधान दवा है।
पाकस्थली में हमेशा ही भार मालूम होना, मुंह में खट्टा पानी भरना, खट्टी चीजों की कै, डकार या वमन जो कुछ होता है, वह बहुत ही खट्टा, यहाँ तक कि उनसे दाँत तक खट्टे हो जाते हैं, श्वास-पश्वास में भी खट्टी गंध निकलती है इत्यादि इस दवा के प्रधान लक्षण है। पाकस्थली में अम्ल होने की वजह से जो सिर-दर्द होता है, रोबिनिया उसमें भी फायदा करती है, उसमे अम्ल की वजह से पेट में जलन होती है, पेट में एक तरह का खोंचा मारने की तरह दर्द होता है, यह दर्द और जलन छाती और दोनों कन्धो के बीच में चले जाते हैं। इसमें एसिड सल्फ भी फायदा करता है।
इसका एक लक्षण और भी है – भोजन के बाद पेट में हमेशा ही एक तरह का ऐंठन या दबा रखने की तरह दर्द होता है। इसी वजह से रोगी दिन में एक बार से ज्यादा खाना नहीं चाहता। पाकस्थली के कैंसर की बीमारी में – खट्टी कै, खट्टा डकार रहने से रोबिनिया से फायदा होता है।
सदृश – कैल्केरिया, आइरिस, मैग कार्ब, पल्सेटिला, रियुम।
क्रम – Q, 6 शक्ति।