[ एक तरह के छोटे गाछ से इसका टिंचर तैयार होता है ] – हड्डी में दर्द , हृत्पिण्ड की क्रिया अनियमित, माथे में रक्त की अधिकता, पाकस्थली की गड़बड़ी प्रभृति बीमारियों में इसका व्यवहार होने पर भी यह चेचक रोग में भी अत्यंत आदर के साथ उपयोग होता है।
अस्थिका दर्द – घुटने के हाड़ में और उरु-संधि में ( knee and hip joint ) चोट लगने की तरह दर्द, आंख के चारों ओर की हड्डी में दर्द, प्रत्यंगो की कमज़ोरी प्रभृति इस दवा के प्रधान लक्षण है।
पाकस्थली की बीमारी – पेट में दर्द के साथ बहुत ज़्यादा परिमाण में वमन होता है – यह दवा का एक प्रधान लक्षण है, रोगी को हमेशा ही भूख लगी रहती है, यहाँ तक की खाकर उठने पर भी उसी समय खाना पड़ता है और तब भी भूख लगी ही रहती है, खाने के बाद नींद आती है (आयोडम कि भूख की तरह)।
चेचक की बीमारी – इससे फायदा देखकर यदि सारासिनिया को इस बीमारी की एक पेटेण्ट दवा भी कहा जाए तो कोई अत्युक्ति न होगी। आरम्भ से लेकर अन्त तक चेचक रोगी की सभी अवस्थाओं में इसका प्रयोग किया जा सकता है। पहली अवस्था में इसका प्रयोग होने पर गोटियाँ सब बहुत शीघ्र बाहर निकल पड़ती हैं, गोटियाँ पकती नहीं है, शरीर पर गड्ढे नहीं पड़ते, तकलीफ और दर्द घटता है और थोड़े ही दिनों में रोगी आरोग्य हो जाता है।
डॉक्टर बोरिक का कहना है – ‘sarracenia aborts the disease, arrests pustulation’ कुछ देर बाद इसका प्रयोग होने पर भी रोग की गति खराबी की ओर नहीं बढ़ पाती, बीमारी का बढ़ना बंद हो जाता है।
सारासिनिया – चेचक की उत्कृष्ट प्रतिषेघक (preventive ) दवा है, जिस समय चेचक की बीमारी फैली हो, बहुत कम मात्रा में इसका नित्य या बीच-बीच में सेवन करने पर चेचक होने की आशंका दूर हो जाती है ।
सदृश – ऐण्टिम टार्ट, वेरियोलिनम, मेलाण्ड्रिनम।
क्रम – 2x, 6 शक्ति।