इस पोस्ट में हम सिनैपिस नाइग्रा होम्योपैथिक मेडिसिन के बारे में जानेंगे कि किस बीमारी में कितनी पोटेंसी में इसका उपयोग किया जाता है। सिनैपिस नाइग्रा काली सरसो से तैयार हुआ है। सर्दी का ज्वर, नाक में कच्ची सर्दी, फैरिन्जाइटिस, व फैरिंग्स का सूखापन, उसके साथ थक्का-थक्का स्राव निकलना, नाक सारा दिन अथवा दोपहर तक बंद रहती है। नाक सूखी, गरम, उसके साथ आँखों से गरम पानी गिरना, छींक, खांसी जो सोने पर घटती है, एक बार दाहिनी एक बार बाईं नाक बंद होना। गले के अंदर गरम प्रदाह, मानो जल गया है, दमा की तरह श्वास-प्रश्वास, कुत्ते की आवाज की तरह जोरों की खांसी, सांस में बदबू। पाकस्थली में जलन, वह अन्ननली, गला व मुख तक फैलती है, खट्टा या गरम डकार, नीचे की ओर झुकने पर पेट का दर्द होने लगता है, सीधा होकर बैठने पर घटता है। अगर ऐसा लक्षण हों तो सिनैपिस नाइग्रा 30 पोटेंसी में 4-4 बून्द दिन में तीन बार लेने से रोग ठीक हो जाता है।
यह हे फीवर की अच्छी दवा है, हे फीवर एक तरह का एलर्जी होता है जिसमे सर्दी खांसी हो जाता करता है। इसके लिए सिनैपिस नाइग्रा 30 पोटेंसी में 4-4 बून्द दिन में दो बार लेने से रोग ठीक हो जाता है।
सर्दी की यह अच्छी मेडिसिन है, इसमें नाक पूरे दिन बंद रहती है और रात में खुल जाती है। ऐसे में सिनैपिस नाइग्रा 30 पोटेंसी में 4-4 बून्द दिन में दो बार लेने से रोग ठीक हो जाता है।
इस दवा का एक लक्षण यह है की सिर गरम रहता है और उसमे खुजली भी होती है, वह खुजली डैन्ड्रफ या किसी भी कारण से हो सकती है। ऐसे में सिनैपिस नाइग्रा 30 पोटेंसी में 4-4 बून्द दिन में तीन बार लेने से रोग ठीक हो जाता है।
इसमें सांस की गंध बहुत ख़राब होती है, आपको खुद भी पता लग जायेगा की मेरी सांस से बदबूदार हवा निकल रहा है। ऐसा दांत की खराबी से हो या पेट की गड़बड़ी से, सिनैपिस नाइग्रा 30 पोटेंसी में 4-4 बून्द दिन में दो बार लेने से रोग ठीक हो जाता है।
इस दवा के लक्षण में पेशाब ज्यादा होता है, पेशाब में किसी प्रकार की कोई जलन नहीं होती परन्तु पेशाब की थैली में दर्द होता है। ऐसे में सिनैपिस नाइग्रा 30 पोटेंसी में 4-4 बून्द दिन में तीन बार लेने से रोग ठीक हो जाता है।