मन्दाग्नि, अपच, कब्ज़, अम्लता (Acidity), सर्दी, संधिवात, बदबूवाला पसीना, टॉन्सिल आदि रोग अधिक मात्रा में शक्कर, शक्कर से बनी चीजें खाने से होते हैं। अधिक शक्कर खाने से स्वाद-शक्ति मर जाती है, ताजे फलों और सब्जियों के प्राकृतिक मिठास का अनुभव नहीं होता। अत: मिठाइयाँ और शक्कर से बनी चीजें नहीं खानी चाहिये, खानी भी पड़ें तो कम-से-कम खानी चाहिए।
दानेदार चीनी को प्राकृतिक चिकित्सा में ‘सफेद विष’ कहा गया है। इसे खाने से क्षय, गठिया, रक्तचाप और मदिरा सेवन की इच्छा होती है। इसके स्थान पर मीठे फल, गुड़, गुड़िया शक्कर, देशी बूरा, मिश्री उपयोगी हैं। चीनी खाने से व्यवहार में अपराधवृति आती है। चिड़चिड़ापन और क्रोध अधिक आता है। चीनी सारहीन खाद्य है। इसके सेवन से शरीर में विद्यमान विटामिन और कैल्शियम नष्ट हो जाते हैं। चीनी खाना आवश्यक नहीं है।
हिचकी – लगातार हिचकी चलती रहे, बन्द ही नहीं हो तो एक चम्मच चीनी, शक्कर जीभ के नीचे रख कर चूसें। हिचकी बन्द हो जायेगी। चीनी इस विधि से चूसने से गले के पिछले भाग की नसें उतेजित हो जाती हैं जिससे शरीर के अन्दर सिग्नल रुक जाते हैं और हिचकी बन्द हो जाती है।
कैंसर – अधिक शक्कर खाने से कैंसर हो जाता है। कैंसर की अन्तिम अवस्था में बीमार को शक्कर देना बन्द करके केवल फल और साग-सब्जी दी जाये तो इसकी वेदना कम हो जाती है और उसे बहुत आराम मिलता है।
मोटापा – यकृत (Liver) 150 ग्राम से अधिक शक्कर का संग्रह नहीं कर सकता। इसलिए अधिक शक्कर खाने का रूपान्तर चर्बी में होता है और शरीर मोटापे के कारण बेडौल बन जाता है।
दाँतों के रोग – शक्कर के अधिक उपयोग से दाँत सड़ते हैं। प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि नीरोग दाँत वालों को शक्कर खिलाने से दाँत बिगड़ने लगते हैं। शक्कर बन्द करते ही बिगाड़ रुक जाता है।
बाल-लकवा – प्रोटीन वाले पदार्थों के साथ शक्कर खाने से लकवा होता है। दूध में शक्कर अधिक लेने से पेट में ऑक्जेलिक अम्ल पैदा होता है। यह अम्ल जब रक्त में मिलता है तो लकवा होता है। डॉ. वेन्जामिन सेल्डलर ने लिखा है -‘शक्कर के अधिक उपयोग से बाल-लकवा होता है। यदि रोगी की चौबीस घण्टे शक्कर बन्द कर दी जाये तो वह बच जाता है। दस वर्ष तक अगर बालकों को शक्कर न खाने दी जाये, तो उन्हें न तो लकवा होगा और न इसके कारण होने वाली मृत्यु ही होगी।
मासिक धर्म में दर्द शक्कर अधिक खाने से होता है।
कमर दर्द – खस-खस (पंसारी के मिलती है) और मिश्री समान भाग लेकर पीसकर दो-दो चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध से नित्य फंकी लें। कमर दर्द मिट जायेगा।
बेचैनी, हड़फूटनी, बदन में दर्द हो तो आधा कप शक्कर की गर्म चाशनी पीकर कपड़ा ओढ़कर सो जायें। शीघ्र आराम होगा।
चक्कर आना – दो चम्मच शक्कर और दो चम्मच सूखा धनिया मिलाकर चबाने से लाभ होता है।
खुजली – जिन्हें खुजली हो वे चीनी व चीनी से बनी चीजें, जैसे-टॉफी, मिठाइयाँ नहीं खायें। खुजली ठीक हो जायेगी।
जलना – जले हुए अंगों पर चीनी घोलकर लेप करें। पानी कम मात्रा में मिलायें जिससे घोल गाढ़ा तैयार हो। इससे जलन बन्द हो जाती है।
गर्मी के मौसम के रोग – दही में चीनी डालकर गर्मी के मौसम में नित्य खायें। इससे अधिक प्यास लगना, लू लगना, और दाह दूर हो जाता है। सर्दी-जुकाम ठीक होता है। वीर्य की वृद्धि होती है।
शक्तिवर्धक – दो चम्मच चीनी और दो चम्मच घी में दस पिसी हुई कालीमिर्चे मिलाकर नित्य भूखे पेट चाटें। इससे मस्तिष्क में तरावट आती है, कमजोरी का सिरदर्द ठीक, हो जाता है।
आँखें दुखने पर देशी शक्कर (बूरा) या बताशे के साथ रोटी खाने से लाभ होता है।
खाँसी बार-बार चलती हो तो मिश्री का टुकड़ा मुँह में रखें। मिश्री चबायें नहीं अपितु उसे चूसते रहें।
पथरी – 15 दाने बड़ी इलायची के, एक चम्मच खरबूजे के बीजों की मींगी, दो चम्मच मिश्री-इन सबको पीसकर एक कप पानी में मिलाकर नित्य सुबह-शाम पीते रहें। इससे गुर्दे की पथरी भी गल जाती है।
कोलेस्ट्रॉल – चीनी खाने से बढ़ता है।
फरास – चीनी, नीबू का रस, बेसन और पानी प्रत्येक तीन-तीन चम्मच मिलाकर सिर में लगायें। एक घण्टे बाद साबुन से सिर धोयें। बाल सूखने पर नारियल का तेल लगायें। फरास दूर हो जायेगी।
रुका हुआ जुकाम – जलते हुए कोयलों पर शक्कर डालकर नाक से धुआँ अन्दर खींचने पर रुका हुआ जुकाम ठीक हो जाता है।
होम्योपैथी में चीनी से बनी औषधि सैकेरम ऑफिसिनेल है। जब चर्म पर ललाई हो, चर्म से पानी निकलता हो, खुजली हो तो सैकेरम ऑफिसिनेल 30 शक्ति को आठ-आठ गोलियों की पाँच खुराक नित्य लेने से शीघ्र लाभ होता है।
शीघ्रता से प्रसव – प्रसवकाल के अन्तिम भाग में जबकि कोई यान्त्रिक अवरोध न रहे, जरायु की क्रियाहीनता के कारण विलम्ब होता हो, उस हालत में शीघ्रता से प्रसव कराने के लिए चीनी का प्रयोग उपयुक्त होता है। 25 ग्राम चीनी जल में गलाकर आधा घण्टे के अन्तर से कई बार देना चाहिए।
दस्त – दस्त होने से अभिप्राय है दिन में कम-से-कम तीन बार पतले शौच का आना। दस्त होने पर शीघ्रता से शरीर में पानी, नमक व शक्ति की कमी अनुभव होती है।
दस्तों के उपचार के लिए रोगी को पानी एवं नमक का सेवन कराइए। पानी को उबालकर ठण्डा करके एक गिलास भर लें। इसमें जरा-सा नमक और स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर घोल लें। इसे बार-बार पिलायें। रोगी को कुछ-न-कुछ पिलाते रहें तथा नियमित भोजन करने को कहें, जिससे कि शारीरिक कमजोरी न होने पाए।
आधे सिर में दर्द – यदि सिरदर्द सूर्य उदय होने के साथ बढ़े और सूर्य ढलने के साथ कम होता जाए तो ऐसे सिरदर्द में सूर्य के उदय होते समय सूर्य के सामने खड़े हो जायें और 150 ग्राम पानी में 60 ग्राम शक्कर मिलाकर धीरे-धीरे पियें। आधे सिर का दर्द ठीक हो जायेगा।
अरुचि – खाने पीने की इच्छा न होने पर एक कप पानी में स्वादानुसार शक्कर, इमली तथा बारीक पिसी हुई चौथाई चम्मच कालीमिर्च मिलाकर छानकर नित्य चार बार पीने से खान-पान के प्रति रुचि उत्पन्न हो जाती है।
सावधानी – शक्कर या कोई भी मीठी चीज़ खाने के बाद दाँतों को अच्छी तरह साफ़ करना चाहिए। ऐसा न करने से दाँत ख़राब हो जाते हैं। मधुमेह के रोगी शक्कर व शक्कर से बनी चीज़ें न खाएं।