Sulphuric Acid का व्यापक-लक्षण तथा मुख्य-रोग
(1) वाह्य-कंपकपी न होने पर भी संपूर्ण शरीर में आन्तरिक-कंपकपी अनुभव करना – Sulphuric acid औषधि का अति-प्रधान लक्षण यह है कि रोगी को शरीर में और अंगों में भीतर-ही-भीतर कंपकपी का अनुभव होता है, यद्यपि बाहर से देखने पर कंपकपी नहीं दिखलाई देती। इस कंपकपी का संबंध रोगी की कमजोरी से होता है। प्राय: यह लक्षण पुराने शराबियों में, और उन लोगों में पाया जाता है जिन्होंने अप्राकृतिक-कुकर्मों से अपने शारीरिक-बल को नष्ट कर दिया है। इस प्रकार की शरीर के अन्दर की कंपकपी के लक्षण में इस से लाभ होता है।
(2) रोगी में जल्दबाजी रहती है (Feels in a great hurry) – रोगी हर काम में जल्दबाजी करता है। जो काम करना हो तुरंत करना चाहिए, एक मिनट की भी देर न हो। बेहद कमजोरी तो इसका चरित्रगत-लक्षण है ही, पस्त पड़ा रहता है, परन्तु उसका हर काम मेल ट्रेन की रफ्तार से होना चाहिये। कमजोरी में तो देरी करना स्वाभाविक है, परन्तु इस रोगी में कमजोरी के साथ जल्दबाजी जुड़ी रहती है, जो एक विलक्षण-लक्षण है। अर्जेन्टम नाइट्रिकम में भी जल्दबाजी है।
(3) खट्टी बू तथा सर्वांगीण खटास (Sour smell and acidity) – बच्चे को कितना ही नहलाओ, उसमें से खट्टी बू आती ही रहती है। खट्टापन इसका प्रधान लक्षण है। बच्चे को दांत निकलते समय पतले दस्त आते हैं, पाखाना पीला, पतला या हरे रंग का होता है। उसके शरीर से खट्टी बू नहीं जाती। ऐसे दस्तों में इस से लाभ होता है। पेट से खट्टे डकार आते हैं। खट्टे आम खाते हैं तब दांतो में खटास का जो अनुभव होता है वैसा अनुभव रोगी के दांतों में बना रहता है।
(4) माँ या बच्चे के मुंह में सफेद छाले (मुंहा-Aphthe) – माँ या बच्चे के मुंह में छाले पड़ जाते हैं, वह माँ का दूध नहीं पी सकता। माँ के मुंह में भी ऐसे छाले पड़ सकते हैं। मुंह का भीतरी भाग सफेद नजर आता है। ये छाले मुंह से पेट तथा गुदा तक जा सकते हैं। मल-द्वार की परीक्षा करने से वहां तक घावों की यह सफेदी दिखलाई देती है। गले में ये सफेद घाव ऐसे हो जाते हैं कि परीक्षा करने पर ऐसा दीख पड़ता है मानो गले में सफेदी पुती हो। मुंहा में मर्क और बोरेक्स से भी लाभ होता है, परन्तु उनमें इस औषधि की कमजोरी नहीं है। सल्फ्यूरिक एसिड मुंहा की सर्व-प्रधान औषधि है।
(5) कमज़ोरी; कमज़ोरी में ऐसिड फॉस, म्यूरियेटिक ऐसिड, कार्बो वेज से तुलना – कमजोरी Sulphuric acid औषधि में बेहद पायी जाती है। कमजोरी से रोगी पस्त पड़ा रहता है। इस कमजोरी के कारण उसे शरीर के भीतर-ही-भीतर कंपन होता हैं। इसी कमजोरी के कारण प्राय: टाइफॉयड या दूषित-ज्वरों में इसके लक्षण पाये जाते हैं। रोगी से जब सवाल किया जाता है, तब सवाल को कई बार दोहराना पड़ता है क्योंकि कमजोरी की वजह से वह धीरे-धीरे उत्तर देता है।
टाइफॉयड की कमजोरी में इसकी तुलना ऐसिड फॉस, म्यूरियेटिक ऐसिड तथा कार्बो वेज से की जा सकती है। सबसे अधिक कमजोरी तो कार्बो वेज में पायी जाती है, उससे कम म्यूरियेटिक ऐसिड में और उससे कम ऐसिड फॉस में। टाइफॉयड की कमज़ोरी के लक्षण म्यूरियेटिक ऐसिड में विशेष रूप से पाये जाते हैं। डॉ० एलन ने टाइफॉयड के एक रोगी को जो बार-बार संभाले जाने पर भी कमजोरी के कारण बिस्तर में नीचे की तरफ़ लुढ़क जाता था, देख कर कहा: मेरा इस रोगी के विषय में निदान है ‘म्यूरियेटिक ऐसिड’। टाइफॉयड में म्यूरियेटिक ऐसिड उत्कृष्ट दवा है। ऐसिड फ़ॉस में मानसिक कमजोरी पहले दिखलाई देती है, शारीरिक पीछे; म्यूरियेटिक ऐसिड में शारीरिक-कमजोरी पहले दिखलाई देती है, मानसिक पीछे। जितने ऐसिड हैं सब में कमजोरी का लक्षण पाया जाता है।
(6) किसी प्रकार का भी दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है, हद दर्जे पर पहुँच कर एकदम बन्द हो जाता है – Sulphuric acid के दर्द का विशेष-लक्षण यह है कि दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है, हद दर्जे पर पहुंच कर एकदम बन्द हो जाता है। सिर-दर्द हो, कान का दर्द हो, चेहरे में दर्द हो-किसी प्रकार का भी दर्द हो, वह धीरे-धीरे बढ़ता है, और बढ़कर एकदम गायब हो जाता है। दर्द में गर्म सेक से आराम पड़ता है, दर्द की तरफ़ लेटने से भी रोगी को आराम मिलता है। दांत के दर्द में भी अगर वह धीरे-धीरे शुरू हो, और एकदम समाप्त हो जाय, तो इस से लाभ होता है। पेट का दर्द जो धीरे-धीरे बढ़े और एकदम हट जाय, इस से ठीक हो जाता है। दर्द के इस प्रकार के विलक्षण-लक्षणों में निम्न लक्षणों में निम्न औषधियां उपयोगी हैं:
दर्द-संबंधी विलक्षण-लक्षण तथा उनकी औषधियां
(i) धीरे आना धीरे जाना – दर्द हल्का शुरू होता है, धीरे-धीरे बढ़ता है, शिखर पर पहुंच कर धीरे-धीरे उतरता है : स्टैनम, प्लैटिना, सिफ़िलीनम।
(ii) एकदम आना एकदम जाना – तेज दर्द एकदम आता है और एकदम चला जाता है : बेलाडोना, कैलि बाईक्रोम, नाइट्रिक ऐसिड, कार्बोलिक ऐसिड, मैग फॉस
(iii) धीरे आना एकदम जाना – दर्द धीरे-धीरे आता है और एकदम चला जाता है : सल्फ्यूरिक एसिड।
(iv) एकदम आना धीरे-धीरे जाना – दर्द एकदम शुरू होता है, तेज-दर्द, और धीरे-धीरे जाता है : कोलोसिन्थ।
(v) समय समय का अन्तर दे-देकर दर्द एकदम चढ़ आता है : स्ट्रिकनीनम
(7) माहवारी शुरू होने से पहले नींद में छाती पर डरावना बोझ – एक नाजुक स्त्री को हर माहवारी से पहले सोते समय छाती पर इतना बोझ मालूम पड़ता था कि वह भय से जाग उठती थी। उसे सल्फ्यूरिक एसिड 30 की एक मात्रा प्रतिदिन सोने से पहले दी जिस से उसे आराम हो गया।
(8) शराब पीने की आदत छुड़ा देता है – डा० हेरिंग लिखते हैं कि सल्फ्यूरिक एसिड के एक भाग को तीन भाग अलकोहल में मिलाकर रख लिया जाय, और उसकी 10 से 15 बून्द तक प्रतिदिन तीन बार तीन या चार सप्ताह लगातार दी जाय, तो उसके सेवन करने से शराब पीने की इच्छा चली जाती है।
(9) बच्चों का बायीं तरफ़ का हर्निया (आंत उतरना) – डॉ० गुएरेन्सी लिखते हैं कि अगर ऐसा अनुभव हो कि बच्चे के बाई तरफ़ हर्निया के-से आसार दीखते हैं, तो इस औषधि से ठीक हो जाता है। बाईं तरफ़ अांत उतर आने के-से लक्षणों में यह तथा नक्स वोमिका लाभप्रद हैं। दाईं तरफ़ के हर्निया में लाइको औषधि है।
(10) शक्ति तथा प्रकृति – 30, 200 आंत उतरने के लक्षण के सिवाय इस औषधि का दायें भाग पर विशेष प्रभाव है। रोगी ‘सर्द’-Chilly-प्रकृति का होता है। जब सल्फ्यूरिक एसिड देने से उसकी शीत-प्रकृति चली जाती है, तब अगर वह ‘गर्म’-Hot-प्रकृति के लक्षण प्रकट करने लगे, तो पल्स देने की आवश्यकता पड़ जाती है।