जेनशियाना लूटिया 3x- अगर किसी व्यक्ति को अकारण ही भूख न लगती हो तो ऐसे व्यक्ति को यह दवा प्रतिदिन दो बार भोजन से आधा घण्टे पूर्व के हिसाब से कई दिनों तक लेनी चाहिये, इस प्रकार लेने से भूख बढ़ जाती है ।
टी० वी० आदि से थकान
आर्निका 200- यदि टी० वी०-सिनेमा आदि अधिक देखने, अधिक कार्य करने, दौड़ने आदि से आँखों या माँसपेशियों में दर्द होने लगे तो इस दवा की केवल एक मात्रा लेने से दर्द कम हो जाता है ।
मृत संजीवनी औषधि
कार्बोवेज 200- यह दवा कोयले से बनती है । यह होमियोपैथी की मृत संजीवनी औषधि कहलाती है । जैसा कि डॉ० सत्यव्रत ने लिखा है कि जब किसी व्यक्ति की स्थिति एकदम गंभीर हो जाये अर्थात् वह एकदम मरणासन्न अवस्था में पहुँच जाये तो इस दवा को देने से उसकी जीवन-शक्ति पुनः सबल हो जाती है और उसके प्राण बच जाते हैं । जब कोई व्यक्ति एकदम बेजान होने लगे और उसका शरीर ठंडा पड़ने लगे तो इस दवा की मात्र एकदो मात्रा देने से वह व्यक्ति पुनः जी उठता है । इसी कारण डॉ० शर्मा ने तो यहाँ तक लिखा है कि एलोपैथी में जो स्थान कोरामिन को प्राप्त है और आयुर्वेद में जो स्थान मकरध्वज को प्राप्त है वही स्थान होमियोपैथी में कार्बोवेज को प्राप्त है । –
हैजे की अन्तिम अवस्था में जब शरीर ठंडा पड़ने लगे, तब इस दवा को कदापि नहीं भूलना चाहिये । इसी प्रकार, वे वृद्ध व्यक्ति जिनके हाथपैर सदैव ठंडे रहते हैं या जिनका तापमान सामान्य से कम रहता है, उन्हें लक्षणानुसार यह दवा देने से विशेष लाभ होता है ।
इस दवा के अन्य चरित्रगत लक्षण इस प्रकार हैं- शरीर से रस-रक्त का क्षय हो जाने के कारण जीवनी-शक्ति का घट जाना, ठण्डा पसीना आना, पूरा शरीर ठण्डा पड़ने लगना, साँस तक ठण्डी पड़ जाना, नाड़ी का लोप होते जाना, लगातार पंखे की हवा खाने की इच्छा होना, एकाएक स्मरणशक्ति का लोप होने लगना, आवाज बैठने लगना, रोगी में करवट बदलने की शक्ति भी नहीं रहना, मसूढ़े ढीले पड़ जाना, रोगी का वही चीज खाने की इच्छा करना जिनसे रोग बढ़ता हो,भूत का भय लगना इत्यादि ।