उल्टी (वमन) अजीर्ण रोग का एक लक्षण है। जब पेट में वायु भर जाती है तो उबकाई के रूप में प्रकट होती है। उल्टी में दुर्गध, रोगी को बेचैनी, मुंह का स्वाद कड़वा, छाती में भारीपन, पेट में जलन, आंखों के सामने अंधेरा छाना आदि के लक्षण दिखाई देते हैं।
उल्टी होने के कारण ( ulti hone ke karan )
(i) खाना अधिक खा लेना
(ii) अत्यधिक नशा या शराब पी लेना
(iii) पेट में गड़बड़ होना
(iv) दूषित खाना खा लेना – फूड पाइज़निंग
(v) गर्भावस्था के कारण
(vi) हाइपर टेंशन के कारण
(vii) बस या कार से यात्रा करने पर उल्टी
(vii) पेट में गैस बनने से
उल्टी का घरेलू इलाज ( Ulti ka gharelu ilaj )
हरा धनिया – हरा धनिया पीसकर इसका 33 ग्राम पानी पिलाने से उल्टी रुक जाती है। इससे गर्भवती की उल्टी भी बंद हो जाती है।
नीबू – मिचली आरम्भ होते ही नीबू का सेवन करना चाहिए। इससे उल्टी की संभावना नहीं होती। नीबू के रस की कुछ बूंदें ताजा पानी में मिलाकर पिलाएं। ऐसा करने से शिशु दूध नहीं उलटेगा। ठंडे पानी में नीबू और शक्कर का शरबत बनाकर पीने से मिचली तथा उल्टी ठीक हो जाती है।
कालीमिर्च – शक्कर और कालीमिर्च – दोनों को एक नीबू में भरकर चूसने से भी उल्टी बन्द हो जाती है।
पुदीना – पुदीना और नीबू – दोनों का सेवन एक साथ करने से उल्टी होने की आशंका समाप्त हो जाती है।
छोटी इलायची – नीबू में छोटी इलायची भरकर चूसने से उल्टी में लाभ होता है। इस रोग में नीबू को गरम नहीं करना चाहिए।
नारंगी – उल्टी और मिचली होने पर नारंगी के सेवन से लाभ होता है।
इमली – पकी इमली को पानी में भिगोकर उसका रस पीने से भी मिचली तथा उल्टी बंद हो जाती है।
अांवला – यदि गर्भावस्था में कई बार उल्टी हो, तो दो-दो आंवले के मुरब्बे नित्य चार बार खिलाने से लाभ होता है।
चावल – 50 ग्राम चावल को 250 ग्राम पानी में भिगो दें। आधे घंटे बाद उसमें 5 ग्राम सूखा धनिया डाल दें। 10 मिनट बाद उसे मसलकर छान लें। इसके चार हिस्से करके चार बार में पिलाएं। गर्भिणी की उल्टी तत्काल बन्द हो जाएगी।
हींग – एक चुटकी हींग तथा चार लौंग – दोनों को एक साथ पीसकर आधे कप पानी में घोलकर पीने से उल्टी रुक जाती है।
टमाटर – कभी-कभी दिमाग में गैस बढ़ जाने अथवा अन्य कारणों से उल्टी-उबकाई आने लगती है। ऐसी स्थिति में टमाटर को काटकर काली मिर्च, सेंधा नमक व नीबू-रस निचोड़कर सूधे और खा लें। यदि टमाटर पर ताजा पुदीना के पत्तों को डालकर उसकी गंध सूंघे तो विशेष लाभ होगा। टमाटर के रस में पुदीने की पत्तियों, काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर तथा नीबू-रस डालकर पीने से जी मिचलाना तुरन्त बन्द हो जाता है।
नीम – यदि लगातार उल्टियां आएं तो 20 ग्राम नीम की पत्तियां पीसकर पानी में घोल लें और आधा कप तैयार करके रोगी को पिला दें। उल्टी किसी भी कारणवश आ रही हो, बन्द हो जाएगी। यदि उसमें 5 दाने काली मिर्च के भी मिला लें तो और भी लाभप्रद होगा। चाहें तो थोड़ी मिश्री भी मिला सकते हैं।
चूने का पानी – उल्टियां न रुक रही हों तो दो चम्मच चूने का पानी 100 ग्राम उबलते हुए दूध में डाल दें। खाने वाले चूने का ही पानी प्रयोग करें जो कम-से-कम बारह घंटे तक भीग चुका हो। उल्टी बंद हो जाएगी। दूध में चूने का पानी मिलाकर पीने से वमन के विकार आसानी से दूर हो जाते हैं। दिन में तीन-चार बार उपचार करने से यह जल्दी बंद हो जाती है।
शहद – थोड़ा थोड़ा शहद चाटने पर उल्टियां रुक जाती हैं। साथ ही जी का मिचलाना भी समाप्त हो जाता है।
अनार का रस – अनार का रस पीने से उल्टी, जलन, खट्टी डकारें, मिचली, हिचकी, घबराहट आदि में लाभ होता है। इससे शरीर में शक्ति तथा रक्त की भी वृद्धि होती है।
गर्भवती की उल्टी – आम का रस, अर्क गुलाब, ग्लूकोज तथा कैल्शियम वाटर-सभी 20-20 ग्राम की मात्रा में मिलाकर एक खुराक तैयार कर लें। इस प्रकार दिन में तीन बार देने से गर्भवती महिला की उल्टी में लाभ होता है।
जामुन – जामुन और आम के पत्तों का स्वरस निकालकर पीने से पित्त के कारण होने वाली उल्टी में लाभ होता है।
कच्चे सेब – कच्चे सेब के रस में थोड़ा सा नमक डालकर पिलाने से उल्टी ( वमन ) रुक जाती है।
प्याज – प्याज एवं अदरक का रस मिलाकर देने से उल्टी बंद हो जाती है।
अदरक – अदरक के रस में समान मात्रा में प्याज का रस मिलाकर पिलाने से उल्टी होनी बंद हो जाती है।
इमली – पकी इमली को पानी में भिगो दें। इस इमली का रस पिलाने से उल्टी आनी बंद हो जाती है।
चने का सत्तू – भुने चनों का सत्तू स्त्री को खिलाने से गर्भावस्था की उल्टी शांत हो जाती है। इसका सेवन ग्रीष्म ऋतु में ही करें, क्योंकि सत्तू शीत प्रधान होता है।
खील –15 ग्राम खील (लाजा या लावा), थोडी-सी मिश्री, तीन-चार छोटी इलायची और दो लौंग – इन सबको जल में पकाकर छ:-सात उफान ले लें। इसे थोड़ी-थोड़ी देर बाद 1-2 चम्मच लेने से उल्टी रुक जाती है। खट्टी-पीली या हरी उल्टी होने पर उसमें नीबू का रस भी मिला लेना चाहिए।
मसूर – वात, पित्त या कफ के कारण उल्टी होने पर मसूर का आटा, अनार का रस और शहद-तीनों समान मात्रा में मिलाकर जल के साथ लें।
अजवायन – अजीर्ण, पेट के कीड़े, भय, थकान, उद्वेग या गुण विरोधी वस्तुओं के सेवन के कारण होने वाली उल्टी में 2-2 घंटे के अन्तर से देशी खांड़ या पिसी हुई चीनी में 5-6 बूंदें अजवायन का तेल डालकर रोगी को दें।
दालचीनी – पिताशय की गड़बड़ी से होने वाली उल्टियों में दालचीनी का चूर्ण शहद में मिलाकर रोग की स्थिति के अनुसार दिन में कई बार चाटें।
हरड़ – भुनी हुई हरड़ को कूट पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शहद के साथ चाटने से उल्टी बंद हो जाती है।
गन्ने का रस – गन्ने के रस में शहद मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाली उल्टी ठीक हो जाती है।
बर्फ – उल्टी होने पर बर्फ के टुकड़े चूसें। इसके अतिरिक्त नमक और चीनी का घोल पिलाने से जल – अंश की कमी दूर होती है।