आज इस पोस्ट में हम Tinnitus को होमियोपैथी से कैसे ठीक किया गया उसी के बारे में चर्चा करेंगे।
- रोगी की व्यक्तिगत जानकारी इस प्रकार थी :- पुरुष, उम्र 48 वर्ष
- वैवाहिक स्थिति: विवाहित और दो बच्चे
- Tinnitus की समस्या 2014 में बाएं कान से शुरू हुआ था
- 2007 में स्लिप डिस्क 5th Cervical vertebrae में हुआ था
- रोगी को डस्ट एलर्जी की समस्या थी।
- कोलन कैंसर के डर सताया करता था
हाई स्कूल ग्रेजुएशन के दौरान 6 सप्ताह में एक बार माइग्रेन का अटैक आता आता था, दर्द दाहिनी आंख के ऊपर होता था। पारिवारिक इतिहास में पिता बहुत डोमिनेंट नेचर के रहे हैं, किसी का नहीं सुनना, रोगी को पिता का प्यार और संम्मान कभी नहीं मिला।
रोगी की 5 वर्षों से गंभीर Tinnitus की समस्या चल रही थी । उन्होंने बहुत से डॉक्टरों और अस्पताल में Tinnitus से संबंधित विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा लिए, परन्तु लाभ प्राप्त नहीं हुआ। लंबे समय तक पीड़ित रहने के बाद रोगी ने होम्योपैथिक इलाज का फैसला किया। उनकी समस्या का ट्रिगर पॉइंट था तनावपूर्ण नौकरी और परिवार में कभी सुख नहीं मिला।
मानसिक और भावनात्मक लक्षण को देखने पर पता लगा
- उनकी शादी शुदा जिंदगी में खुशहाली नहीं थी।
- नौकरी भी तनाव से भरा था
- उनके अंदर किसी बड़ी बीमारी होने का डर था, परिवर्तन का डर, निर्णय लेने में डर, व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेने में परेशानी, असफलता का डर, उसने खुद को हाइपोकॉन्ड्रिया बताया
- लीडरशिप क्वालिटी उसमे नहीं था। किसी न किसी के सहारे की जरुरत महसूस करता था।
- अपने काम में ही लगा रहना, घूमना-फिरना पसंद नहीं
- ईर्ष्यालु
- मन में विचारों की भीड़ लगी रहती थी; निरंतर विचारों के कारण वह खुद को भी नहीं सुन सकता था
शारीरिक लक्षण देखें तो
- बाएं कान में भारी शोर महसूस करता था।
- शोर के प्रति बहुत संवेदनशील;
- कानों में शोर से रात में उठ जाता था
- गर्दन पर कुछ कस नहीं सकता
- पेट पर कुछ कस नहीं सकता; हमेशा ऐसी पैंट खरीदता है जो बहुत बड़ी हो
Modalities देखें तो :-
- शोर से रोग का बढ़ना, अल्कोहल से रोग का बढ़ना, रात में रोग का बढ़ना, सो कर उठने के बाद रोग का बढ़ना, दाहिनी ओर लेटने से रोग का बढ़ना
अब रोगी के तमाम लक्षण की लिस्ट मैंने बनाया जो कि इस प्रकार है :-
- मन में चिंता
- मन हमेशा व्यस्त
- काम के प्रति झुकाव अधिक है
- आत्मविश्वास की कमी
- किसी न किसी का सपोर्ट की जरुरत
- ईर्ष्या का भाव
- मन में बेचैनी और घबराहट
- मन के बहुत विचार चलना
- कान का शोर ( टिनिटस )
- सुबह उठने पर कान का शोर बढ़ना
- कान में तीखी आवाज आना
- कान में बारिश होने की तरह आवाज आना
- सोने के बाद रोग का बढ़ जाना
- कुछ खाने या पीने के बाद रोग का बढ़ जाना
- बियर पीने की इच्छा
- दाहिनी ओर लेटने से रोग का बढ़ जाना
रोगी के लक्षणों में लैकेसिस की स्पष्ट तस्वीर दिखाई दी, लेकिन नक्स वोम और लाइकोपोडियम के लक्षण भी मिल रहे थे (जो लैकेसिस का पूरक है)
मैंने कुछ कीनोट्स और अन्य विचारों के कारण लैकेसिस 200 देने का निश्चय किया। मुख्य कीनोट्स जिनपर विशेष ध्यान जाना चाहिए :-
- मन – ईर्ष्या
- कान का शोर सुबह जागने पर बढ़ता था
- मन में अत्यधिक विचार चलते थे
- नींद के बाद समस्या का बढ़ना
- कुछ खाने पीने या अल्कोहल लेने से रोग का बढ़ना
प्रिस्क्रिप्शन में – मार्च 2021 को लैकेसिस 200 एक खुराक मैंने दी
15 दिनों के बाद रोगी 60% सुधार की रिपोर्ट करता है – रात का डर गायब हो गया; मन के विचार कम हो गए और कान में आवाज़ें आना कम हो गया।
60% आराम होने के बाद मैंने लैकेसिस 200 की 1 खुराक और दी
1 अप्रैल को रोगी ने बताया कि वह अच्छा महसूस कर रहा है; उसके अब बहुत बुरे दिन नहीं रहे। हाँ सुबह के समय जब वह जागता है तो कान में हल्का शोर होता है, लेकिन दिन में गायब हो जाता है। टिनिटस से संबंधित 70% सुधार के बारे में उन्होंने बताया। उन्होंने कहा कि बाएं कूल्हे के जोड़ में दर्द होता है।
मैंने अब कोई भी दवा नहीं दिया, मैंने कहा 2 हफ्ते आप और इंतज़ार करें।
15 अप्रैल को रोगी ने बताया कि टिनिटस से संबंधित शारीरिक शिकायतें 1 सप्ताह के लिए पूरी तरह से गायब हो गईं। परन्तु काम का बहुत अधिक तनाव के कारण उन्होंने इन दिनों कॉफी का कुछ ज्यादा सेवन किया और लक्षण थोड़े वापिस आ गए।
मैंने उनसे कहा कि कॉफी बंद करो और यह देखने के लिए इंतजार करो कि क्या लक्षण फिर से ठीक हो जाते हैं। यदि नहीं, तो लैकेसिस 200 की एक और खुराक की आवश्यकता होगी।
15 अप्रैल को उन्होंने बताया कि कॉफी छोड़ने के बाद, लक्षण फिर से गायब हो गए। अब उनके टिनिटस का लगभग 90% सुधार था।
मैंने 1 मई को लैकेसिस 1000 की 2 खुराक हर 15 मिनट पर 3 बार लेने की सलाह दी, और कहा कि दवा बंद कर दें। अब इसे लेने की आवश्यकता नहीं है।
करीब 15 दिनों में ही उनके सारी समस्या जड़ से ठीक हो गई थी। होमियोपैथी दवा चयन करने से पहले रोगी के शारीरिक लक्षण से ज्यादा मानसिक लक्षण पर विशेष धयान देने की आवश्यकता होती है। तभी रोग जड़ से जायेगा।