अनन्नास कृमिनाशक है। अनन्नास के रस में प्रोटीनयुक्त पदार्थों को पचाने की क्षमता है। इसमें से पेप्सीन से मिलता-जुलता एक ‘ब्रोमेलिन’ नामक तत्त्च निकाला गया है। अनन्नास का स्वादिष्ट पेय बनाने हेतु अनन्नास व सेब का मिश्रित रस बनाकर एक चम्मच शहद, चौथाई चम्मच अदरक का रस मिलाकर पियें। इससे आँतों में से म्युकस (अम्लता) बाहर आ जाती है। उच्च-रक्तचाप, दमा, खाँसी, अजीर्ण, मासिक धर्म की अनियमितता दूर हो जाती है।
अनन्नास पर नमक, जीरा और कालीमिर्च के साथ सेवन करने पर बेहद लजीज और मजेदार लगता है। फल को काटने और नमक आदि लगाने के बाद तुरन्त सेवन करना आवश्यक होता है अन्यथा अनन्नास की फाँकों से रस बाहर निकल आता है। इसका सेवन पाचन, उदर रोगों, वायुविकार, पीलिया, बुखार, अम्लपित्त, अजीर्ण, डिप्थीरिया, पेट दर्द आदि रोगों में बेहद लाभप्रद है।
इसके नियमित सेवन से हृदय सम्बन्धी सामान्य रोगों से मुक्ति मिलती है। इसका अम्लीय गुण शरीर में बनने वाले अनावश्यक पदार्थों को बाहर निकाल देता है और शारीरिक शक्ति में वृद्धि करता है।
कैंसर – इसमें ब्रोमोलेन तत्व होता है, जो कैंसर से लड़ने की स्वाभाविक शक्ति को बढाता है।
हृदय शक्ति बढ़ाने के लिए अनन्नास का रस नित्य पीना लाभदायक है।
टॉन्सिल, गले में सूजन होने पर अनन्नास खाने पर लाभ होता है।
रोहिणी (Diphtheria) – अनन्नास का रस रोहिणी की झिल्ली को काट देता है. गले को साफ रखता है। यह इसकी प्रमुख औषधि है। ताजे अनन्नास में ‘पेप्सीन’ (पित का एक प्रधान अंश) होता है। इससे गले की खराश में लाभ होता है।
बवासीर – मस्सों पर अनन्नास पीसकर लगाने से लाभ होता है।
पुंसियाँ – अनन्नास का गूदा पुंसियों पर लगाने से लाभ होता है। इसका रस पीने से शरीर के अस्वस्थ तन्तु ठीक हो जाते हैं।
अजीर्ण – अनन्नास की फाँक पर नमक और कालीमिर्च डालकर खाने से अजीर्ण दूर हो जाता है।
शक्तिवर्धक – अनन्नास घबराहट को दूर करता है। प्यास कम करता है, शरीर को पुष्ट करता है और तरावट देता है। कफ को बढ़ाता है, परन्तु खाँसी-जुकाम नहीं करता। दिल और दिमाग को बहुत ताकत देता है। खाली पेट अनन्नास खाने से पाचन-शक्ति बढ़ती है। गर्मियों में अनन्नास का शर्बत पीने से तरी, ताजगी, ठण्डक मिलती है, प्यास बुझती है। पेट की गर्मी शान्त होती है।
पथरी – एक गिलास अनन्नास का रस नित्य पीते रहने से पथरी निकल जाती है। पेशाब खुलकर आता है। इसलिए यह पथरी में लाभकारी है।
सूजन – शरीर की सूजन के साथ पेशाब कम आता हो, मूत्र में एल्ब्यूमिन जाता हो, यकृत बढ़ गया हो, मन्दाग्नि हो, नेत्रों के आसपास और चेहरे पर विशेष रूप से सूजन हो तो नित्य पकी हुई अनन्नास खायें और केवल दूध पर रहें। तीन सप्ताह में लाभ हो जायेगा।