अमरूद भारी और ठण्डा होता है। रात को अमरूद नहीं खायें। अमरूद में विटामिन ‘सी’ सेब तथा नारंगी से अधिक पाया जाता है। इसमें विटामिन बी-1 तथा निकोटीन भी पाये जाते हैं। अमरूद में खनिज जैसे – कैल्शियम, लोहा, फॉस्फोरस तथा मिनरल्स पाये जाते हैं। इससे रेशा (FIbre) मिलता है, जो कि हमारे शरीर के लिए आवश्यक है। भोजन को पचाने में भी अमरूद उपयोगी है।
कच्चा अमरूद खाने से पेट दर्द होता है। मीठा, पका अमरूदं खाने से पेचिश, अपच में लाभ होता है। कुछ लोग अमरूद को जामफल भी कहते हैं।
प्रकृति – न ठण्डा न गर्म।
नशा – अमरूद खाने से अफीम, गाँजा, चरस का नशा उतर जाता है।
सिगरेट, पान मसाला खाने की आदत छुड़ाने के लिए अमरूद के तीन-तीन पत्ते, नित्य तीन बार चबाकर रस चूस जायें और पत्तों का चूरा थूक दें।
स्वस्थ सन्तान – अमरूद पौष्टिक भोजन है। गर्भावस्था में नियमित अमरूद खायें। बच्चा हृष्ट-पुष्ट जन्मेगा।
हड्डियाँ कमजोर – अमरूद नियमित खाते रहने से हड्डियाँ मजबूत बनती हैं तथा मजबूत रहती हैं।
हर्निया – यूकेलिप्टस के 5 पत्ते, जामुन के 5 पते, अमरूद के 5 पत्ते और आम के 5 पत्ते – इनको धोकर एक किलो पानी में टुकड़े करके उबालें। उबलते हुए 250 ग्राम (चौथाई भाग) रहने पर छानकर ठण्डा करें। नित्य एक बार पियें। दो सप्ताह प्रयोग करके देखें। हर्निया में लाभ होगा।
गुदा निकलना – शौच के समय किसी-किसी की गुदा (Anus) बाहर आती है। गुदा को अन्दर करके अमरूद के पत्तों को पीसकर इसकी लुगदी मलद्वार पर बाँधने से गुदा बाहर निकलना बन्द हो जाता है।
उन्माद (Mania) – (1) इलाहाबादी मीठे अमरूद पाव भर प्रातः और इतने ही पुनः शाम को पाँच बजे नित्य छ: सप्ताह खायें। चाहें तो साथ में नीबू, कालीमिर्च, नमक स्वाद के लिए अमरूद पर डाल सकते हैं। इससे मस्तिष्क की माँस-पेशियों को शक्ति मिलेगी, गर्मी निकल जायेगी, उन्माद दूर होगा। अमरूद खाने से मानसिक चिन्ताएँ भी दूर होती हैं। (2) दो अमरूद पानी के भरे भगोने में रात को डाल दें और इन्हें प्रातः भूखे पेट खायें। इससे उन्माद, मस्तिष्क की गर्मी ठीक हो जाती है। अमरूद खाने से मस्तिष्क के स्नायुओं को भरपूर शक्ति मिलती है। यह मस्तिष्क को शान्त रखता है। नित्य अमरूद खाने से मस्तिष्क का संतुलन ठीक रहता है।
दाद, खुजली, फोड़े, फुंसी, रक्त-विकार हो गया हो, खुजली हो तो चार सप्ताह तक नित्य दोपहर में एक पाव अमरूद खायें। इससे पेट साफ होगा, बढ़ी हुई गर्मी दूर होगी, रक्त साफ़ होगा और फोड़े, फुंसी, खुजली ठीक हो जायेगा।
पुराने दस्त – (1) अमरूद की 20 कोमल पत्तियाँ टुकड़े करके एक गिलास पानी में उबालकर, छानकर पीने से पुराने से दस्त ठीक हो जाते हैं। (2) दस्तों में ऑव आती हो, अाँतों में सूजन आ जाए, घाव हो जाए तो 2-3 महीने लगातार 250 ग्राम अमरूद खाते रहने से दस्त ठीक हो जाते हैं। अमरूद में टेनिक अम्ल होता है, जिसका प्रधान काम है – घाव भरना, इससे अाँतों के घाव भरकर अाँतें स्वस्थ हो जाती हैं।
दस्त – पके हुए दो अमरूद और मिश्री नित्य तीन बार खाने से पतले दस्त बन्द हो जाते हैं।
पेट दर्द में अमरूद की कोमल पतियाँ पीसकर पानी में मिलाकर पीने से आराम होता है। अपच, अग्निमांद्य और आफरा के लिए अमरूद उत्तम औषधि है। इन रोग वालों को 250 ग्राम अमरूद खाना खाने के बाद खाना चाहिए। अन्य लोगों को खाने से पहले खाना चाहिए।
कफयुक्त खाँसी हो तो एक अमरूद को आग में भूनकर खाने से लाभ होता है।
सूखी खाँसी – इसमें पके हुए अमरूद चबा-चबाकर खाने से लाभ होता है।
खाँसी – अमरूद के दस ताजा, कोमल, हरे पत्तों के टुकड़े करके एक गिलास पानी में चाय की तरह उबालकर, छानकर दूध, शक्कर डालकर नित्य सुबह और शाम पियें। खाँसी ठीक हो जायेगी।
कूकर खाँसी – एक अमरूद को भूभल (गर्म रेत या राख) में सेंककर खाने से कूकर खाँसी में लाभ होता है।
बहुत पुरानी सर्दी – जुकाम हो तो तीन दिन तक केवल अमरूद खाकर रहने से ठीक हो जाती है।
सर्दी-जुकाम – जुकाम होने पर एक अमरूद बिना बीज के खाकर एक गिलास पानी पी लें। दिन में ऐसा तीन बार करें। पानी पीते समय नाक से साँस न लें और न छोड़े। नाक बंद करके पानी पियें और मुँह से ही साँस बाहर फेंकें। इससे नाक बहने लगेगा। नाक बहना शुरू होते ही अमरूद खाना बंद कर दें। एक-दो दिन में जुकाम खूब झड़ जाये तब रात को सोते समय पचास ग्राम गुड़ खाकर बिना पानी पिये सिर्फ कुल्ला करके सो जायें। जुकाम ठीक हो जायेगा।
एक अमरूद भूनकर, काटकर नमक डालकर खाने से जुकाम ठीक हो जाता है।
अश्रुस्राव – दो अमरूद आग में भूनकर खाने से ऑखों से पानी बहना बन्द हो जाता है।
गठिया – अमरूद के हरे पत्तों को पीसकर जहाँ जोड़ों पर गठिया बाय की सूजन हो, लेप करें। पानी में पत्ते उबालकर, बफारा दें। धोयें।
भंग का नशा अमरूद खाने से या इसके पत्तों का रस पिलाने से उतर जाता है।
दन्तपीड़ा – अमरूद के पत्तों को चबाने से दाँतों की पीड़ा दूर होती है। मसूढ़ों में दर्द, सूजन, दाँतों में दर्द होने पर अमरूद के पत्तों को उबालकर कुल्ले करें।
दस्त, कब्ज़ हो तो 250 ग्राम तक अमरूद नित्य खायें। इससे मल पतला और नरम आता है, सूखकर कठोर नहीं होता।
अाँतों की सूजन, पेट दर्द, पेचिश – अमरूद के सात पत्ते काटकर छोटे-छोटे टुकड़े करके दो कप पानी में आधा नीबू निचोड़कर उबालें। उबलते हुए आधा पानी रहने पर छानकर स्वादानुसार चीनी मिलाकर सुबह-शाम पियें। लाभ होगा।
कब्ज़ – (1) अमरूद खाने से ऑतों में तरावट आती है और कब्ज दूर होती है। इसे भोजन से पहले खाना चाहिए, क्योंकि भोजन के बाद खाने से यह कब्ज़ करता है। कब्ज़ वालों को नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज़ के रोगियों को प्रातः, शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे दस्त साफ आएगा। अजीर्ण और गैस दूर होगी। भूख लगेगी। अमरूद पर सेंधा नमक डालकर खाने से पाचन-शक्ति बढ़ती है। (2) पर्याप्त मात्रा में अमरूद खाने से मल सूखा और कठोर नहीं हो पाता और सरलतापूर्वक शौच हो जाने से कब्ज़ नहीं रहता। अमरूद काटने के बाद उस पर सोंठ, कालीमिर्च और सेंधा नमक डाल लें। फिर इसे खाने से स्वाद बढ़ता है और पेट का आफरा, गैस तथा अपच दूर होता है। इसे सुबह निराहार (खाली पेट) खाना चाहिये या भोजन के साथ खाना चाहिये। (3) 250 ग्राम अमरूद खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज़ दूर हो जाती है।
मधुमेह – पतझड़ के दिनों में पीले होकर गिरने वाले अमरूद के पत्ते धोकर छाया में सुखा कर कूट लें। इसकी दो चम्मच एक गिलास पानी में डालकर उबालें। उबालते-उबालते आधा पानी रहने पर छानकर नित्य एक बार पियें। इससे मधुमेह में लाभ होता है।
शक्तिप्रद – 100 ग्राम अमरूद में 299 से 450 मिलिग्राम तक ‘विटामिन सी’ होता है। यह हृदय को बल देता है, स्फूर्ति और शक्ति देता है। प्यास हटाता है। मस्तिष्क को शक्ति देता है।
बवासीर, अर्श के कब्ज़ को दूर करने के लिए प्रातः भूखे पेट अमरूद खाना उत्तम है। शौच करते समय बाएं पैर पर जोर देकर बैठें। इससे अर्श नहीं होते और मल साफ़ आता है।
अर्श (Piles) – कुछ दिनों तक नित्य प्रातः भूखे पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से अर्श (बवासीर) ठीक हो जाते हैं।
स्वप्नदोष – कब्ज़ व शरीर की गर्मी से होने वाले स्वप्नदोष में नित्य दो बार अमरूद खायें।
मलेरिया – मलेरिया में अमरूद लाभ करता है। मलेरिया के रोगी को अमरूद खिलाना चाहिए। 3-4 दिन से आने वाले मलेरिया में नित्य अमरूद खायें।
पेट दर्द – अमरूद पर नमक डालकर खाने से पेट दर्द में लाभ होता है।
सूर्यावर्त सिरदर्द – सिरदर्द जो सूर्योदय से आरम्भ हो, सूर्यास्त के साथ बन्द हो जाये, उसमें सूर्य उगने से पहले एक पका हुआ अमरूद नित्य खायें।
सेवन विधि – छोटे बच्चों को अमरूद पीसकर या पानी में घोलकर पिलाना चाहिए। अमरूद पर नमक और कालीमिर्च लगाकर खाने से कफ-कारक दुर्गुण दूर होते हैं।