अाँवले के रस से बने उत्पाद – भूखे पेट आँवले का रस पीना अधिक गुणकारी है। अाँवला खट्टा व कसैला होता है। इसका रस अल्प मात्रा में एक चम्मच पानी में घोलकर पिया जा सकता है। ताजा अाँवला हमेशा नहीं मिलता इसलिए इसके रस से भी खाने-पीने योग्य पदार्थ बनाकर साल भर के लिए परिरक्षित किया जा सकता है।
अाँवले का शर्बत
सामग्री –1 किलो चीनी, 20 चाय के चम्मच अाँवला का ताजा रस या चूर्ण, 300 ग्राम पानी।
विधि – चीनी, पानी और अाँवले के रस को मिलाकर एक उबाल दें। स्टील के वर्तन में छानकर, ठण्डा कर शर्बत वाली साफ खाली बोतलों में भरकर रखें।
उपयोग – इसे गर्मी के मौसम में शीतल पेय की तरह पानी मिलाकर पियें।
अाँवला पाचक – ऑवलों को उबलते पानी में 10 मिनट रखकर, उबालकर उसकी फाँकं अलग कर लें। इन फाँकों को थोड़ा सुखा लें। अब इन पर थोड़ा नीबू का रस निचोड़कर मिलाकर सुखा लें। इन सूखी फाँकों को सौंफ, सुपारी आदि की जगह साल भर खाया जा सकता है।
अाँवले की पाचक गोलियाँ – सामग्री – (1) हरा ताजा अाँवला 250 ग्राम; (2) सिका हुआ पिसा हुआ जीरा 2 चम्मच; (3) अदरक छिली हुई ताजा 15 ग्राम; (4) सेंधा नमक पिसा हुआ स्वादानुसार।
बनाने की विधि – आँवलों को कपड़े में बाँधकर उबलते हुए पानी की भाप में पकायें। जब अाँवले पककर मुलायम हो जायें तो इन्हें ठण्डा करके पीसें और गुठली को फेंक दें। इसमें सेंधा नमक, जीरा, अदरक मिलाकर पुनः पीस लें और गोलियाँ बनाकर सुखा लें।
सेवन विधि व उपयोग – दो गोली तीन बार चूसें या चबाकर ठण्डा पानी पियें। ये गोलियाँ बहुत ही स्वादिष्ट और पाचक (हाजमेदार) होती हैं। विटामिन ‘सी’ का भण्डार, दवा की दवा, स्वाद का मजा ही मजा।
अाँवले का बिना तेल का खट्टा-मीठा अचार – एक किलो आँवला उबालकर गुठली निकालकर कस लें, बुरादा बना लें। चालीस ग्राम सेंधा नमक, एक चाय चम्मच मोटा कुटा हुआ गर्म मसाला, चार छोटी चम्मच पिसी सौंफ, एक चम्मच भुना-पिसा जीरा, 5 चम्मच गन्ने या जामुन का सिरका।
विधि – ऊपर बताये कसे आँवलों पर सभी सामग्री डालकर, मिलाकर सूखे मर्तबान या जार में भरकर ढक्कन लगाकर 3 दिन धूप में रखें। खाने योग्य अचार तैयार है। यह बिना तेल का अचार पोषक गुणों से भरपूर है।
ध्यान रहे कि अाँवले के सभी उत्पाद समय के साथ गहरे भूरे रंग के होते जाते हैं। यह आँवले में उपस्थित कुछ रसायनों के कारण होता है जो हानिकारक नहीं है। अतः इसे खराब समझ कर फेंकना नहीं चाहिए। सिर्फ ध्यान यह रखना है कि इसमें किसी भी प्रकार की फफूंद न लगे व खाने में वांछित खुशबू व स्वाद रहे। उपर्युक्त सभी व्यंजन बनाने में किसी भी रासायनिक पदार्थ का प्रयोग नहीं किया गया है। रासायनिक पदार्थों के उपयोग से आँवले के गुण कम हो जाते हैं। अतः हमें प्राकृतिक रूप से ही आँवले के उत्पाद बनाने चाहिए। इस तरह बनाये आंवले के उत्पादों के सेवन से आँवले से वांछित लाभ प्राप्त कर सकते हैं।