लीची उत्तम स्वास्थ्यवर्धक फल है। यह प्यास कम करती है तथा हृदय, मस्तिष्क और यकृत को शक्ति देती है।
लीची पित्त और कब्ज़नाशक है। जिन लोगों को पित्त और कब्ज रहती हो, वे लोग लीची का सेवन कर इनसे मुक्ति पा सकते हैं। लीची यकृत के लिए टॉनिक है। इसके नियमित सेवन से यकृत मजबूत होता है और अच्छे ढंग से कार्य करता है। भूख तेज लगती है।
अरुचि रहती हो तो नित्य लीची का सेवन करें। यह लू से बचाव करती है और शरीर में पानी की कमी को भी दूर करती है। इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन-सी पर्यात मात्रा में होता है, इसलिए शरीर को पर्यात मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं।
मूत्र-विकार – लीची गुर्दो को बल प्रदान कर उनकी क्रियाशीलता बढ़ाती है। यही कारण है कि लीची का सेवन करने वाले को कभी मूत्र-विकार नहीं होता है।
जिन लोगों को पथरी की शिकायत रहती हो, पेशाब सही ढंग से नहीं आता हो, पसीने से दुर्गध आती हो, उन लोगों को लीची का प्रयोग भरपूर मात्रा में करना चाहिए। इससे खुलकर पेशाब आता है और मूत्रविकार दूर हो जाता है। पेट गर्म हो गया हो, खून की कमी हो गयी हो तो लीची के फल का सेवन करें। यह अाँतों को बल प्रदान करती है और पेट को ठंडक पहुँचाती है जिससे रात को चैन की नींद आती है।
नाशपाती के फायदे
यह वायुनाशक और शुक्रवर्धक, ठण्ड, कब्ज दूर करने वाली है। यह हृदय, मस्तिष्क, आमाशय और यकृत को बल देती है। कब्ज़ में नित्य प्रात: नाशपाती खाने से लाभ होता है। स्त्री के गर्भाशय से पानी निकलने लगे तो नाशपाती खिलाने से लाभ होता है।
सावधानी – नाशपाती गला बैठने और ज्वर में हानिकारक है, विशेषकर आन्तरिक ज्वर ( Typhoid ) में।