इस रोग में शरीर में रक्त का दबाव अस्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है। इस रोग में सिर-दर्द, चक्कर आना, आलस्य, अनिद्रा, हृदय-शूल आदि लक्षण प्रकटते हैं । यह रोग मुख्यतः अधिक मानसिक श्रम, चिंता, उदररोग, नशा करना, मधुमेह, मोटापा, अधिक भोग आदि कारणों से होता है।
रोवोल्फिया सपॅन्टिना Q- यह उच्च रक्तचाप की अत्युत्तम दवा है । यह दवा मूत्र-वृद्धि करके रक्तचाप को नियन्त्रित करती है । इस दवा का नियमित सेवन करने से यह रोग निश्चित रूप से नष्ट हो जाता है । प्रायः प्रत्येक लक्षण में यह दवा दी जा सकती है ।
क्रेटेगस Q- यह दवा भी उच्च रक्तचाप को नियन्त्रित करती है । कमजोरी आ जाये, हाथ-पैर ठण्डे पड़ जायें, नब्ज तेज चले, साँस भी अनियमित हो जाये, निराशा हो तो प्रयोग करनी चाहिये ।
एनाकार्डियम 30, 3x- यह दवा भी उक्त रोग को बहुत ही आसानी से दूर कर देती है । अधिकांश चिकित्सक 3x शक्ति दिये जाने के पक्ष में हैं लेकिन मैंने 30 शक्ति को भी उपयोगी पाया है ।
एकोनाइट 30— रोगी का मन घबराया हो, बेचैनी हो, मृत्यु या समाज डर, चेहरा पीला पड़ जाये, नब्ज तेज चले, त्वचा गर्म और सूखी, सिर मानो फट जायेगा, सिर चकराये जिससे सिर को हिला भी न सके तो इन लक्षणों में देनी चाहिये ।
बेलाडोना 30, 200– सिर-दर्द, चक्कर आना, कनपटियों में दर्द, त्वचा गर्म, नाड़ी तेज तो यह दवा आश्चर्यजनक लाभ पहुँचाती है। रोगी का चेहरा और नेत्र लाल रहते हैं ।
कोनियम मैकुलेटम 6, 200– बड़ी आयु के अविवाहित स्त्री-पुरुषों को उच्च रक्तचाप, मस्तिष्क में कमजोरी, स्मरणशक्ति दुर्बल, हृदय धड़कना तेज हो जाये, पैर कॉपने लगें जिससे खड़ा होना कठिन हो जाये, सिर में भारीपन के साथ दर्द, चक्कर आना, शरीर की ग्रन्थियों में सूजन, कामेच्छा को दबाने या अति भोग से रोग का होना- इन लक्षणों में दें ।
सँगुनेरिया Q, 200– नाड़ियों का फूल जाना, हथेलियों और पैरों में जलन, सिर-दर्द जो सूर्य के अनुसार बढ़े व घटे, दर्द का दाँयी ओर अधिक होना, लेटने से दर्द में आराम हो, रजोनिवृत्ति के समय स्त्रियों को उच्च रक्तचापइन लक्षणों में देनी चाहिये ।
जेल्सीमियम 1M- रोगी को सिर में तनाव का दर्द, सिर भारी होना, घबराहट, सदैव तन्द्रा बनी रहे, हताशा, दु:खद समाचार सुनकर रोग बढ़नाइन लक्षणों में देनी चाहिये ।