दमा ( अस्थमा ) का होम्योपैथिक इलाज
यह रोग मुख्यतः पौष्टिक भोजन का अभाव, शारीरिक परिश्रम बहुत ज्यादा करने, धूल-धुंये भरे वातावरण में रहने, सीलन एवं दुर्गन्ध भरे वातावरण में रहने, उपदंश आदि के कारण हो जाता है । इस रोग में जरा-से श्रम से ही रोगी का दम फूल जाता हैं और उसे खाँसी आने लगती है । साँस लेने में रोगी को बहुत कष्ट होता है, छाती में खिंचाव बना रहता है, खाँसी बार-बार तथा बड़ी तेज उठती है, गले से सॉय-सॉय की आवाज आती है। ठण्ड में यह रोग बहुत बढ़ जाता है ।
इस लेख 12 साल की बच्ची पिछले आठ दिनों से सांस की तकलीफ की शिकायत लेकर मेरे पास आई। सांस लेने में कठिनाई और गले में घुटन महसूस होता था, बाहर खुली हवा में आराम मिलता था। हंसने से रोग बढ़ता था।
पीले रंग के बलगम के साथ खाँसी होती थी। खाँसी उसे प्रातः काल 3 बजे नींद से जगा देती थी। सिर ऊँचा करके लेटने से खांसी में आराम मिलता था । ठंडा पानी पीने से थोड़ा आराम मिलता था । प्यास कम थी।
पिछले कुछ दिनों से उसकी नाक सुबह के समय बंद हो जाती है। सब कुछ एक पालतू कुत्ते की आकस्मिक मृत्यु के बाद शुरू हुआ, वह बहुत रोई। वह अपने पिता से डरती है।
स्कूल में उसे कम ग्रेड मिले थे। उसके शिक्षक ने पूछा कि वह अपनी बड़ी बहन की तरह बेहतर अंक क्यों नहीं ला पाई।
उसकी आंटी उसे धूप में नहीं खेलने देती है क्योंकि उसकी बड़ी बहन की तुलना में उसकी त्वचा का रंग सांवला है।
दूसरी आंटी उससे पूछती हैं कि वह अपनी बहन की तरह तेज-तर्रार क्यों नहीं है? वह दुबली-पतली भी है, वजन सिर्फ 25 KG
भूख कम है, ठण्ड अधिक लगती है, रोगी शीत प्रकृति की है। सांस खींचने में सीटी बजने की आवाज आती है। लड़की बातूनी लग रही थी। उसकी मां ने कहा कि वह दूसरों की बहुत परवाह करती है।
रोगी के समस्त लक्षण का नोट तैयार करने पर :- अचानक अशुभ समाचार से रोग होना, बार-बार अपमान करने से होने वाले रोग, बलगम निकालना मुश्किल, खांसते-खांसते थक जाना
ठंडा पानी पीने से खांसी में कमी, हंसने से खांसी बढ़ना, बाहर खुली हवा में बेहतर महसूस करना
कॉस्टिकम खांसी गहरी खुश्क खांसी है जिसमें यह महसूस होता है कि वह बलगम बाहर नहीं निकाल रहा है। खाँसी रात में बढ़ता है, लेटने से बढ़ता है, उठकर बैठना पड़ता है।
ऐसा लगता है जैसे गले में फंसी कोई चीज निकल नहीं रही हो। कुछ पीने से कम हो जाता है।
बार-बार दु:खों से गुजरने वाले लड़की के सहानुभूतिपूर्ण स्वभाव तथा खाँसी की विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए कॉस्टिकम दवा का चुनाव किया गया। कॉस्टिकम का रोगी कमजोर होता है, परेशान रहता है।
ऐसे में कॉस्टिकम 200 का सिंगल डोज मैंने लेने को कहा। 2 दिन खांसी बढ़ गई हालांकि, अब हर बार बलगम निकालने में सक्षम हो रही है।
मैंने कहा कि खांसी के तेज होने से डरे नहीं क्योंकि बलगम को बाहर निकालने के लिए यह जरूरी है। कुछ दिनों में बच्चा पूरी तरह से ठीक हो गया और अस्थमा का कोई मामला नहीं है।
केस-टेकिंग के बारे में पूरी रणनीति यह है कि आपको उस व्यक्ति को समझना है, न कि केवल उसकी शिकायतों को।
Video On Bronchial Asthma
Asthma ka Homeopathic Dawa
ब्लाटा ओरियेण्टेलिस Q, 30, 200, 3x- यह दमा-रोग की सर्वोत्तम दवा है । प्रायः सभी प्रकार का नया दमा इससे अवश्य ही आरोग्य हो जाता है । विशेष रूप से स्नायविक एवं ब्रॉकियल दमा में यह दवा अति उपयोगी है । जब कभी भी दमा का दौरा उठे तो इस दवा के मूलअर्क (Q) को पानी में मिलाकर देने से दौरा शीघ्र ही थम जाता है और शांति का अनुभव होता है । वैसे दवा की 30, 200 या 3x शक्ति का व्यवहार करने पर दमा का रोग मूल सहित नष्ट हो जाता है ।
यह दवा तिलचट्टा (कॉकरोच) से बनाई जाती है । वैसे ये तिलचट्टा प्रजातियाँ अमेरिका से आई हुई (अमेरिकन) हैं । व्लाटा ओरियेण्टेलिस प्रजाति अब दुर्लभ है, यही कारण है कि अब ब्लाटा ओरियेण्टेलिस नाम से जो दवा मिलती हैं, वह वास्तव में व्लाटा अमेरिकन ही है । तिलचट्टे से दमा-रोग के इलाज की परंपरा बहुत पुरानी है । आयुर्वेद के प्राचीन ग्रन्थों में इस प्रकार का वर्णन देखने को मिलता है। चीन के चितांग वान की पुस्तक में एक ऐसे चिकित्सक का उल्लेख है जो मात्र दमा के उपचार के लिये प्रसिद्ध थे, वे चिकित्सक तिलचट्टे की सूखी टॉग को मरीज के एक्युपंक्चर के किसी बिन्दु पर लगाते थे । भारत के पं० ईश्वरचन्द्र विद्यासागर का नाम दम रोग के उपचार के लिये बहुत प्रसिद्ध था और उनके इलाज की सफलता ने उनकी ख्याति बहुत दूर-दूर तक फैला रखी थी । वे भी दमा के मरीजों को तिलचट्टे से बनी दवा ही दिया करते थे । वास्तव में, यह दमा रोग की उत्तम दवा है । मुझे भी इस दवा ने कभी भी निराश नहीं किया है ।
कैसिया सोफेरा Q- यह दवा कसौदी से बनती है। इसके सेवन से दमा की खाँसी और दम फूलने के लक्षणों में बहुत लाभ होता है ।
ससुरिया लैप्पा Q- यह दवा कुटज से बनती है । यह कफ निकालने वाली और कफनाशक है अतः दमा में इसके प्रयोग से बहुत लाभ होता है । इसके सेवन से दमा का खिंचाव और बार-बार होने वाले कष्ट शीघ्र ही घट जाते हैं ।
हाइड़ोसियानिकम एसिड 3x- दमा के नये रोग में लाभप्रद हैं ।
कैनाबिस सैटाइवा Q- यह गाँजे से बनने वाली दवा है । इसे लेने से रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगती है जिससे रोगी को साँस लेने में कूल सकती की जाती है और कुल के लक्ष लाभ होता है ।
कैनाबिस इण्डिका Q- यह भाँग से बनने वाली दवा है । इसे देने से दमा का तीव्र से तीव्र दौरा भी तुरन्त घटने लगता है । डॉ० घोष ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि पहले वे एकोनाइट देकर ही सन्तुष्ट हो जाया करते थे लेकिन जब उन्होंने कैनाबिस इण्डिका Q की 5 बूंद से 4 ऑस तक दवा पानी में मिलाकर उसका एक-एक चम्मच घण्टे-घण्टे के अन्तर से दिया तो 2-3 घण्टे में ही दमे का दौरा घटने लगा ।
इपिकाक 30, 200– यह दवा दमा-रोग में बहुत लाभकर है | फेफड़ों में रक्त एकत्र हो जाने के कारण श्वास लेने में कष्ट, हिलने-डुलने में कष्ट, आधी रात के बाद दम फूलना, श्वास-प्रश्वास की तीव्रता आदि में लाभ पहुँचाती है । इसे आवश्यकतानुसार आधा-आधा घण्टे बाद तक दे सकते हैं । डॉ० सत्यव्रत सिद्धान्तालंकार ने इस दवा को अत्यन्त उपयोगी बताया है ।
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बैसिलिनम 30, 200– डॉ० घोष ने लिखा है कि दमा की तरह के खिंचाव होने या फेफड़ों में कफ भरा होने पर इस दवा का सेवन करने से दमा के लक्षणों में लाभ होता है और कफ साफ हो जाता है ।
सैम्बुकस नाइग्रा 3x- श्वास लेने में कष्ट, रोग का दौरा रात में उठे, आधी रात को दम घोंटने वाली खाँसी, रोगी बेचैन हो तो लाभ करती है।
मकरध्वज 1x, 2x- कुछ चिकित्सकों के अनुसार इस दवा से भी दमारोग में लाभ होता है ।
दमा के लिए एक्यूप्रेशर
दमा की कुछ समस्याओं में आराम पाने के लिए मूत्राशय 13 तथा किडनी 27 नामक एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर दबाव देकर आजमाएं। किडनी 27 बिंदु प्राप्त करने के लिए, अपने अंगूठे ऊपर रखकर, अपनी मुट्ठियां अपनी छाती पर रखें और अपनी छाती को हड्डी के बगल में हंसुली के ठीक नीचे के संवेदनशील स्थान को महसूस करें। दो मिनट तक इसे दृढ़ता से दबाएं।
मूत्राशय 13 : रीढ़ की हड्डी के बाहर दोनों ओर आधी इंच की दूरी पर और कधे के सिरे के ऊपरी भाग से उंगली के नीचे स्थित मांसपेशी पर अंगूठे या उंगली से दबाव दें। 5 बार गहरी रवास लें, फिर छोड़ दें।