पेट में दर्द होने की ही पेट-दर्द कहा जाता है । पेट में दर्द होने के कारणों में- गरिष्ठ पदाथाँ का अधिक सेवन करना, मीठे पदार्थ ज्यादा खाना, तले पदार्थ ज्यादा खाना, कब्ज, गैस बनना आदि प्रमुख हैं । पेट में दर्द लगातार बहुत समय तक होने से रोगी को चिड़चिड़ाहट, सिर-दर्द, चक्कर आना आदि परेशानी भी हो सकती हैं ।
पेट में भयंकर ऐंठन- कूप्रम मेट 30, 200– पेट में भयंकर ऐंठन व दर्द हो तो यह दवा देनी चाहिये, परन्तु इस दवा में ऐंठन के साथ प्रायः उल्टी-दस्त के लक्षण भी देखे जाते हैं । हैजा व दस्तों की यह विशेष दवा है । इस दवा के विशेष लक्षण ये हैं- पेट-दर्द में ऐंठन, ठंडा पानी पीने से दर्द कम हो जाता है तथा रोगी को ऐसा अनुभव होता है कि पेट पीछे मेरुदंड की तरफ खिंच रहा है । आँत के कुछ हिस्सों के दूसरे आँतों में फँस जाने की तकलीफ पर भी यह दवा लाभप्रद है । कुछ विद्वान चिकित्सकों का मानना है कि यह हैजा रोग की प्रतिषेधक दवा हैं । कूप्रम मेट अर्थात् ताँबा। पुराने समय में मातायें अपने बच्चों की कमर व पेट पर ताँबा बाँधती थीं क्योंकि उनका विश्वास था कि ताँबे से हैजा या महामारी नहीं होती । आज भी दक्षिण अफ्रीका की मातायें हैजा व संक्रामक बीमारियों के बचाव हेतु ताँवा बच्चों के पेंट पर रखती हैं । ताँबे से बनी यह दवा पेट के उक्त ददाँ व हैजे की अचूक दवाओं में से एक हैं ।
पेट-दर्द में रोगी का पेट दबाना- कोलोसिन्थ 30, 200- इस प्रकार का पेट-दर्द जिसमें रोगी पेट दबाकर सोये या पेट दबाने से रोगी को आराम मिले- यह दवा देनी चाहिये । इस दवा का एक और महत्वपूर्ण लक्षण यह है कि रोगी को शौच आ जाने से तुरन्त आराम हो जाता है परन्तु कुछ देर बाद फिर से दर्द शुरू होने लगता है जो अगला शौच आने तक बना रहता हैं । रोगी सीधा होकर खड़ा नहीं हो सकता और वह हाथ या किसी कड़ी वस्तु से पेट को दबाता है । ऐसे दर्द में कोलोसिन्थ से तत्काल व चमत्कारी लाभ होता है ।
कष्टदायक वेदना- बबॅरिस वल्गेरिस Q, 200- पेट में कभी-कभी ऐसी वेदना होती हैं जो अत्यन्त कष्टदायक होती है । रोगी दर्द के कारण कराहता है। ऐसी स्थिति में रोगी को चित्त लिटाकर इस दवा के मूल अर्क की मालिश उसके पूरे पेट पर करनी चाहिये तथा इसी दवा की 200 शक्ति की 6 गोलियाँ आधे कप पानी में डालकर एक-एक चम्मच पानी, पाँच-पाँच मिनट के अन्तर से पिलाते रहना चाहिये- इससे वेदना में तुरन्त आराम मिलता हैं ।
शूल का दर्द जो नाभि-स्थान पर हो- एसिड ऑक्जैलिकम 30- ऐसे शूल का दर्द जो नाभि-स्थान पर और नाभि के ऊपरी भाग में हो, जो भोजन संचय भी होती हो तथा यकृत के स्थान पर सुई गड़ने की तरह से दर्द हो, तलपेट की किसी छोटी-सी जगह पर जलन हो, स्वाद शून्य डकारें आयें तो ऐसी स्थिति में इस दवा को 10-10 मिनट के अन्तर से दें । बर्वेरिस वल्गेरिस मूल अर्क की दर्दग्रस्त स्थान पर मालिश भी करते जायें, इससे रोगी को जल्दी आराम मिलने लगता है ।
नाभि-प्रदेश से पीठ की तरफ रस्सी खींचने की अनुभूति- प्लेटिना 30यदि रोगी कहे कि उसे ऐसा लगता है कि नाभि-प्रदेश से पीठ की तरफ रस्सी खींची जा रही है, तो इस लक्षण को ध्यान में रखते हुये यह दवा दें। यदि रोग-स्थिति के अनुसार आवश्यक समझे तो प्लेटिना की उच्चशक्ति का भी प्रयोग कर सकते हैं ।
अत्यधिक पेट-दर्द- मैग्नीशिया फॉस 3x, 6x, 12x, CM- इस दवा के लक्षण भी कोलोसिन्थ से मिलते-जुलते हैं। जैसे कि कोलोसिन्थ का रोगी पेट-दर्द के समय दोहरा हो जाता है तथा पेट को दबाने से उसे आराम मिलता है ठीक ऐसा ही लक्षण मैग्नीशिया फॉस में भी पाया जाता है । इस दवा को देते समय एक लक्षण को याद रखें कि गर्म बोतल से सेंक करने से दर्द कम होने लगता है जो कि कोलोसिन्थ दवा के ददों में नहीं पाया जाता है । ऐसे ददों में मैग्नीशिया फॉस या तो दशमिक प्रणाली की विल्कुल निम्नशक्ति (3x, 6x, 12x) में दो-दो घण्टे के अन्तर से देनी चाहिये । यदि इससे लाभ न हो तो मैग्नीशिया फॉस की शतमिक क्रम प्रणाली की सी० एम० शक्ति की एक मात्रा अर्थात् दो बूंद आधे गिलास पानी में डालकर पाँच-पाँच मिनट । के अन्तर से रोगी को दो-दो चम्मच देते जायें । साथ ही, बर्वेरिस वल्गेरिस मूल अर्क पेट पर लगाने से दर्द तुरन्त घटने लगता है ।
बाँयी ओर पेट-दर्द- लैकेसिस 200- पेट में बाँई ओर सुई चुभने जैसा को दबाने से आराम प्रतीत हो तो यह दवा देनी चाहिये । मैं ऐसे लक्षणों पर इसी दवा को देकर अच्छे परिणाम प्राप्त कर चुका हूँ ।
पेट दबाने से दर्द में कमी- स्टेनम 30- ऐसा पेट-दर्द जिसमें दर्द के समय पेट को दबाने से दर्द कम हो जाता हो तो यह दवा लाभप्रद हैं । परन्तु इसका दर्द करवट से सोने से बढ़ जाता है । टिन धातु से बनी इस दवा का एक और प्रमुख लक्षण यह है कि इसके रोगी को छाती में बेहद कमजोरी अनुभव होती है अतः रोगी की कमजोरी का केन्द्रस्थल छाती होती है।
पेट-दर्द में दबाने से आराम परन्तु रोग एकदम आये व चला भी जायेबेलाडोना 30– दर्द जिसमें पेट दबाने से आराम हो परन्तु दर्द का आक्रमण एकदम हो व एकदम से चला भी जाता हो तो ऐसी स्थिति में इस दवा का प्रयोग करना चाहिये । काबॉलिक एसिड का दर्द भी बेलाडोना की तरह एकदम आता है एवं एकदम चला जाता है, इसे भी लक्षणानुसार दे सकते हैं ।
मानसिक कष्टों व क्रोध आदि की वजह से पेट-दर्द- कैमोमिला 30, 200- यदि क्रोध या मानसिक कष्टों की वजह से ऐसा पेट-दर्द हो जिसमें दर्द के समय रोगी दोहरा न होता हो तो ऐसी स्थिति में यह दवा दें ।