अधिक खाने के कारण अथवा पारा-मिश्रित वस्तुएं अथवा औषधियाँ सेवन करने के कारण मुँह से पानी गिरने पर निम्न औषधियों को लक्षणानुसार दें :-
मर्क-बाई 6 वि० – यह इस रोग की मुख्य औषध है ।
नाइट्रिक-एसिड 3, 30 – पारे के अपव्यवहार के कारण मुँह में पानी भर आता हो तो इसे ‘कार्बो-वेज 6‘ अथवा ‘हिपर 6‘ भी दिया जा सकता है ।
नक्स-वोमिका 30 – कलेजे में जलन, मुँह में लगातार पानी भर आना तथा कब्ज के लक्षणों में इसे दें।
साइलीशिया 30 – खट्टी डकारों के साथ तीते-तरल पदार्थ का गले तक आ जाना, कलेजे में जलन, अरुचि, कब्ज तथा मुँह में पानी भर आना में इसे दें।
कार्बो-वेज 30 – पेट फूलना, पेट में कसाव, पाकस्थली में जलन तथा थोड़ी डकार के साथ मुँह में पानी भर आने के लक्षणों में इसका प्रयोग करें ।
कैल्केरिया-कार्ब 30 – लगातार खट्टी डकारों के साथ मुँह में पानी भर आने पर इसे दें ।
लाइकोपोडियम 12, 30 – मुँह में पानी भर आने की पुरानी बीमारी में यह हितकर है ।
गर्भावस्था में मुँह से लार टपकने पर निम्नलिखित औषधियों का लक्षणानुसार प्रयोग करें :-
पाइलोकार्पस 3 – अत्यधिक पसीना आना तथा अण्डे की सफेदी जैसी लार टपकने में इसे दें ।
मर्क-सोल 30 – अधिक लार से मुँह तर रहना, साथ ही खूब प्यास भी लगना-इन लक्षणों में इसका प्रयोग करें ।
मर्क्युरियस – इसकी एक-दो मात्रा से ही लार बहना बन्द हो जाता है ।
पल्सेटिला 30 – मीठी लार अत्यधिक परिमाण में निकलना तथा मिचली के लक्षणों में इसका प्रयोग करें ।
नेट्रम 30 – जीभ, होंठ तथा मुँह में घाव एवं अधिक लार बहने में दें।