गर्भावस्था में कब्ज हो जाने पर लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग करना चाहिए :-
कोलिनसोनिया 1x, 3, 30 – यह गर्भावस्था के कब्ज की श्रेष्ठ औषध है। इसे प्रति तीन घण्टे बाद देना चाहिए ।
ब्रायोनिया 30 – श्लैष्मिक-झिल्लियों में खुश्की हो जाने के कारण बहुत सख्त तथा खुश्क मल होने तथा इसी कारण प्यास अधिक लगने के लक्षणों में हितकर है ।
ओपियम 200 – आँतों की शिथिलता के कारण कब्ज होना तथा मल के सख्त तथा खुश्क मल होने व इसी कारण प्यास अधिक लगने के लक्षणों में हितकर है।
ऐलम 30, 200 – यदि कई दिनों तक टट्टी की हाजत न हो, गर्भिणी द्वारा चाक, कोयला आदि खाने की इच्छा, जब-तब मेंगनी के रूप में मल निकलने पर इसे देना चाहिए ।
लाइकोपोडियम 30 – कभी कब्ज, कभी दस्त आना तथा मल आने के बाद पेट में वायु-संचय के लक्षणों में इसे दें ।
सल्फर 30 – सख्त तथा गाँठदार टट्टी आना, पूरी तरह टट्टी आने की अनुभूति एवं दिन के 11 बजे खूब भूख लगने में इसे देना चाहिए।
नक्स-वोमिका 30 – टट्टी होने के बाद भी पेट साफ न होने की अनुभूति एवं कई बार मल-त्याग के बाद भी मल-त्याग की इच्छा बनी रहने के लक्षणों में इसे देना चाहिए । रोगिणी का शीत-प्रधान होना, शीघ्र क्रोधित हो जाना तथा अधीर रहना आदि लक्षणों में हितकर है ।
सीपिया 30, 200 – टट्टी जाने की इच्छा होने पर भी टट्टी न आना, मल का मुलायम या मेंगनी जैसी होना एवं कुछ आंव तथा हवा का निकलना-लक्षणों में दें।
विशेष – इनके अतिरिक्त लक्षणानुसार ‘प्लम्बम 6’ तथा ‘पोडोफाइलम 6’ का प्रयोग भी किया जा सकता है ।