तले पदार्थ ज्यादा खाने, मीठे पदार्थ ज्यादा खाने, पौष्टिक पदार्थ न खाने, शारीरिक परिश्रम का अभाव, पुरानी कब्ज, गन्दे रहना, नमीयुक्त स्थान पर रहना, खून में दोष उत्पन्न हो जाना आदि कारणों से फोड़े-फुन्सी उत्पन्न हो जाते हैं ।
मर्कसॉल 30 – फोड़े-फुन्सियों की पहली और दूसरी अवस्था में लाभप्रद है । फोड़ा पकना प्रारंभ हो जाने पर इसे देने से फोड़ा पूर्णतः पक जाता है और पककर फूट जाता है ।
एकोनाइट 30 – फोड़े में मवाद पड़ने से पूर्व इसे देने से लाभ होता है।
बेलोडोना 30, 2x – फोड़े में दर्द, सूजन, लाली, दहक आदि लक्षणों में दें । इस दवा को तब देना चाहिये जवकि फोड़े में मवाद बनना प्रारंभ न हुआ हो ।
एपिस मेल 30 – फोड़ा फूल जाये, लाल पड़ जाये और उसमें डंक मारने जैसा दर्द हो तो यह दवा देनी चाहिये ।
हिपर सल्फर 6, 30, 200- यदि फोड़ा पकने की स्थिति में हो तो इस दवा की निम्नशक्ति देने से फोड़ा पूर्णतः पककर आसानी से फूट जाता है से फोड़ा सूख जाता है ।
काबॉवेज 12, 30 – गर्मी के दिनों में यदि फोड़ा पक जाये अथवा फोड़े पर चोट लग जाये तो यह दवा लाभप्रद हैं ।
साइनोडन डेक्टिलन Q – फोड़े के पक जाने पर इस दवा को फोड़े के ऊपर 1-1 घंटे के अन्तर से कई वार लगाने से फोड़ा आश्चर्यजनक रूप से फट जाता है ।
आर्निका 30 – रक्त दूषित हो जाने के कारण संपूर्ण चेहरे पर या संपूर्ण शरीर पर दाने जैसी छोटी-छोटी फुन्सियाँ हो जायें तो लाभप्रद हैं । यह दवा सड़े-गले घावों को भी ठीक कर देती हैं ।
सल्फर 30- यदि फोड़े-फुन्सी बार-बार होते रहते हों तो यह दवा लाभप्रद सिद्ध होती है ।
कैलेण्डुला Q- इस दवा को दस गुने ताजा पानी में मिलाकर फोड़े-फुन्सियों के घावों को उस पानी से धोना चाहिये । इससे घाव जल्द भर जाते हैं ।