यह ओलक ताम्बूल की खास जड़ व जड़ की छाल से तैयार होता है। पुराने ज़माने में इसके रस का इस्तेमाल रजःस्राव में होने वाले दर्द में किया जाता था। बाद में डॉ डी. एन. राय ने इसकी परीक्षा होमियोपैथी में की। एब्रोमा रैडिक्स और एब्रोमा ऑगस्टा एक ही प्लांट से निकाला गया रस है। ओलक ताम्बूल की पत्ती से एब्रोमा ऑगस्टा मदर टिंचर बनता है और ओलक ताम्बूल की जड़ व जड़ की छाल से एब्रोमा रैडिक्स का मदर टिंचर बनता है।
अगर पीरियड समय से नहीं आता, कभी ज्यादा कभी कम होता है, रक्तस्राव ज्यादा होता है, कभी समय से पहले आ जाता है तो कभी 3 महीने आता ही नहीं तो एब्रोमा रैडिक्स बहुत अच्छा कार्य करती है। पीरियड के पहले, बाद में और होने रहने के दौरान बहुत दर्द होता है तो उसमे भी एब्रोमा रैडिक्स अच्छा काम करती है।
लिकोरिया में भी यह दवा लाभदायक है, अगर सफेद पानी निकलने की समस्या है तो एब्रोमा रैडिक्स अवश्य इस्तेमाल करें और साथ में Biocombination No. 13 लेंगे तो बहुत फायदा होगा।
एब्रोमा रैडिक्स का एक लक्षण है कि पीरियड में रक्तस्राव या तो बहुत ज्यादा होता है या बहुत कम होता है, अर्थात रक्तस्राव या तो 7-8 होता है या 1 दिन भी ठीक से नहीं होता।
मात्रा – एब्रोमा रैडिक्स Q की 20 बून्द आधे कप पानी में डालकर दिन में 3 बार लेना है। इसे खाली पेट 3 से 4 महीने पीने से ऊपर के सभी लक्षण ठीक हो जाते हैं। यह प्लांट किंगडम की मेडिसिन है और इसके कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं हैं।