मीजल्स आजकल होने वाली बहुत आम बीमारी है। वैसे तो यह पूरी सर्दियों में कभी भी हो सकती है, लेकिन सर्दियां खत्म होते समय फरवरी के अंत तथा मार्च में, जब दिन में काफी गर्मी होती है मगर रात में सर्दी होती है, तब यह ज्यादा होती है। यह एक ‘वायरस’ से होने वाली बीमारी है तथा मरीज के थूक, खांसी व छींकों से फैलती है। ज्यादातर यह 6 माह से ऊपर के बच्चों में होती है, लेकिन कभी-कभी वयस्क लोग भी इससे पीड़ित हो जाते हैं। यह ज्यादातर उन बच्चों में देखी गई है, जो कमजोर होते हैं तथा जिनको सर्दी जुकाम जल्दी-जल्दी होता है। इसकी शुरुआत जुकाम, छकें, नाक बहने, खांसी तथा बुखार के साथ होती है। आंखें और चेहरा लाल हो जाते हैं। एक विशेष प्रकार की चमक होती है, जिससे घर के बुजुर्ग लोग पहले ही मीजल्स का अनुमान लगा लेते हैं। मरीज को भूख बिलकुल नहीं लगती है। मरीज काफी कमजोरी महसूस करता है। अगर समय पर डाक्टर को दिखाया जाए, तो डाक्टर मुंह के अंदर गाल की झिल्ली पर एक विशेष प्रकार के धब्बे जिन्हें ‘कापरिक स्पॉट’ कहते हैं, देखकर बता सकते हैं कि इसे खसरा हो गया है। बुखार आने के करीब चौथे दिन शरीर में दाने आने शुरू होते हैं। सबसे पहले यह चेहरे में कान के पास, बालों के आसपास, माथे में, फिर चेहरे पर, गर्दन पर, फिर दो से तीन दिन के अंदर पूरे शरीर में, हाथ-पैरों में फैल जाते हैं। दाने आने के बाद बुखार कम हो जाता है तथा ‘कापरिक स्पॅट’ दाने आने के दो दिन बाद गायब हो जाते हैं। एक सप्ताह होते-होते दाने काफी सूख जाते हैं, कुछ दिन बाद उसमें से पपड़ी सूखकर गिर जाती है तथा हलका-सा कत्थई धब्बा शेष रह जाता है, जो समय के साथ समाप्त हो जाता है। वैसे तो मीज़ल्स अपने-आप सात से दस दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन अगर आपने थोड़ी-सी भी लापरवाही की, तो इसमें काम्पलीकेशन हो सकता है, जैसे निमोनिया, कान का बहना, गर्दन के आसपास गिल्टियां होना, दस्त होना या दिमाग में सूजन होना इत्यादि।
बुखार के साथ पहले दिन दाने निकल आते हैं, बदन दर्द रहता है। सारे शरीर पर दाने निकलते हैं व शीघ्र ही उनमें पपड़ी जम जाती है। दाने एक लाइन से होते हैं। दाने सूखने के 5 से 10 दिन के अंदर झड़ जाते हैं।
बचाव के लिए ‘वेरिओलाइनम’ 200 की एक-दो खुराक पर्याप्त हैं। बुखार के लिए फेरमफॉस 6 x, कालीम्यूर 6 x देनी चाहिए।
खसरा का होम्योपैथिक इलाज
छह माह से कम की उम्र में बच्चे को मां से पर्याप्त ‘एंटीबाडीज’ मिल जाते हैं, जो उसकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। फिर भी कुछ सालों में देखने में आया है कि छह माह से छोटे बच्चे को मीज़ल्स हुआ है। यह भी देखने में आया है कि जिन बच्चों को मीजल्स का टीका लगा था, उनको भी मीजल्स होता है। इसीलिए हर वर्ष फरवरी के अंत में बच्चों को होमियोपैथी की ‘मारबिलिनम’ 1000 की कुछ खुराकें दे देनी चाहिए। इससे बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। मरीज को अगर बुखार हो, तो बायोकेमिक की ‘फेरमफॉस’ 6 x व ‘कालीम्यूर’ 3 एक्स की 2-2 गोलियां मिलाकर दिन में चार बार दें। इससे बुखार कम हो जाएगा तथा एक सप्ताह में दानें काफी सूख जाएंगे।
ब्रायोनिया 30 : अगर प्यास बहुत लग रही हो, बार-बार मुंह सूख रहा हो, बुखार हो, कब्ज हो, खांसी हो तथा सीने में दर्द हो।
आर्सेनिक एल्बम 30 : बुखार हो, प्यास लग रही हो, थोड़ा-सा ठंडा पानी पीने की इच्छा हो रही हो, सर्दी लगती हो तथा पतला दस्त हो।
पल्सेटिला 30 : मुंह सूख रहा हो, लेकिन पानी पीने की बिलकुल इच्छा न हो रही हो तथा बुखार हो।
एण्टिमटार्ट 30 : खांसी बहुत ज्यादा हो। लग रहा हो कि बलगम काफी फंसा है, मगर बाहर नहीं आ रहा है।
स्पोंजिया : खांसी बहुत ज्यादा हो, सांय-सांय की आवाज हो, तो ज्यादातर मरीज इन्हीं दवाओं से ठीक हो जाते हैं।
इसके बावजूद अगर कोई तकलीफ हो, तो अपने डाक्टर से मिलें।
खूब हसें, आशावादी बनें
हसने से तनाव, विद्वेष, चिंता और क्रोध जैसे नकारात्मक मनोभावों में कमी आती है। इससे हमें जीवन के प्रति आशावादी नजरिया बनाने में भी मदद मिलती है। साइकोसोमैटिक मेडिसिन जर्नल 2001 के अनुसार करीब 1300 लोगों पर दस वर्षों तक किए गए अध्ययन के दौरान पाया गया कि जीवन के प्रति आशावादी नजरिया रखने वाले लोगों को खतरनाक बीमारियों का खतरा कम होता है।