प्रकृति – गर्म। तरबूज वीर्यवर्धक है।
प्यास – तरबूज खाने से प्यास लगना कम होता है।
मस्तिष्क शक्तिवर्धक – तरबूज की मींगी पौष्टिक एवं मस्तिष्क-शक्तिवर्धक है। तरबूज वीर्यवर्धक है।
कैंसर – लाल फल-सब्जियों में लाइकोपिन होता है। जिसमें जितनी अधिक ललाई होगी, उसमें उतना अधिक लाइकोपिन होगा। तरबूज में कैंसररोधी तत्व लाइकोपिन टमाटर से 40% अधिक होता है। तरबूज कैंसर से बचाव करता है।
सिरदर्द – यदि सिरदर्द गर्मी के कारण हो तो तरबूज का गूदा मलमल के कपड़े में डालकर निचोड़ें और रस को काँच के गिलास में भर लें। इसमें मिश्री मिलाकर प्रात: पिलायें।
वहम और पागलपन – यदि वहम की तीव्रता से पागलपन हो तो तरबूज के रस का एक कप, गाय का दूध एक कप, मिश्री तीस ग्राम मिलाकर एक सफेद बोतल में भरकर रात को खुले में चाँदनी में किसी खूंटी से लटका दें। प्रात: भूखे पेट रोगी को पिला दें। ऐसा 21 दिन करने से वहम दूर हो जायेगा।
पागलपन – तरबूज के बीज की मींगी दो चम्मच रात को चौथाई कप पानी में भिगो दें। इसे पीसकर तीस ग्राम मिश्री, दो चम्मच घी और पाँच पिसी हुई कालीमिर्च मिलाकर प्रात: खाली पेट खायें। इससे मस्तिष्क की गर्मी निकल जाती है। पागलपन ठीक हो जाता है।
उल्टी – खाने के बाद कलेजा जले फिर पीली-पीली उल्टी हो तो प्रात: एक गिलास तरबूज के रस में मिश्री मिलाकर पियें। इससे प्यास भी कम लगती है।
जोड़ों के दर्द में तरबूज का रस पीना लाभकारी है।
कब्ज़ – ओस में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर प्रात: शक्कर मिलाकर पीने से कब्ज़ में लाभ होता है।
तरबूज खाने का समय – तरबूज भोजन करते हुए बीच में या खाने के एक घण्टे बाद खाना चाहिए।
उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) – (1) तरबूज के बीजों के रस में एक तत्व जो ‘कुरकुरबोसाइट्रिन (Curcurbocitrin)’ कहलाता है, मिलता है जो रक्तकोशिका नली (Capillaries) को चौड़ा करता है। इसका प्रभाव गुर्दों पर पड़ता है, जिससे उच्च रक्तचाप कम हो जाता है। टखनों के पास की सूजन (Edema of the Ankles) ठीक हो जाती है।
तरबूज के बीजों का रस बनाने की विधि – तरबूज के छाया में सुखाए हुए बीज दो चम्मच कूट-पीसकर एक कप उबलते हुए गर्म पानी में डालकर एक घण्टा भीगने दें। इसके बाद चम्मच से हिलाकर छानकर पी जायें। इस प्रकार चार खुराक नित्य पियें। तरबूज का रस पीने से भी लाभ होता है। (2) तरबूज (मतीरे) के बीज की गिरी और खसखस दोनों समान मात्रा में मिलाकर पीसकर नित्य तीन बार एक-एक चम्मच फंकी ठण्डे पानी से लें। इस तरह नित्य एक बार लेते रहने से उच्च रक्तचाप सामान्य रहता है। लम्बे समय तक लेते रहें।
वृक्कशोथ (Nephritis) में तरबूज खाना लाभदायक है।
दमा – दमा के रोगियों को तरबूज का रस नहीं पीना चाहिए।