परिचय : 1. इसे कुमारी (संस्कृत), घीकुवार, ग्वारपाठा (हिन्दी), धृतकुमारी (बंगला), कोरफडू (मराठी), कुंवार (गुजराती), काट्टोली (तमिल), घुसमसरम् (तेलुगु), सब्बारत (अरबी) तथा एलोवेरा (लैटिन) कहते हैं।
2. एलोवेरा का पौधा 1-2 फुट ऊँचा होता है। एलोवेरा के पत्ते 1 -1 हाथ लम्बे, मोटे, किनारों पर मोटे काँटों से युक्त तथा घी की तरह लुआब से भरे रहते हैं। एलोवेरा के फूल पुराने पौधे के बीच से निकले डंठल पर लाल रंग के निकलते हैं।
3. यह समस्त भारत में, विशेषत: दक्षिण भारत में उत्पन्न होता है।
रासायनिक संघटन : इसमें अलोइन या बार्बेलोइन नामक ग्लूकोसाइड, एलोएमोडीन, रेजिन आदि तत्व पाये जाते हैं।
एलोवेरा के गुण : यह स्वाद में कड़वा, मीठा, पचने पर कटु, भारी, चिकना तथा शीतल है। इसका मुख्य प्रभाव पाचन-संस्थान पर भेदक (दस्त लानेवाला) रूप में पड़ता है। यह शोथहर, पीड़ाशामक, अग्निदीपक, यकृत-उत्तेजक, व्रणरोपक, रक्तशोधक, कृमिहर, मूत्रजनक, गर्भाशय-उत्तेजक, चर्मरोगहर, जीर्णज्वरहर तथा कटु-पौष्टिक है।
एलोवेरा के स्वास्थ्यवर्धक फायदे ( aloe vera ke fayde hindi )
1. कामला : एलोवेरा के गूदे का रस निकाल नस्य देने से कामला शीघ्र नष्ट होता है।
2. गुल्म : गुल्म में एलोवेरा के गूदे को घी में भूनकर खायें।
3. प्लीहा : हल्दी और नमक के साथ एलोवेरा का गूदा 1 तोला सुबह खाने से बड़ी-से-बड़ी तिल्ली मिट जाती है।
4. फोड़ा : फोड़े पर एलोवेरा के लेप से लाभ होता है।
5. स्त्री-रोग : एलोवेरा के गूदे को गर्म कर गुड़ मिलाकर पिलाने से रुका मासिक-धर्म खुल जाता है। कमर और पेट का दर्द भी दूर हो जाता है।
6. मानसिक रोग : 10 सेर एलोवेरा का गूदा 2 सेर गाय के घी में पकायें। घी शेष रहने पर छान लें। इसे प्रात:सायं 1 तोला सेवन करने से पागलपन, मिरगी (अपस्मार), हिस्टीरिया (योषापस्मार) और बालापस्मार मिट जाता है।
7. अग्निदग्ध : जले हुए स्थान पर इसका गूदा लगायें।
8. चोट : गेहूँ का आटा और हल्दी, एलोवेरा के गूदे में मिलाकर गोला बना लें। फिर उसमें तिल का तेल मिला चोट या मोचवाले स्थान को सेंकें। पुन: गर्म कर उसी को रोटी जैसा बनाकर बाँध दें तो भयानक-से-भयानक चोट और मोच ठीक हो जाती है। यह अत्यन्त चमत्कारी योग उस्ताद नन्हें पहलवान, इटावा से प्राप्त हैं, जो टूटी हड्डी को जोड़ने में बड़े ही दक्ष थे।
इस प्रसंग में चोट पर एक और अनुभूत प्रयोग है : एलुआ (एलोज) को शराब या टिंचर में घोलकर मन्द अग्नि पर गाढ़ा करके लेप करें। इससे सब प्रकार की चोट, दर्द मिट जाता है। यह भी उसी उस्ताद का बताया योग है।
ग्वार या ग्वार की फली
9. सिरदर्द – अन्दाजे से एलोवेरा का गूदा निकालकर उसमें गेहूँ का आटा मिलाकर दो बाटी बनाकर सेंक लें। सेंकने के बाद हाथ से दबाकर देशी घी में डाल दें। प्रात:काल सूर्योदय के पहले खाकर सो जायें। इस प्रकार 5-7 दिन तक सेवन करने से कैसा भी, कितना भी पुराना सिरदर्द हो, इससे आराम हो जाता है।
10. जलना (Burn) – जले हुए स्थान पर एलोवेरा का गूदा बाँधने से फफोले नहीं उठते व ठण्डक मिलती है। फोड़े पर गूदा गर्म करके बाँधे।
11. पेट के रोग – एलोवेरा का ताजा रस 5 चम्मच, शहद दो चम्मच और आधे नीबू का रस मिलाकर, सुबह-शाम पीते रहने से सभी प्रकार के पेट के रोग ठीक हो जाते हैं। यह योग रक्तशोधक, शक्तिवर्धक है।
12. कुत्ता काटना – एलोवेरा को एक ओर से छीलकर गूदे पर पिसा हुआ सेंधा नमक डालें। फिर इसे कुत्ते के काटे स्थान पर लगाकर पट्टी बाँध दें। ऐसा चार दिन करें।
13. बवासीर – एलोवेरा की फली की सब्जी प्राय: सभी खाते हैं। एलोवेरा के पौधे के 11 हरे पत्ते, 11 कालीमिर्च पीसकर 62 ग्राम पानी में मिलाकर प्रात: एक बार एक दिन पीने से बादी बवासीर (वह बवासीर जिसमें रक्त नहीं गिरता) ठीक हो जाते हैं।
14. रतौंधी (Night Blindness) में एलो की फली की सब्जी खाना लाभदायक है।
काशीफल के फायदे
काशीफल की सब्जी बनती है। इसे कद्दू भी कहते हैं। यह मोटा गोल होता है।
गुर्दा खराब (Renal Failure) – जब गुर्दे खराब हो जायें, पेशाब नहीं हो तो कच्चे काशीफल का एक कप रस नित्य तीन बार पीने से पेशाब खुलकर आता है। गुर्दा खराब रोगी के लिए लाभदायक है। प्रोस्टेट में बीजों सहित रस लाभ करता है।