प्रत्येक महिला के जीवन में एक ऐसी उम्र आती है, जब उसका मासिक चक्र बंद हो जाता है और वह जनने के योग्य नहीं रह जाती। इसे रजोनिवृति या मेनोपॉज कहा जाता है। अवसर यह 40 से 50 वर्ष की उम्र में होता है। रजोनिवृति के कारण महिलाओं का मासिक चक्र इसलिए बंद हो जाता है, क्योंकि ‘ईस्ट्रोजन हारमोन’ बनने की उनके डिम्बाशय की क्रिया समाप्त होनी शुरू हो जाती है।
किस उम्र में रजोनिवृत्ति होती है?
प्रत्येक महिला में रजोनिवृत्ति समय अलग-अलग होता है। कुछ महिलाओं में 40 वर्ष की आयु के बाद ही रजोनिवृत्ति हो जाती है, जबकि कुछ में 53-54 वर्ष की उम्र में रजोनिवृत्ति होती है। रजोनिवृत्ति होने के पहले अधिकांश महिलाओं का मासिक चक्र अनियमित हो जाता है तथा रक्त स्राव पहले की तुलना में अधिक होता है।
अन्य लक्षण क्या हैं?
अलग-अलग महिलाओं में रजोनिवृति के पूर्व अलग-अलग लक्षण उत्पन्न होते हैं। इसमें से कुछ महिलाएं रजोनिवृति के समय अपने शरीर में कुछ परिवर्तन अवश्य महसूस करती हैं। इसमें सबसे आम समस्या गर्म रक्त के स्राव की होती है। यह बहुधा रजोनिवृति के पूर्व शुरू होती है और बाद में कुछ समय तक जारी रहती है। कुछ महिलाओं की योनि पहले के मुकाबले सूखी रहती है, जिससे संभोग में तकलीफ होती है। इसके अलावा धड़कन, सिरदर्द, थकान आदि अन्य शिकायतें उत्पन्न हो जाती है। रजोनिवृति के परिणामस्वरूप महिलाओं की हड्डियाँ धीरे-धीरे पतली होने लगती हैं। ईस्ट्रोजन की कमी से होने वाली इस शिकायत को आस्टियोपोरोसिस कहा जाता है। इसी कारण उम्र बढ़ने के साथ महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक कमजोर होने लगती हैं।
क्या चिकित्सा करानी चाहिए?
यह अलग-अलग महिलाओं पर निर्भर है कि ये कैसा महसूस करती हैं। कुछ महिलाओं की बहुत आसानी से रजोनिवृत्ति हो जाती है और उन्हें कोई विशेष तकलीफ नहीं होती, जबकि कई अन्य को गर्म रक्त स्राव, थकान, सिरदर्द आदि की तकलीफें होती हैं। यदि किसी महिला को रजोनिवृति के तकलीफदेह लक्षण प्रतीत हो रहे हों, तो उसे तत्काल योग्य चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए। प्रत्येक तीन में एक महिला को रजोनिवृति के समय चिकित्सक की सलाह लेनी पड़ती है।
क्या रजोनिवृत्ति का प्रभाव दिमाग पर पड़ता है?
यह सच है कि रजोनिवृति के समय महिलाओं पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है और वे व्यग्रता, अनिद्रा, याददाश्त में कमी, तनाव और अवसाद महसूस करती हैं।
रजोनिवृत्ति के लक्षण कितने दिन रहते हैं?
रजोनिवृति के कुछ लक्षण मासिक चक्र बंद होने के कुछ पहले से उत्पन्न हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, किसी महिला में अन्तिम मासिक चक्र के तीन या चार वर्ष पहले से मासिक चक्र के समय गर्म रक्त स्राव शुरू हो सकता है। जब मासिक चक्र बंद हो जाता है, उसके बाद भी हारमोन परिवर्तन कुछ समय तक शरीर को प्रभावित कर सकता है। कुछ महिलाओं में साठ वर्ष की उम्र होने तक गर्म रक्तस्राव होता रहता है, जबकि अन्य महिलाओं में कुछ महीनों के भीतर ही यह बंद हो जाता है।
उपचार
स्त्रियों में मासिक ऋतुस्राव बंद हो जाने पर निम्न औषधियां प्राय: प्रयुक्त की जाती हैं –
• अत्यधिक बेचैनी रहने पर – ‘एमिल नाइट’ 3 × शक्ति में।
• स्तन लटक जाते हैं एवं दर्द रहता है – ‘सैंग्युनेरिया’ 30 शक्ति में।
• सिर में दर्द एवं जलन रहने पर – ‘सल्फर’ 200 की 3 खुराक व ‘प्लेकेसिस’ 30 शक्ति में दो दिन तक लें।
• हथेलियों एवं तलवों में जलन रहने पर – ‘सल्फर’ 200 शक्ति की 3 खुराक प्रात: निहार मुख, पंद्रह-पंद्रह मिनट के अंतर पर।
• कंजेशन (गर्मी महसूस करना) रहने पर – ‘एमिल नाइट’ 3 × में, ‘ग्लोनाइन’ 30 में एवं ‘यूस्टिलेगो’ मूल अर्क में 7 दिन लें।
• खांसी के साथ छाती में जलन रहने पर – ‘सैंग्युनेरिया’ 30 औषधि 7 से 10 दिन, दिन में तीन बार खाएं।
• बाल झड़ने पर – ‘सीपिया’ 30 दिन में तीन बार, 7 दिन तक तत्पश्चात् 200 शक्ति की तीन खुराक लें।
• थकान, बदन दर्द, मांसपेशियों में दर्द रहने पर – ‘कैल्केरिया कार्ब’ 200 की तीन खुराक पंद्रह मिनट के अंतर से लेने के अगले दिन से 7 से 10 दिन तक ‘बेलिसपेरेनिस’ 30 दिन में तीन बार लें।
• मानसिक अस्थिरता एवं भय रहने पर – ‘प्लम्बम मेट’ 200 की तीन खुराक, ‘अर्जेण्टम मेट’ व ‘सिमिसीफ्यूगा’ 30 में एवं ‘यूस्टिलेगो’ मूल अर्क में, 7-10 दिनों तक दिन में तीन बार लें।
• चेहरे एवं अन्य भागों पर लाली रहने पर – ‘एमिल’, ‘सिमिसीफ्यूगा’, ‘ग्लोनाइन’, (उपरोक्त के साथ ही बेचैनी रहने पर ‘एमिल नाइट’ 3 ×, कंजेशन रहने पर ‘ग्लोनाइन’ 30, भय रहने पर ‘सिमिसीफ्यूगा’ 30 लेनी चाहिए। वैसे, साधारणतया ‘इग्नेशिया’ 200 की तीन खुराक, फिर ‘सीपिया’ 30 में एक हफ्ता लें। तत्पश्चात् ‘सीपिया’ 200 की तीन खुराक लें)
• सिरदर्द रहने पर – ‘सैग्युनेरिया’ मूल अर्क में व ‘ग्लोनाइन’ तथा ‘सीपिया’ 30 शक्ति में लाभ मिलने तक लें।
• दौरे वगैरह पड़ने पर – ‘इग्नेशिया’ 200 की तीन खुराक लें।
• चिड़चिड़ाहट व बेचैनी रहने पर – ‘प्लेकेसिस’ 200 की तीन खुराक व ‘सिमिसीफ्यूगा’ 30 शक्ति में दिन में तीन बार, दस दिन खाएं। फिर ‘लेकेसिस’ 200 की तीन खुराक दोहरा दें।
• गर्भाशय में दर्द रहने पर – ‘सिमिसीफ्यूगा’ व ‘सीपिया’ 30 शक्ति में, एक घंटे के अंतर पर, दिन में तीन बार 7 दिन तक खाएं।
• घबराहट रहने पर – ‘प्लेकेसिस’, ‘कैल्करिया आस’, ‘एमिल’, ‘इग्नेशिया’ व ‘थेरीडियोन’।
(‘लेकेसिस’ 200 की तीन खुराक लें, अगले दिन ‘इग्नेशिया’ 30शक्ति में व ‘कैल्केरिया आर्स’ 3 × में व ‘थेरीडियोन’ 30 शक्ति में, एक-एक घंटे के अंतर से दिन में तीन बार सात दिन तक खाने पर घबराहट प्राय: दूर हो जाती है।)
• अत्यधिक पसीना आने पर – ‘सीपिया’ 200 की तीन खुराक लें। एक हफ्ते बाद पुन: दवा दोहरा दें।
• अत्यधिक काम-इच्छा रहने पर – ‘म्यूरेक्स’ 30 शक्ति में, दिन में तीन बार 10-15 दिन तक खाएं। तत्पश्चात् ‘प्लेटिना’ 30 शक्ति में खाएं।
• पेट में खालीपन रहने पर ‘इग्नेशिया’ 30 व ‘सीपिया’ 30 लें।