[ Fringe Tree ] – यह औषधि यकृत रोग में प्रयोग की जाती है जिस तरह सियानोथस प्लीहा रोग में पेटेण्ट दवा के रूप में प्रयोग की जाती है चियोनैन्थस भी यकृत रोग में पेटेण्ट औषधि है, पैत्तिक और ऋतुस्राव के समय का सिर दर्द, कामला, ऋतु रुक जाने के साथ पीलिया और यकृत की बीमारी में यह फायदा करती है।
यकृत और यकृत की शिराओं पर इसकी प्रधान क्रिया होती है, यकृत अगर खूब बड़ा हो जाये और उसके आनुषंगिक उपसर्ग-कब्ज, कीचड जैसा मल, गरम पीले रंग का मल, पेशाब पीला प्रतिवर्ष गर्मी के दिनों में तथा कभी-कभी प्लीहा रोग हो जाता है, यकृत में दर्द, समस्त खाने की चीजों से अनिच्छा, पित्त पथरी में भी फायदा करती है।
पेट – पेट में ऐसा महसूस होता है जैसे कोई चीज या जीवित पदार्थ हिल रहा है। पाकस्थली तनी हुई और खिंची हुई सी लगती है। इसका एक विशेष लक्षण यह है कि जुलाब लेने जैसे दस्त आते हैं, ऐसा मालूम होता है जैसे पाखाना जाते ही खूब पाखाना होगा, पर नहीं होता। इस लक्षण के साथ कभी-कभी मिचली भी रहती है और ऊबकाई भी आती है।
पेशाब – पेशाब गाढ़ा और लाल, पेशाब का आपेक्षिक गुरुत्व खूब अधिक, पेशाब करने की इच्छा हमेशा बनी रहती है, पेशाब में पित्त और चीनी रहती है। रंग काला होता है।
सम्बन्ध – सिनकोना, सियानौथ, चेलिडो, कार्डूअस, पोडो, लेप्टैण्ड्रा से तुलना कीजिए।
मात्रा – मूलार्क 2 से 2x शक्ति।