लौंग का परिचय : 1. इसे लवंग (संस्कृत), लौंग (हिन्दी), लवंग (बंगला), लवंग (मराठी), लवंग (गुजराती), किराम्बु (तमिल), कारावाल्लु (तेलुगु) तथा कैरिपोफाइल्स, एसोमेटिक्स (लैटिन) कहते हैं।
2. लौंग का पौधा सदा हरा-भरा, 40 फुट तक ऊँचा, पीलापन लिये कत्थई रंग की छालवाला होता है। शाखाएँ चारों ओर, कोमल और नीचे झुकी रहती हैं। लौंग के पत्ते हरे, 3-6 इंच के होते हैं। लौंग के फल मांसल 1 इंच लम्बे होते हैं जिसमें एक बीज रहता है। फल की कलियाँ सुखाने से लौंग प्राप्त होती है।
3. यह भारत में पश्चिम भारतीय द्वीपों, दक्षिण भारत, त्रिवांकुर में अधिक होती है। इसका मूल-स्थान मलाया तथा सैलिविस द्वीप है।
रासायनिक संघटन : यह स्वाद में कड़वी, चरपरी, पचने पर कटु तथा हल्की, तीक्ष्ण, चिकनी और शीतल है। इसका मुख्य प्रभाव श्वसन-संस्थान पर कफहर रूप में पड़ता है। यह मुख, कण्ठ, दन्त और चर्म को लाभकर, अग्निदीपक, कृमिनाशक, हृदय-उत्तेजक, स्वतन्य (स्त्रीदुग्ध) शोधक, मूत्रजनक क्षयहर, कटु पौष्टिक, पीड़ाहर, तृष्णाशामक तथा वमनहर है।
शुद्धता की पहचान – लौंग में अर्क निकाली हुई लौंगें मिला देते हैं। यदि लौंग में झुर्रियाँ पड़ी हों तो यह अर्क निकाली हुई लौंग है। अच्छी लौंग में झुर्रियाँ नहीं होतीं।
लौंग का गुण – यह दर्द दूर करती है।
लौंग में औषधीय गुण होते हैं। यह उत्तेजना देती है, ऐंठन दूर करती है, पेट फूलना रोकती है। पाचनशक्ति ठीक कर चयापचय को बढ़ाती है। लौंग पीसकर पाउडर बनाकर काम ली जाती है या काढ़ा बनाकर पिया जाता है। लौंग एंटीसेप्टिक गुणों से सड़न रोकती है, संक्रमण दूर करती है। लौंग एंजाइम के बहाव को बढ़ावा देती है और पाचन-क्रिया को तेज करती है।
लौंग में ऐसी सुगंध होती है जो मुँह की दुर्गंध दूर करती है, दंतक्षय को रोकती है। इसलिए लौंग दंतमंजन में डाली जाती है।
लौंग का तेल – लौंग के तेल में ऐसे अंश होते हैं जो रक्त परिसंचरण को स्थिर करते हैं और शरीर के तापमान को ठीक-ठाक रखते हैं। लौंग के तेल को बाहरी त्वचा पर लगाने से त्वचा पर उत्तेजक प्रभाव दिखाई देते हैं। त्वचा लाल हो जाती है और गर्मी पैदा करती है।
सिरदर्द – (1) लौंग को पीसकर लेप करने से सिरदर्द तुरन्त बन्द हो जाता है। इसका तेल भी लगाया जा सकता है। (2) पाँच लौंग पीसकर एक कप पानी में मिलाकर गर्म करें। आधा पानी रहने पर छानकर चीनी मिलाकर पियें। शाम को और सोते समय लेते रहने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।
दाँत-दर्द – (1) पाँच लौंग पीसकर उसमें नीबू निचोड़कर दाँतों पर मलने से दर्द दूर हो जाता है। (2) पाँच लौंग एक गिलास पानी में उबालकर इससे नित्य तीन बार कुल्ले करने से दर्द ठीक हो जाता है। दाँत-दर्द होने पर दुखते दाँत पर लौंग का तेल लगाने से लाभ होता है।
दंत-रोग – दाँत में कीड़ा लगने पर लौंग को रखना या लौंग का तेल लगाना चाहिए। लौंग के तेल की फुरेरी लगाने से दाँत-दर्द मिट जाता है। पान खाने से जीभ कट गई हो तो एक लौंग मुँह में रखने से जीभ ठीक हो जाती है।
गुहेरी (Stye) – आँखों पर छोटी-छोटी पुंसियाँ निकलने पर लौंग घिसकर लगाने से वे बैठ जाती हैं तथा सूजन भी कम हो जाती है।
हैजा – हैजे में लौंग का पानी बनाकर देने से प्यास और वमन कम होकर पेशाब आता है।
गर्भिणी का वमन – दो लौंग पीसकर शहद के साथ गर्भिणी को चटाएँ, कै बन्द हो जायेगी।
गर्भवती को मिचली, उल्टी, चक्कर आते हों तो दो लौंग और दो इलायची पानी डालकर पीसकर शहद में मिलाकर नित्य तीन बार चटायें।
प्यास की तीव्रता – प्यास की तीव्रता होने पर उबलते पानी में लौंग डालकर पियें। इससे प्यास कम हो जाती है। परीक्षित है।
खसरा (Measles) – खसरा निकलने पर दो लौंग को घिसकर शहद के साथ लेने से खसरा ठीक हो जाता है। यह प्रयोग सहस्रश: अनुभूत है।
टी.बी., दमा आदि की खाँसी में दो कली लहसुन पीसकर दो चम्मच शहद और चार बूंद लौंग का तेल मिलाकर रात को सोते समय सेवन करने से लाभ होता है।
दमा – (1) पाँच लौंग कूटकर एक कप पानी में उबालकर हल्का-सा गर्म रहने पर दो चम्मच शहद मिलाकर इसके तीन भाग बनाकर नित्य तीन बार पियें। इससे दमा का कफ सरलता से बाहर आ जायेगा, खाँसी में आराम होगा। (2) दो लौंग भूनकर पीसकर आधा चम्मच शहद में मिलाकर चाटें। इस प्रकार नित्य तीन बार लेने से लाभ होता है। (3) दो लौंग कच्ची ही और दो बादाम चबा-चबाकर सुबह-शाम खाने से दमा में आराम होता है।
श्वास-कास – लौंग मुँह में रखने से कफ आराम से निकलता है तथा कफ की दुर्गन्ध दूर हो जाती है। मुँह और साँस की दुर्गन्ध भी इससे मिटती है। लौंग और अनार के छिलके समान मात्रा में पीसकर चुटकी भर चूर्ण शहद में नित्य तीन बार चाटने से खाँसी ठीक हो जाती है। दो लौंग तवे पर सेंककर चूसें। अन्त में चबा जायें। इससे गले की सूजन दूर होगी, खाँसी में आराम मिलेगा। इससे खाँसी के साथ कफ (बलगम) आना ठीक हो जाता है। कफ निकालने के लिए दो लौंग और थोड़ा-सा नमक चबायें। इससे कफ थूकने में सरलता से निकल जाता है।
खाँसी – (1) तीन लौंग सेंककर, पीसकर गर्म दूध में मिलाकर नित्य सोते समय पीने से खाँसी ठीक हो जाती है। (2) लौंग और अनार के छिलके समान मात्रा में पीसकर, इनका चौथाई चम्मच, आधे चम्मच शहद में मिलाकर नित्य तीन बार चाटने से खाँसी ठीक हो जाती है।
कूकर खाँसी (Whooping Cough) – 2 लौंग आग में भूनकर शहद में मिलाकर चाटने से कूकर खाँसी दूर हो जाती है।
जी मिचलाना (Nausea) – 2 लौंग पीसकर आधा कप पानी में मिलाकर गर्म करके पीने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है। लौंग चबाने से भी जी मिचलाना ठीक हो जाता है।
उल्टी – (1) चार लौंग कूटकर एक कप पानी में डालकर उबालें। आधा पानी रहने पर छानकर स्वाद के अनुसार मीठा मिलाकर पीकर करवट लेकर सो जायें। दिन भर में ऐसी चार मात्रा लें। उल्टियाँ बन्द हो जायेंगी। (2) दो लौंग सेंककर चूसने से उल्टी बन्द हो जाती है। (3) दो भुनी हुई लौंग पीसकर शहद में मिलाकर खाने से उल्टियाँ बंद हो जाती हैं। लौंग के संज्ञाहारी प्रभाव से पेट और गला सुन्न हो जाते हैं और उल्टियाँ रुक जाती हैं।
पित्त ज्वर – चार लौंग पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से तेज ज्वर कम हो जाता है।
आंत्रज्वर (Typhoid) में लौंग का पानी पिलायें। पाँच लौंग दो किलो पानी में उबालकर आधा पानी रहने पर छान लें। इस पानी को नित्य बार-बार पिलायें। केवल पानी भी उबालकर ठण्डा करके पिलायें।